केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना: दोनों ही राज्य ज्यादा पानी के दावें से नहीं हट रहे पीछे, संसद में उठा सवाल
नदियों को जोड़ने की इस मुहिम को 2002 में तत्कालीन अटल बिहारी बाजपेयी सरकार ने शुरु की थी। इसमें सबसे पहले केन-बेतवा पर काम शुरु किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना को लेकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच अभी भी पानी की हिस्सेदारी सहित कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पायी है। बावजूद इसके केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में दोनों ही राज्यों के बीच सभी मुद्दों पर जल्द समाधान की जानकारी दी है। इस बीच दोनों राज्यों के बीच मुद्दों को सुलझाने के लिए बैठकें चल रही है। हाल ही में 26 फरवरी को भी दोनों के बीच सभी मुद्दों पर समाधान को लेकर भी चर्चा हुई है। जिसमें दोनों राज्यों के जल और राजस्व विभाग के सचिवों ने हिस्सा लिया था।
नदियों को जोड़ने की इस मुहिम को 2002 में तत्कालीन अटल बिहारी बाजपेयी सरकार ने शुरु की थी। इसमें सबसे पहले केन-बेतवा पर काम शुरु किया है। साथ ही इन नदियों के पानी से बुंदेलखंड की जल्द ही प्यास बुझाने की सपना भी बुना गया, लेकिन तब से आज तक यह परियोजना विवादों में ही उलझी हुई है।
पर्यावरण मंत्रालय की मिली मंजूरी
हालांकि इस बीच मौजूदा सरकार ने केन-बेतवा के नदी जोड़ परियोजना के पहले और दूसरे चरण की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर ली है। साथ ही इसे पर्यावरण मंत्रालय की भी मंजूरी मिल चुकी है। ऐसे में जब परियोजना पर काम शुरु होने की बारी आई, तो दोनों राज्यों ने पानी की हिस्सेदारी को लेकर अपने-अपने अलग-अलग दावे ठोक दिए।
हालांकि इस बीच केंद्र की दखल के बाद दोनों राज्यों के बीच सहमति भी बनी, लेकिन अब भी दोनों राज्य इसे लेकर सहमत नहीं है। राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि जल की हिस्सेदारी सहित दूसरे कई मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों राज्यों के साथ इसे लेकर गठित कार्यबल काम कर रहा है।
नदियों की जलधारा को रोककर नहीं हो रहा है अवैध खनन: जावेडकर
केन-बेतवा सहित बुंदेलखंड क्षेत्र में नदियों की जलधारा को रोककर बालू व खनिजों के अवैध उत्खनन को लेकर संसद में किए गए सवाल को पर्यावरण मंत्रालय ने गलत बताया है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने बताया कि इससे जुड़े सवाल के जवाब में बताया है कि वैसे तो अवैध खनन, ढुलाई, भंडारण को रोकने की विषय राज्य सरकारों का है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक नदियों की जलधारा को रोककर बुंदेलखंड में कहीं भी अवैध उत्खनन नहीं हो रहा है।