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Lal Bahadur Shastri Death Anniversary: लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि आज, कई नेताओं ने किया नमन

लाल बहादुर शास्त्री जी ने नौ जून 1964 को देश के दूसरे प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया था। वह करीब 18 महीने तक देश के प्रधानमंत्री रहे। 11 जनवरी 1966 की रात में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी थी।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 10:24 AM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 11:00 AM (IST)
लाल बहादुर शास्त्री का 11 जनवरी 1966 को ही निधन हुआ था।

नई दिल्ली, जेएनएन। Lal Bahadur Shastri Death Anniversary देश के दूसरे प्रधानमंत्री और ‘जय किसान, जय जवान’ का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री की आज 55वीं पुण्यतिथि है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों और नेताओँ ने पूर्व प्रधानमंत्री को नमन किया है। लाल बहादुर शास्त्री का 11 जनवरी 1966 को ही निधन हुआ था।

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गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री को नमन करते हुए ट्वीट किया, 'भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी ने एक ओर अपनी सादगी से राजनीति में नए मानक स्थापित किये तो वहीं दूसरी ओर अपने दृढ नेतृत्व से देश को विषम परिस्तिथियों में एकजुट कर जवानों और किसानों में अद्भुत ऊर्जा का संचार किया। राष्ट्रभक्ति व कर्तव्यनिष्ठा के ऐसे अद्वितीय प्रतीक को चरण वंदन।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शास्त्री जी को याद करते हुए लिखा, 'शुचिता, सादगी व सरलता की प्रतिमूर्ति, श्वेत क्रांति व हरित क्रांति के प्रणेता, जय जवान-जय किसान जैसे अमर मंत्र के उद्घोषक, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न श्री लाल बहादुर शास्त्री जी को उनकी पुण्यतिथि पर कोटिशः नमन। राष्ट्रोत्थान हेतु आपके अविस्मरणीय प्रयास हमारे लिए प्रेरणा हैं।

वहीं, कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया, 'जय जवान और जय किसान से जय हिंद का सपना साकार करने की सोच रखने वाले शास्त्री जी का योगदान भारत की राजनीति और विकास में अविस्मरणीय है। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी को कोटिशः नमन।

बता दें कि अपनी साफ सुथरी छवि और सादगी के लिए प्रसिद्ध शास्त्री ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद नौ जून 1964 को प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया था। वह करीब 18 महीने तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी थी।


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