MP Politics: मप्र के नए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने चुनौतियों का पहाड़
सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने चुनौतियों का पहाड़ उनके सामने खड़ा हुआ है। खजाना खाली है। प्रशासनिक व्यवस्था चरमराई हुई हैं।
वैभव श्रीधर, भोपाल। शिवराज सिंह चौहान उस दौर में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है, जब चुनौतियों का पहाड़ उनके सामने खड़ा हुआ है। खजाना खाली है। प्रशासनिक व्यवस्था चरमराई हुई हैं। किसानों की कर्जमाफी का दूसरा दौर चल रहा है और तीसरा चरण बाकी है।
औद्योगिक विकास को लेकर जो पहल हुई है, उसे मंजिल तक पहुंचाना है तो 24 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के साथ नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव कुछ माह में होना प्रस्तावित हैं। हालांकि, उनके साथ सकारात्मक पक्ष यह है कि उन्हें प्रशासन का लंबा अनुभव है और केंद्र सरकार के साथ बेहतर तालमेल भी स्थापित हो जाएगा।
राज्य पर दो लाख करोड़ कर्ज
कमल नाथ सरकार जब सत्ता में आई थी, तब यह आरोप शिवराज सरकार के ऊपर लगाए जाते थे कि वो खजाना खाली छोड़कर गए हैं। कमोबेश यही स्थिति आज भी बरकरार है। प्रदेश के ऊपर लगातार कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज हो चुका है।
महंगाई भत्ते के चाहिए 1500 करोड़
स्थिति यह है कि केंद्रीय कर्मचारियों को अक्टूबर में पांच प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाने की घोषणा करने के बाद मप्र में इसे मार्च में लागू किया गया। इसका भुगतान अप्रैल में दिए जाने वाले मार्च के वेतन में होगा। इसके लिए 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा का इंतजाम करना होगा।
'संबल' के विस्तार का बोझ
पिछली शिवराज सरकार ने मुख्यमंत्री जनकल्याण योजना 'संबल' के माध्यम से 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली देने की योजना लागू की थी। कमल नाथ सरकार ने इसका दायरा 150 यूनिट प्रतिमाह उपयोग करने वालों तक बढ़ा दिया। इससे सरकार पर सब्सिडी का भार 13 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 17 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
कर्जमाफी के चाहिए 13000 करोड़
कांग्रेस की सत्ता में वापसी की राह आसान बनाने वाली किसान कर्जमाफी योजना का दूसरा चरण चल रहा है। राजनीतिक दृष्टिकोण से इस योजना में छेड़छाड़ आसान नहीं होगी। सरकार को इसके लिए 5000 करोड़ रुपये का इंतजाम फौरी तौर पर करना होगा। इसके बाद तीसरा और अंतिम दौर शुरू होगा। इसमें करीब पांच लाख किसानों को कर्जमाफी दिए जाने की संभावना है। इसमें चालू खाते में दो लाख रुपये तक कर्जमाफी होनी है। इसके लिए करीब 8000 करोड़ रुपये से ज्यादा का इंतजाम करना होगा।
निवेश व विकास की चुनौती
मप्र के औद्योगिक विकास को लेकर कई प्रोजेक्ट प्रक्रिया में हैं। इन्हें तेजी से अमल में लाने के साथ निवेश को आकर्षित करने के कदम उठाने होंगे, क्योंकि विकास की गति को बढ़ाने के लिए आर्थिक गतिविधियां बढ़ानी होंगी। सेवानिवृत्ति और पदोन्नति वित्त विभाग के अनुसार दिसंबर 2020 तक 13 हजार से ज्यादा कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे। इनकी देनदारी चुकाने के लिए साढ़े चार-पांच हजार करोड़ रुपये का इंतजाम करना होगा। पदोन्नति में आरक्षण प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण पूर्व की तरह बड़ा मुद्दा बना हुआ है। 2018 के विधानसभा चुनाव में इसने बड़ी भूमिका निभाई थी। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इसे लेकर सरकार को स्पष्ट रणनीति बनानी होगी, ताकि कर्मचारियों की नाराजगी दूर की जा सके।