जरूरत के समय क्यों गायब हो जाते हैं राहुल, जानिए कब-कब विदेश दौरे पर गए
कई बार ऐसा हो चुका है जब पार्टी को जरूरत हो और राहुल गांधी विदेश यात्रा पर निकल गए हों। हाल ही में कांग्रेस की 136वें स्थापना दिवस से ठीक एक दिन पहले ही राहुल विदेश यात्रा पर चले गए। जिसको लेकर विपक्ष ने निशाना भी साधा।
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी महत्वपूर्ण अवसरों पर अक्सर गायब होते रहे हैं। राजनीतिक दलों द्वारा उनकी इस प्रवृत्ति पर पहली बार वर्ष 2015 में ध्यान दिया गया और वे विपक्षियों के निशाने पर आए। तब से अब तक कई बार वे विपक्ष के निशाने पर रहे लेकिन कांग्रेस के स्थापना दिवस पर उनका अचानक विदेश दौरे पर चले जाना उनकी ही पार्टी में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता भी इस बार नाखुश और निराश नजर आ रहे हैं। एक ओर जहां देश के गृहमंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गैर भाजपाई राज्यों में पार्टी का परचम फहराने के लिए स्थानीय व नगरीय निकाय के चुनावों में भी सक्रिय हैं। गुजरात में तो वे बूथ कार्यकर्ता के तौर पर भी सेवाएं देने से नहीं झिझके। ऐसे में राहुल गांधी का राष्ट्रीय महत्व के अवसरों पर बार-बार अनुपस्थित रहना उनकी अपरिपक्व नेता की छवि पर और गहरा रंग चढ़ाता जा रहा है।
कब-कब विदेश दौरे पर गए राहुल
- वर्ष 2013 में जब उत्तराखंड में बाढ़ का कहर बरपा था तो उस समय राहुल विदेश में छुट्टी मना रहे थें। उस समय कांग्रेस की ही सरकार थी।
-वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले वे अचानक छुट्टियां मनाने चले गए थे। इस बीच एक खुली जीप पर घूमते हुए राहुल की फोटो वायरल हुई थी। बताया गया था यह रणथंभौर के नेशनल पार्क की है।
- वर्ष 2015 में असम चुनाव के बीच में राहुल गांधी फ्रांस चले गए थे।
- वर्ष 2015 के ही फरवरी माह में वे देश से बाहर चले गए थे। वे 57 दिन बाद जब दिल्ली लौटे तो पता चला कि वह बैंकाक, म्यामांर घूमने गए थे। इसको उन्होंने आध्यात्मिक यात्र बताया था। इसकी काफी चर्चा रही और विपक्ष ने इस मुद्दे को खूब उछाला था।
- वर्ष 2016 में इंग्लैंड दौरे पर चले गए जब पंजाब चुनाव होना था।
- वर्ष 2019 के अक्टूबर में राहुल अचानक विदेश रवाना हो गए जब कांग्रेस अर्थव्यवस्था को लेकर पूरे देश में मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलित थी। इस यात्र से पार्टी के भीतर भी विरोध के स्वर उठने लगे थे।
- वर्ष 2019 दिसंबर को उन्होंने दक्षिण कोरिया का दौरा किया। इसी समय देश में सीएए को लेकर कानून पारित हो रहा था।
- 2020 के शुरूआती दौर में वे नेपाल चले गए। मानसून सत्र के दौरान भी वे मां सोनिया के इलाज के लिए अमेरिका में थे। इस दौरान मानसून सत्र चल रहा था। इसी अवधि में कृषि बिल पास हुआ था।
- 2020 दिसंबर में जब किसान आंदोलन चरम पर है और कांग्रेस इसके समर्थन में है। ऐसे में वे विदेश दौरे पर चले गए। इसी दौरान कांग्रेस का स्थापना दिवस आया। जिसमें वे नदारद रहे।
..और विपक्ष की ऐसी तैयारी
प्रधानमंत्री मोदी सातों दिन चौबीस घंटे काम करने का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। गृहमंत्री अमित शाह और अन्य सभी नेताओं ने बिहार चुनाव के दौरान बूथ स्तर पर जाकर मॉनिटरिंग की। बंगाल में तो क्षेत्रवार जिम्मेदारियां सौंप दी। बिहार चुनाव के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बयान दिया कि मैं अगले 100 दिन बिहार के उन जिलों के प्रवास पर रहूंगा, जहां हम कमजोर रहे। केरल में कांग्रेस मुख्य पार्टी के रूप में है लेकिन वहां से सांसद होने के बावजूद राहुल गांधी का एक भी बयान नहीं आया।
भारत का सांस्कृतिक माहौल ऐसा नहीं है जिसमें लोग पार्टी करने वाले या विदेशी संस्कृति को मानने वाले नेता को पसंद नहीं करते हैं। दरअसल सार्वजनिक जीवन में यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आप क्या हैं? बल्कि यह मायने रखता है कि आपके बारे में क्या धारणा बन रही है? राहुल गांधी को लेकर एक धारणा बनती जा रही है या कहें कि बन चुकी है कि वे अगंभीर नेता हैं। इसकी वजह से कांग्रेस को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है। राजनीति में कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए खुद उदाहरण प्रस्तुत करना पड़ता है। विपक्षी दल यही कर रहा है।
(प्रदीप सिंह, राजनीतिक विश्लेषक)