करतारपुर कोरिडोर पर पड़ रहा है पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली का असर
पाकिस्तान न सिर्फ श्रद्धालुओं की सुविधाओं में कटौती कर रहा है बल्कि वीजा की जगह जिस परमिट का प्रस्ताव किया है उसमें वीजा से भी अधिक जानकारियां मांगी गई हैं।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। पाकिस्तान की आर्थिक तंगहाली का असर करतारपुर कोरिडोर पर भी पड़ रहा है। भारत जहां अपनी तरफ सर्विस लेन के साथ छह लेन का हाईवे बना रहा है और प्रतिदिन दस हजार श्रद्धालुओं को सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए एयरपोर्ट की सुविधाओं से लैस टर्मिनल तैयार कर रहा है, वहीं पाकिस्तान अपनी ओर केवल दो लेन की सड़क ही बना पा रहा है। यही नहीं, वह प्रतिदिन 700 श्रद्धालुओं से अधिक को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। हालात यह है कि पाकिस्तान रावी नदी के डूब क्षेत्र में पुल बनाने में भी आनाकानी कर रहा है।
करतारपुर कोरिडोर की तैयारियों से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार भारत में कोरिडोर से जुड़ा काम तेजी से हो रहा है और लगभग 45 फीसदी काम पूरा हो गया है। उनके अनुसार हाइवे का काम 30 सितंबर तक और श्रद्धालु टर्मिनल का काम 30 अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा। यहीं नहीं, रावी नदी के डूब क्षेत्र में भारत पुल बना रहा है और पाकिस्तान को भी अपनी तरफ पुल बनाने के लिए कह रहा है, लेकिन पाकिस्तान इसके लिए तैयार नहीं है।
पाकिस्तान डूब क्षेत्र में केवल थोड़ी ऊंचाई की सड़क बना रहा है, जो पानी बढ़ने की स्थिति में बंद हो जाएगा। यही नहीं, पाकिस्तान की तरफ सड़क बनने के लिए रावी नदी के डूब क्षेत्र में पानी का बहाव भी रुकेगा। भारत की ओर ढलान होने के कारण इससे आसपास की फसलों को नुकसान होने की आशंका है, लेकिन पाकिस्तान ने साफ कर दिया है कि वह फिलहाल यहां पुल बनाने की स्थिति में नहीं है।
भारत ने फैसला किया है कि वह अपनी ओर से पुल बनाकर तैयार रखेगा, ताकि पाकिस्तान पर भविष्य में अपनी तरफ पुल बनाने का दवाब बना रहे। इसके साथ ही हाईवे के सर्विस लेन की सड़क को पाकिस्तान की तरफ नीची सड़क से जोड़ा जाएगा।
पाकिस्तान के रवैये से हैरान एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसकी एक बड़ी वजह फंड की कमी लग रही है। 30 नवंबर को जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कोरिडोर की घोषणा की थी, तो श्रद्धालुओं को मुफ्त और वीजा फ्री इंट्री के साथ-साथ सारी सुविधाओं की बात की गई थी, लेकिन हकीकत में इसके उल्टा हो रहा है।
पाकिस्तान न सिर्फ श्रद्धालुओं की सुविधाओं में कटौती कर रहा है, बल्कि वीजा की जगह जिस परमिट का प्रस्ताव किया है, उसमें वीजा से भी अधिक जानकारियां मांगी गई हैं। यही नहीं, इस परमिट के लिए श्रद्धालुओं से फीस वसूलने की भी तैयारी में है। इसके साथ ही करतारपुर कोरिडोर के नाम पर दुनिया के दूसरे देशों में रहने वाले सिखों और उनके संगठनों से चंदा मांगने की बात भी सामने आ रही है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। उधारी चुकाने के लिए उसे आइएमएफ से कर्ज लेना पड़ रहा है। यही नहीं, डालर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत पिछले एक साल में 40 फीसदी तक गिर गई है।
दूसरी ओर, आतंकी फंडिंग रोकने में विफल रहने के कारण एफएटीएफ का शिकंजा भी कसता जा रहा है। पहले से निगरानी सूची में चल रहे पाकिस्तान को सितंबर तक आतंकी फंडिंग पर पूरी तरह रोक लगाने को कहा गया है और ऐसा नहीं होने की स्थिति में उस पर प्रतिबंधित सूची में डाले जाने का खतरा मंडरा रहा है।
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