केरल सरकार ने अपनाया बागी रवैया, कहा- राज्य में NPR नहीं कर सकते लागू, NRC से भी रहेंगे दूर
केरल मंत्रिमंडल ने जनगणना आयुक्त को यह सूचना देगा कि राज्य जनगणना के दौरान राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (National Population Register यानी NPR) को लागू नहीं करेगा।
तिरुवनंतपुरम, आइएएनएस। Kerala Cabinet dicide that NPR can not be implemented in State केरल सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह राज्य में NPR को लागू नहीं कर सकती है। सरकार ने सोमवार को कैबिनेट की एक विशेष बैठक बुलाई और जनगणना रजिस्ट्रार जनरल को यह सूचित करने का फैसला किया कि केरल राज्य जनगणना अभियान के दौरान नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी NPR को लागू नहीं करेगा। केरल सरकार के इस फैसले से केंद्र और राज्य के बीच टकराव की स्थिति बन सकती है।
राज्य स्थानीय प्रशासन मंत्री एसी मोइदीन AC Moideen ने कहा कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन Pinarayi Vijayan पहले सही साफ कर चुके हैं कि राज्य जनगणना निदेशालय को सूचित करेगा कि एनपीआर की तैयारियों के लिए कुछ विशेष सवालों को यहां शामिल नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कैबिनेट की बैठक में यह तय हुआ कि राज्य में जनगणना कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाएगा लेकिन लोगों से NPR से संबंधित सवालों के जवाब देने के लिए नहीं कहा जाएगा।
केरल सरकार ने NPR या NRC के मसले पर ही नहीं संशोधित नागरिकता कानून के मुद्दे पर भी बागी रुख अपनाया है। अभी कल ही इस मसले पर राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने स्पष्ट कर दिया था कि वह इस मामले में 'मूक दर्शक' नहीं बनेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि देश के कानून का पालन हो। उन्होंने रविवार को कहा था कि संविधान का पालन होकर रहेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को साफ लफ्जों में कहा था कि जनता से जुड़े मामले और सरकार के कामकाज को किसी नेता या राजनीतिक दल के जुनून पर नहीं चलाया जा सकता है।
इस बीच समाचार एजेंसी पीटीआइ की जानकारी के मुताबिक, केरल के मुख्य सचिव ने राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान (Governor Arif Mohammed Khan) से मुलाकात की है। केरल राजभवन ने राज्यपाल को बताए बिना केरल सरकार के नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने पर मुख्य सचिव से रिपोर्ट तलब की थी। केरल सरकार ने बीते 13 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में CAA कानून को चुनौती देते हुए इसे संविधान का उल्लंघन करार देने की मांग की थी। बीते दिनों केरल सरकार ने नागरिकता संशोधन एक्ट को वापस लेने की मांग वाले एक प्रस्ताव को विधानसभा से पारित कराया था।