कर चोरी मामले में कार्ति चिदंबरम की डिस्चार्ज अर्जी खारिज
कोर्ट ने कार्ति और उनकी पत्नी को 21 को हाजिर होने का दिया आदेश वारंट जारी करने की चेतावनी भी दी
चेन्नई, प्रेट्र। तमिलनाडु की एक विशेष अदालत ने कर चोरी के मामले में कांग्रेस सांसद व पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम तथा उनकी पत्नी श्रीनिधि की आरोपमुक्त करने करने संबंधी (डिस्चार्ज) अर्जी खारिज कर दी। साथ ही अगली तिथि पर उपस्थित नहीं रहने पर वारंट जारी करने की भी चेतावनी दी।
विधायक व सांसदों के मामलों की सुनवाई के लिए गठित चेन्नई की विशेष अदालत के जज डी. लिंगेश्वरन ने कार्ति व उनकी पत्नी की डिस्चार्ज अर्जी पर मंगलवार को सुनवाई की। जज ने अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत साक्ष्यों के तथ्यों को मुकदमा चलाने के लिए उपयुक्त पाया और कार्ति तथा उनकी पत्नी की डिस्चार्ज अर्जी को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अभियोजन को इस मामले में आरोपपत्र दाखिल करने का आदेश देते हुए दोनों आरोपितों को 21 जनवरी को हाजिर होने का आदेश दिया। साथ ही अनुपस्थित रहने पर वारंट जारी करने की चेतावनी भी दी।
मामला मुट्टुकांडु में जमीन की बिक्री से संबंधित है। आरोप है कि कार्ति व उनकी पत्नी ने जमीन की बिक्री से मिली 1.35 करोड़ की नकदी को आयकर विभाग से छिपाया। बता दें, विशेष सरकारी वकील एम. शीला के अनुसार यह मामला मुत्तुकाडू के पास एक जमीन से जुड़ा है। यह जमीन कार्ति चिदंबरम का था और इसके बिक्री के लिए कार्ति ने नकद में 3.38 करोड़ और उनकी पत्नी श्रीनिधि ने 1.35 करोड़ लिए थे।हालांकि उन लोगों ने ना अपने मूल्यांकन में इसका खुलासा किया है और ना ही आय के लिए करों का भुगतान किया है।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि लेनदेन पूरा होने के बाद वर्ष 2015 में आयकर रिटर्न भी दाखिल किया गया था। उस समय कार्ति सांसद नहीं थे। आयकर विभाग के उपनिदेशक (अनुसंधान), चेन्नई ने इस मामले में 12 सितंबर 2018 को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट-2 (आर्थिक अपराध) में शिकायत दर्ज कराई थी। बाद में इस मामले को विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया।