Karnataka Crisis: बागियों के खिलाफ व्हिप की मांग, कांग्रेस ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके मांग की है कि अदालत स्पष्ट करे कि 15 विधायकों को सदन की कार्यवाही से छूट देने का आदेश व्हिप जारी करने के अधिकार पर लागू नहीं होता है
नई दिल्ली, ब्यूरो/एजेंसी। कर्नाटक में जारी सियासी नाटक के बीच कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी दिनेश गुंडूराव ने सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक याचिका दाखिल करके पिछले 17 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी है। याचिका में गुजारिश की गई है कि कोर्ट स्पष्ट करे कि 15 विधायकों को सदन की कार्यवाही से छूट देने का आदेश पार्टी व्हिप जारी करने के संवैधानिक अधिकार पर लागू नहीं होता है। यह भी कहा गया है की 15 बागी विधायकों के बारे में सुप्रीम कोर्ट का आदेश पार्टी के अधिकारों का उल्लंघन है। पार्टी को 10वीं अनुसूची के तहत अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का पूरा अधिकार है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 बागी विधायकों के इस्तीफों पर अपने फैसले में कहा था कि इस्तीफों पर निर्णय लेने का अधिकार स्पीकर केआर रमेश कुमार पर छोड़ा दिया गया है। उन्हें समयसीमा के भीतर निर्णय लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने उक्त फैसला सुनाया था। अदालत ने कहा था कि बागी विधायक सदन की कार्रवाई में हिस्सा लेने या नहीं लेने के लिए स्वतंत्र हैं। विधायकों को इसके लिए बाध्य न किया जाए।
फिलहाल, स्पीकर की ओर से अभी तक फ्लोर टेस्ट के लिए वोटिंग नहीं कराया गया है। इस पर राज्यपाल वजूभाई वाला ने कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार को एकबार फिर बहुमत साबित करने के लिए शुक्रवार शाम छह बजे तक का वक्त दिया। इससे पहले राज्यपाल ने कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार को बहुमत साबित करने के लिए शुक्रवार दोपहर 1.30 बजे तक का वक्त दिया था। लेकिन आज नेताओं की बहस के कारण यह डेडलाइन बिना किसी फैसले के खत्म हो गई। विधानसभा को संबोधित करते हुए कुमारस्वामी ने अपने संबोधन में भाजपा पर तीखे हमले बोले और कहा कि उनके विधायकों को खरीदने की कोशिशें की गईं।
कुमारस्वामी ने भाजपा पर दल बदल रोधी कानून के उल्लंघन का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि 14 महीने सत्ता में रहने के बाद हम अंतिम चरण में हैं। आइये चर्चा करते हैं। जल्दबाजी किस बात की। हमारे विधायकों को लुभाने के लिए 40 से 50 करोड़ रुपये की पेशकश की गई। यह पैसे किसके हैं। हमारी पार्टी के विधायक श्रीनिवास गौडा (Srinivas Gowda) ने आरोप लगाया है कि उन्हें भाजपा की ओर से सरकार गिराने के लिए पांच करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया। कुमारस्वामी ने कहा कि आपकी सरकार उन लोगों के साथ कितनी स्थिर होगी जो अभी आपकी मदद कर रहे हैं। इस बात को मैं भी देखूंगा।
इससे पहले कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने उन टिप्पणियों को खारिज कर दिया कि वह मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की सरकार के भविष्य पर फैसला करने के लिए उनके द्वारा लाए विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान कराने में देरी करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं पक्षपात नहीं कर रहा हूं। आपकी कुछ आशंकाएं हो सकती हैं लेकिन मैं साफ कर दूं कि मेरे तटस्थ होने की गुंजाइश नहीं है। मैंने सार्वजनिक जीवन में निष्पक्ष नेतृत्व किया है। जो लोग मुझ पर टिप्पणियां कर रहे हैं वे अपना अतीत भी देख लें।
दूसरी ओर कर्नाटक में जारी राजनीतिक संकट को लेकर कांग्रेस और सहयोगी दलों के सदस्यों ने शुक्रवार को लोकसभा में हंगामा किया और सत्तारूढ़ भाजपा पर चुनी हुई सरकारों को गिराने का आरोप लगाते हुए सदन से वाकआउट किया। सदन में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस, राकांपा और द्रमुक के सांसदों ने आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी की। शून्यकाल में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा राज्यों में विरोधी दलों की चुनी सरकारों को गिराने की साजिश रच रही है। राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। सदन में बसपा के नेता कुंवर दानिश अली ने विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया जिस पर हंगामा हुआ।