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करुणानिधिः सियासत से दूर तो हुए लेकिन कभी राजनीति को अलविदा नहीं कहा

साल 2016 में अपने बेटे को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उन्होंने सक्रिय राजनीति से किनारा तो किया लेकिन अलविदा नहीं कहा।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 07 Aug 2018 08:59 PM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 12:19 AM (IST)
करुणानिधिः सियासत से दूर तो हुए लेकिन कभी राजनीति को अलविदा नहीं कहा
करुणानिधिः सियासत से दूर तो हुए लेकिन कभी राजनीति को अलविदा नहीं कहा

नई दिल्ली (जेएनएन)। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) प्रमुख और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि (94) का मंगलवार शाम निधन हो गया। वे 11 दिन से कावेरी अस्पताल में भर्ती थे। कावेरी अस्पताल ने कहा- तमाम कोशिशों के बावजूद हम उन्हें बचा नहीं पाए। करुणानिधि ने शाम 6:10 बजे अंतिम सांस ली।

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करुणानिधि 33 साल की उम्र में साल 1957 में उन्होंने पहली बार कुलीथलाई सीट से जीत हासिल कर तमिलनाडु विधानसभा में कदम रखा। साल 1969 में अन्नादुराई के निधन के बाद वह पहली बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। उसके बाद तमाम उतार-चढ़ावों के बीच 1971-76, 1989-91, 1996-2001 और 2006-11 के दौरान पांच बार मुख्यमंत्री का पद संभाला। साल 2016 में अपने बेटे को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उन्होंने सक्रिय राजनीति से किनारा तो किया लेकिन अलविदा नहीं कहा।

करुणानिधि ने तीन शादियां की थी। उनकी पहली पत्नी पद्मावती का कम उम्र में निधन हो गया। इस शादी से उनके एक बेटे एमके मुथु हैं। इसके बाद करुणानिधि ने दयालु अम्माल और रजति अम्माल से शादी की। दयालु और करुणानिधि के बच्चे एमके अलागिरि, एमके स्टालिन, एमके तमिलारासू और बेटी सेल्वी हैं। तीसरी शादी से उनकी इकलौती बेटी कनिमोझी हैं जो राज्यसभा सांसद भी हैं।

करुणानिधि ने कई किताबें भी लिखीं। इनमें उनकी आत्मकथा नेन्जुक्कू नीति (दिल के लिए इंसाफ) भी शामिल है। वो कुछ वक्त के लिए पार्टी के मुखपत्र के संपादक भी रहे। करुणानिधि ने आखिरी विधानसभा चुनाव थिरुवरूर विधानसभा सीट से जीता था। साल 2016 के चुनाव में उन्होंने पूरे राज्य में सबसे ज़्यादा अंतर से जीत दर्ज की थी। 

सक्रिय राजनीति से दूर रहने के बाद करुणानिधि का घर से बाहर आना लगभग बंद ही हो गया था। तीन जून, 2018 को जब को 94 साल के हुए तो वो अाखिरी बार लोगों के सामने आए थे।

कभी चुनाव नहीं हारे
13 बार विधानसभा सदस्य रहे करुणानिधि के नाम हर चुनाव में अपनी सीट न हारने का रिकॉर्ड भी रहा। 92 साल की उम्र में 2016 में वह 13वीं बार चुने गए थे। उन्होंने 1969 में पहली बार राच्य के मुख्यमंत्री का पद संभाला था। 2006 में आखिरी बार मुख्यमंत्री बने थे। द्रमुक अध्यक्ष पद पर भी वह 1969 से बने रहे।

मोदी ने कहा, हमेशा याद रखेगा देश
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, 'करुणानिधि के निधन से गहरा धक्का लगा। वह देश के वरिष्ठतम नेताओं में से एक थे। हमने जमीन से जुड़े एक नायक को खो दिया है। लोकतंत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध नेता को आपातकाल के खिलाफ कड़े विरोध के लिए याद किया जाएगा।'


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