महाराष्ट्र में तड़के सुबह हटा राष्ट्रपति शासन, जानें कब और क्यों हुआ था लागू
महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी उठा-पटक शनिवार यानी 23 नवंबर की सुबह 6 बजे के करीब तक खत्म आखिरकार खत्म हो गई। आइए जानते हैं राज्य में कब और क्यों लगा था राष्ट्रपति शासन।
नई दिल्ली, पीटीआइ। महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी उठा-पटक शनिवार यानी 23 नवंबर की सुबह 6 बजे के करीब आखिरकार खत्म हो गया है। 21 नवंबर राज्य में लागू हुए राष्ट्रपति शासन को 23 नवंबर की सुबह हटा दिया गया। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई और एनसीपी नेता अजीत पवार को उप- मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई। इसके बाद सोशल मीडिया पर पीएम नरेंद्र मोदी समेत अन्य अधिकारियों ने उन्हें बधाई दी। एनसीपी मुखिया शरद पवार ने एनसीपी के नेता अजीत पवार के भाजपा को समर्थन का अपने से अलग बताया। उन्होंने कहा कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे में विपक्षी पार्टियों मं बयानबाजी शुरू हो गई है।
क्यों लगा था राष्ट्रपति शासन
महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को चुनाव हुए जबकि 24 अक्टूबर को मतों की गणना हुई। कुल 288 विधानसभा सीट वाले राज्य में भाजपा ने 105 सीटें हासिल की थी वहीं शिवसेना की तरफ से 56 सीट हासिल की थी। एनसीपी ने 54 तो कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी। साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली पार्टी शिवसेना और भाजपा की सीटे मिलाकर सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत था, लेकिन इस मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए महाराष्ट्र की राजनीति में एक महीने तक खेल चला। शिवेसना पार्टी चाहती थी राज्य में 50-50 के फॉर्मूले के साथ सरकार बने। यानी ढाई साल तक राज्य में शिवसेना की तरफ से मुख्यमंत्री बने और ढाई साल के लिए भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री। यहीं से भाजपा और शिवेसना की बीच शुरू हुई कलह।
भजापा ने शिवसेना के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और शिवसेना अपने फैसले पर अडिग थी। फिर क्या था लंबे समय तक चली खींचतान के बाद दोनों पार्टी अलग हो गई। काफी समय बीतने के बाद राज्यपाल ने सबसे पहले भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलाया, लेकिन भाजपा अपना बहुमत साबित नहीं कर पाई। इसके बाद राज्य में दूसरे नंबर पर आई पार्टी शिवसेना को राज्यपाल ने निमंत्रण दिया। लेकिन वह भी अपना बहुमत साबित करने में असफल रही। आखिरी में एनसीपी को अपना बहुमत हासिल करने के लिए बुलाया गया, लेकिन कोई भी पार्टी पूर्ण बहुमत साबित करने में असफल रही। किसी भी पार्टी के बहुमत साबित ना कर पाने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा।