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शेयर बाजार में ऐसे नहीं आया इतना बड़ा उछाल, 1 माह में सरकार ने उठाए ये 10 बड़े कदम

दुनिया इस वक्त वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही है। भारत में भी मंदी की आहट है। इससे निपटने के लिए सरकार लगातार आर्थिक सुधार के फैसले ले रही है। जानें- कौन से हैं वो फैसले?

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 06:19 PM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 07:38 AM (IST)
शेयर बाजार में ऐसे नहीं आया इतना बड़ा उछाल, 1 माह में सरकार ने उठाए ये 10 बड़े कदम
शेयर बाजार में ऐसे नहीं आया इतना बड़ा उछाल, 1 माह में सरकार ने उठाए ये 10 बड़े कदम

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। एक तरफ अमेरिका सहित पूरी दुनिया, मंदी की आहट से परेशान है। वहीं भारत न केवल वैश्विम मंदी को मात दे रहा है, बल्कि देश की जनता को राहत प्रदान करने के लिए सरकार लगातार आर्थिक सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण घोषणाएं कर रही है। इसका असर शुक्रवार को शेयर बाजार में भी देखने को मिला। आइये जानतें हैं- वैश्विक मंदी से बचने के लिए सरकार ने कौन से 10 बड़े कदम उठाए हैं और इनका आप पर किस तरह से पड़ेगा असर?

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मंदी को मात देने के 10 बड़े फैसले...

1. सरकारी बैंकों का मेगा मर्जर

30 अगस्त 2019 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 10 सरकारी बैंकों के मेगा मर्जर (विलय) की घोषणा की थी। 10 बैंकों का विलय कर चार बैंक बनाए गए हैं। पंजाब नेशनल बैंक (PNB), ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) और यूनाइटेड बैंक का एक में विलय कर इसे देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बनाया गया है। इसका बिजनेस 17.95 लाख करोड़ रुपये होगा। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक को एक में मिलाकर देश का पांचवां सबसे बड़ा बैंक बनाया गया है। इसका बिजनेस 14.59 लाख करोड़ रुपये होगा। इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक का विलय कर देश का सातवां सबसे बड़ा बैंक बनाया गया है। इसका बिजनेस 8.08 लाख करोड़ रुपये होगा। केनार बैंक और सिंडिकेट बैंक का विलय कर इसे देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक बनाया गया है। इसका बिजनेस 15.20 लाख करोड़ रुपये होगा।

साथ ही वित्त मंत्री ने इन बैंकों को घाटे से उबारने के लिए 55,250 करोड़ रुपये का राहत पैकेज भी दिया था। इसमें PNB को 16000 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 11700 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा को 7000 करोड़ रुपये, केनरा बैंक को 6500 करोड़ रुपये, इंडियन बैंक को 2500 करोड़ रुपये, इंडियन ओवरसीज बैंक को 3800 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को 3300 करोड़ रुपये, यूको बैंक को 2100 करोड़ रुपये, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को 1600 करोड़ रुपये और पंजाब एंड सिंध बैंक को 750 करोड़ रुपये दिए जाने की घोषणा की गई थी।

2. ब्याज दरों में कटौती

RBI ने सात अगस्त 2019 को ब्याज दरें कम करने के लिए रेपो दर में 0.35 फीसद की कटौती की थी। इससे पहले फरवरी 2019 से अगस्त 2019 के बीच आरबीआई ने चार बार ब्याज दरों में कटौती की थी। सरकार द्वारा इस साल अगस्त माह तक ब्याज दरों में 1.10 फीसद की कटौती की जा चुकी है। फिच सॉल्यूशन ने उम्मीद जताई है कि मार्च 2020 तक आरबीआई नीतिगत ब्याज दरों में 40 आधार अंक (0.40 फीसद) की और कटौती कर सकता है।

3. ब्याज दरों में नहीं चलेगी मनमानी

आरबीआई द्वारा बार-बार रेपो रेट घटाने के बावजूद बैंकों द्वारा इसका फायदा ग्राहकों को नहीं पहुंचाया जा रहा था। आरबीआई व सरकार के निर्देश के बावजूद बैंक ब्याज दरों में कटौती में आनाकानी कर रहे थे। इससे निपटने के लिए पांच सितंबर को रिजर्व बैंक ने अहम फैसला लिया था। इसके तहत एक अक्टूबर 2019 से बैंकों को फ्लोटिंग रेट पर दिये जाने वाले नए पर्सनल लोन, ऑटो लोन, होम लोन और एमएसएमई लोन को रेपो रेट से लिंक करना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे पुराने लोन पर तो ब्याज कम होगा ही, नए लोन भी अपने आप सस्ते हो जाएंगे। बैंकों को एक अक्टूबर से इस नियम को लागू करना अनिवार्य कर दिया गया है।

4. MSME के कर्ज को NPA से राहत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज, 20 सितंबर 2019 को ही बैंक प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर निर्देश दिए हैं कि मार्च 2020 तक सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (MSME) के दबाव वाले कर्ज को एनपीए घोषित नहीं किया जाए। इसके अलावा बैंकों से एमएसएमई के कर्ज के पुनर्गठन पर काम करने के लिए भी कहा गया है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि रिजर्व बैंक की ओर से पहले ही सर्कुलर जारी किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से एमएसएमई क्षेत्र को मदद मिलेगी। वित्त मंत्री ने बताया कि बैंकों ने कुछ ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की पहचान की हैं, जिन्हें कर्ज उपलब्ध कराया जा सकता है। ऐसे में कर्ज लेने के इच्छुक लोगों को नकदी और कर्ज उपलब्ध कराया जा सकेगा।

