कर्नाटक की सरकार से छंट रहे संकट के बाद, JDS विधायक बोले- ला सकता हूं BJP के 10 विधायक
एंग्लो इंडियन समुदाय के एक नामित सदस्य समेत कर्नाटक विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 225 है। इसमें स्पीकर समेत कांग्रेस के 80, जदएस के 37 और भाजपा के 104 सदस्य हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार से संकट के बादल छंटते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस विधायक रमेश जरकीहोली मंगलवार रात को बेंगलुरू पहुंच गए। वह पिछले कुछ दिनों से संपर्क से बाहर थे। इधर जेडीएस के विधायक नारायण गौड़ा भी मीडिया के सामने सफाई देते नजर आ रहे हैं। ऐसे में कर्नाटक में भाजपा का कथित 'ऑपरेशन कमल' एक बार फिर फेल होता दिख रहा है।
जेडीएस के विधायक नारायण गौड़ा ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा, 'देखिए, मेरे बारे में जो भी खबरें पिछले दिनों सुनने को मिलीं, उनमें कोई सच्चाई नहीं है। भारतीय जनता पार्टी कभी मुझे नहीं खरीद सकती। अगर मैं चाहूं, तो भाजपा के 10 विधायक ला सकता हूं। दरअसल, मैं फूड प्वाइज़निंग के बाद अस्पताल में भर्ती था। अगर किसी को इस बात पर संदेह है, तो मैं उसे बिल दिखा सकता हूं। मेरे पास अस्पताल के बिल भी हैं।' हालांकि, गौड़ा ने यह जरूर स्वीकार किया कि पार्टी में कुछ उठापटक चल रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी में कुछ अंदरूनी मुद्दे होंगे और हम हमेशा की तरह उन्हें सुलझा लेंगे।
बता दें कि हाल ही में संसद में भी कर्नाटक के जेडीएस और कांग्रेस के विधायकों की खरीद-फरोख्त का मुद्दा उठा था। लोक सभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने एक ऑडियो क्लिप का उदाहरण दिया जिसमें कथित तौर पर भाजपा नेता बीएस येद्दयुरप्पा द्वारा सत्ताधारी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन में शामिल एक विधायक को प्रलोभन देकर अपनी ओर मिलाने का आरोप लगाया गया है। इसके बाद कांग्रेस नेता सोनिया गांधी सहित विपक्षी पार्टी के सदस्यों ने सदन से वाकाउट किया। कर्नाटक से चुनकर आए खड़गे ने राज्य की स्थिति का जिक्र करते हुए दावा किया कि इस कथित ऑॅडियो क्लिप में विधान सभा अध्यक्ष और एक न्यायाधीश को भी प्रभावित करने की बात कही है।
ये है कर्नाटक का राजनीतिक गणित
एंग्लो इंडियन समुदाय के एक नामित सदस्य समेत कर्नाटक विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 225 है। लिहाजा बहुमत का आंकड़ा 113 का है। इसमें स्पीकर समेत कांग्रेस के 80, जदएस के 37 और भाजपा के 104 सदस्य हैं। इनके अलावा एक-एक विधायक बसपा, केपीजेपी और निर्दलीय का है। यहां भाजपा सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने के बाद भी सरकार नहीं बना पाई। हालांकि, कांग्रेस और जेडीएस को बार ये डर सताता है कि कहीं उनके विधायकों को तोड़कर भाजपा अपनी संख्या न बढ़ा ले और सत्ता पर काबिज हो जाए।