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किसानों को तोहफा, केंद्र सरकार ने बढ़ाया गन्ने का मूल्य

सरकार का दावा है कि गन्ने की एफआरपी में यह पिछले सालों के मुकाबले सर्वाधिक वृद्धि की गई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 05:29 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 05:29 PM (IST)
किसानों को तोहफा, केंद्र  सरकार ने बढ़ाया गन्ने का मूल्य
किसानों को तोहफा, केंद्र सरकार ने बढ़ाया गन्ने का मूल्य

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में डेढ़ गुना तक वृद्धि के बाद अब गन्ना किसानों के लिए भी तोहफा देने का एलान किया है। केंद्र ने आगामी गन्ना वर्ष के लिए गन्ने का उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है। जबकि चालू गन्ना वर्ष में मूल्य 255 रुपये प्रति क्विंटल है।

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हालांकि कई राज्यों में इसके अतिरिक्त राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) घोषित किया जाता है, जो इससे अधिक होता है। यह फैसला आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बुधवार को हुई बैठक में लिया गया। फैसले की जानकारी केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दी।

उन्होंने कहा कि गन्ने की लागत 155 रुपये प्रति क्विंटल आंकी गई है, जिसमें 77.42 फीसद की वृद्धि की गई है। गन्ना वर्ष 2018-19 के लिए यह एफआरपी 10 फीसद चीनी की रिकवरी दर पर आधारित होगी। यानी 275 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का भाव तभी दिया जाएगा, जब एक क्विंटल गन्ने से 10 किलो चीनी का उत्पादन होगा। इससे अधिक की रिकवरी दर मिलने पर प्रति अंक 2.75 रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा। लेकिन चीनी उत्पादन की रिकवरी दर 9.50 फीसद अथवा इससे नीचे रही तो गन्ने के मूल्य की न्यूनतम सीमा 261 रुपये प्रति क्विंटल होगी।

सरकार का दावा है कि गन्ने की एफआरपी में यह पिछले सालों के मुकाबले सर्वाधिक वृद्धि की गई है। चालू गन्ना वर्ष में यह मूल्य 255 रुपये प्रति क्विंटल है, जो 9.50 फीसद चीनी की रिकवरी दर पर आधारित है। रिकवरी की यही दर पिछले कई सालों से चली आ रही है। शाम को पत्रकारों से बातचीत करते हुए केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने रिकवरी दर के बारे में बताया कि देश की ज्यादातर चीनी मिलों में रिकवरी दर 10 फीसद अथवा इससे अधिक है।

घोषित एफआरपी को लेकर इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने चिंता जताई है। उसका कहना है कि गन्ने का बढ़ा मूल्य चीनी उद्योग के लिए गंभीर चुनौती बनेगा। आगामी गन्ना वर्ष वैसे भी मुश्किलों से भरा होने वाला है। भारी स्टॉक और गन्ना रकबा बढ़ने से बाजार में चीनी का मूल्य नीचे ही रहेंगे, जिससे गन्ना मूल्य का भुगतान करना कठिन होगा।


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