5. कंपनियों को दी बड़ी राहत

20 सितंबर 2019 को ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक से पहले घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स में लगभग 10-12 फीसद की कमी का ऐलान किया है। वित्त मंत्री ने कहा कि नया टैक्स रेट चालू वित्त वर्ष से ही लागू होगा। सरकार ने नई मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को भी कर में 12 फीसद की कटौती के जरिए बड़ी राहत दी है। वित्त मंत्री की इस घोषणा के साथ ही शेयर बाजार झूम उठा और उसने नया रिकॉर्ड बना लिया। एक अक्‍टूबर, 2019 के बाद स्‍थापित होने वाली कंपनियों के पास 15 फीसद की दर से टैक्‍स का भुगतान करने का विकल्‍प होगा। नई मैन्‍युफैक्‍चरिंग कंपनियों के लिए टैक्‍स की प्रभावी दर सरचार्ज और टैक्‍स सहित 17.01 फीसद होगी।

6. FPI व घरेलू इक्विटी निवेशकों से सरचार्ज खत्म

सरकार ने 23 अगस्त 2019 को फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआइ) और घरेलू इक्विटी इन्वेस्टर्स पर बढ़ाए गए सरचार्ज को वापस लेने का एलान किया था। हालांकि धनी व्यक्तियों पर बढ़ा सरचार्ज फिलहाल जारी रखा गया है। सरकार इसकी समीक्षा तीन साल बाद करेगी। ऑटो सेक्टर में मांग बढ़ाने के लिए सरकारी विभाग नए वाहन खरीदेंगे और एमएसएमई के लंबित सभी जीएसटी रिफंड एक महीने के भीतर जारी कर दिए जाएंगे। साथ ही एनबीएफसी तथा बैंकों को अतिरिक्त लिक्विडिटी उपलब्ध कराने और डीपीआइआइटी में पंजीकृत स्टार्ट-अप के लिए एंजल टैक्स का प्रावधान खत्म करने का फैसला किया गया था।

7. कैपिटल मार्केट को बढ़ावा

‘कैपिटल मार्केट में निवेश को बढ़ावा देने के लिए शेयर और यूनिट के ट्रांसफर से होने वाले लांग टर्म व शॉर्ट कैपिटल गेन्स पर बढ़े हुए सरचार्ज को हटाने का फैसला किया गया है।’ 23 अगस्त को इस फैसले की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथन को दोहराते हुए कहा कि हम वेल्थ क्रिएटर्स का सम्मान करते हैं।

8. रिजर्व बैंक से कर्ज

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) प्रत्येक साल अपने लाभ का एक हिस्सा केंद्र सरकार को देता रहा है। इस बार केंद्र सरकार ने आरबीआई से ज्यादा धन की मांग की थी, जिसे केंद्रीय बैंक ने स्वीकार कर लिया है। भारतीय रिजर्व बैंक के पास पिछले वित्त वर्ष में 9.56 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का रिजर्व या संचित धन था, जिसमें से वह बिमल जालान समिति की सिफारिश से 1.76 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार को दे रहा है। सरकारी बैंकों को बल देने और विकास योजनाओं पर खर्च के लिए सरकार को ज्यादा धन की जरूरत है।

9. रीयल एस्टेट को राहत

14 सितंबर 2019 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लंबे समय से सुस्त पड़े रीयल एस्टेट सेक्टर में जान फूंकने के लिए कई महत्वूपर्ण घोषणाएं की थीं। उन्होंने अफोर्डेबल और मिडिल इनकम हाउसिंग प्रोजेक्‍ट्स के लिए स्‍पेशल विंडो बनाने की बात कही। इसके लिए एक्सपर्ट लोगों को रखा जाएगा, जिससे लोगों को घर लेने में आसानी होगी और लोन भी आसानी से मिल सकेगा। हाउसिंग सेक्टर को गति देने के लिए सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये के फंड 60 फीसद तक पूरे हो गए लटके प्रॉजेक्ट को देने की घोषणा की है। हालांकि इसमें शर्त है और वह यह है कि प्रोजेक्ट NPA और NCLT में नहीं होना चाहिए। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे 3.5 लाख घरों को फायदा मिलेगा। उन्होंने बताया इतना ही फंड रीयल एस्टेट सेक्टर के लिए बाहर से लगाया जाएगा।

10. निर्यातकों के लिए कर्ज प्राथमिकता

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 14 सितंबर 2019 को निर्यातकों के लिए कर्ज प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए कर्ज आवंटन के संशोधित नियमों (पीएसएल) की घोषणा की थी। इससे निर्यातकों को 36,000 करोड़ रुपये से लेकर 68,000 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त वित्तीय मदद मिलेगी। उन्होंने निर्यातकों को कर्ज के लिए पीएसएल नियमों की समीक्षा की भी बात कही थी। वित्त मंत्री ने कहा था कि इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बात-चीत चल रही है। साथ ही निर्यात कर्ज गारंटी निगम (ईसीजीसी), निर्यात कर्ज बीमा योजना का दायरा बढ़ाएगा। सीतारमण ने कहा कि इस पहल की सालाना लागत 1,700 करोड़ रुपये आएगी। साथ ही यह ब्याज दर समेत निर्यात कर्ज की पूरी लागत को विशेषकर लघु एवं मझोले कारोबारों के लिए कम करने में मदद करेगी।

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