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Karnataka Crisis: कुमारस्वामी सरकार का गिरना तय, अपने नेताओं की भूमिका से कांग्रेस नाखुश

कर्नाटक संकट के समाधान के लिए लगाए गए कांग्रेस के एक रणनीतिकार ने कहा कि इस फैसले के बावजूद सरकार का गिरना तय है क्योंकि कांग्रेस-जदएस के 15 विधायक लौटने को तैयार नहीं है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 09:07 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 09:07 PM (IST)
Karnataka Crisis: कुमारस्वामी सरकार का गिरना तय, अपने नेताओं की भूमिका से कांग्रेस नाखुश
Karnataka Crisis: कुमारस्वामी सरकार का गिरना तय, अपने नेताओं की भूमिका से कांग्रेस नाखुश

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्नाटक में बहुमत परीक्षण से पहले ही कांग्रेस ने मान लिया है कि कुमारस्वामी सरकार के बचने की अब कोई उम्मीद नहीं है। पाला बदलकर भागे कांग्रेस और जद एस विधायकों के वापस लौटने की हर कोशिश नाकाम होने के बाद कांग्रेस ने विधानसभा में नंबर जुटाने के प्रयास भी छोड़ दिए हैं। कर्नाटक के राजनीतिक नाटक के इस मोड़ पर पहुंचने को लेकर काफी हद तक सूबे के अपने कुछ दिग्गजों को भी जिम्मेदार मान रही है।

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कांग्रेस-जदएस के 15 विधायक लौटने को तैयार नहीं

कर्नाटक में गुरूवार को बहुमत परीक्षण से पहले विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को कांग्रेस आधिकारिक रुप से भले अपने हक में बताती रही। मगर अनौपचारिक चर्चा में कर्नाटक संकट के समाधान के लिए लगाए गए पार्टी के एक रणनीतिकार ने कहा कि इस फैसले के बावजूद कुमारस्वामी सरकार का गिरना तय है क्योंकि कांग्रेस-जदएस के 15 विधायक लौटने को तैयार नहीं है।

कर्नाटक में भाजपा की नई सरकार बनना भी करीब-करीब तय

वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि स्पीकर को इस्तीफा भेज देने वाले इन विधायकों को सदन में आने को बाध्य नहीं किया जा सकता। कांग्रेस-जदएस के विधायकों की संख्या सदन में 100 रह जाएगी जबकि इस समय भाजपा के साथ 107 विधायक हैं। ऐसे में कर्नाटक में भाजपा की नई सरकार बनना भी करीब-करीब तय है।

बहुमत साबित नहीं कर पाएगी कुमारस्वामी सरकार

कांग्रेस रणनीतिकारों के अनुसार व्हिप का उल्लंघन करने के चलते स्पीकर कांग्रेस और जदएस के विधायकों को अयोग्य ठहराने का फैसला भी लेते हैं तो भी सदन की वर्तमान संख्या के हिसाब से कुमारस्वामी सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाएगी।

अधिकांश बागी विधायक सिद्धारमैया के समर्थक

कांग्रेस रणनीतिकारों कहना था कि इस सियासी लड़ाई में गठबंधन को झटका लगने के लिए भाजपा की तोड़फोड़ की सियासत भले जिम्मेदार को मगर सूबे के शीर्ष कांग्रेस नेताओं की भूमिका भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है। खासकर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के रवैये से पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व नाखुश है। इस नाखुशी की वजह भी है क्योंकि कांग्रेस से पाला बदलकर भागे 12 विधायकों में से अधिकांश सिद्धारमैया के निकट समर्थक हैं। इसमें रामलिंगा रेड्डी जैसे पुराने विधायक भी शामिल हैं।

पूर्व सीएम सिद्धारमैया की भूमिका पर सवाल

सिद्धारमैया की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस रणनीतिकार ने कहा कि पूर्व सीएम का इन विधायकों से इतना पुराना निकट संबंध रहा था कि अगर वे पूरी सिद्धत से प्रयास करते तो इनको वापस पाले में लाना असंभव कार्य नहीं था। लेकिन कुमारस्वामी से अपनी पुरानी निजी खुन्नस के चलते सिद्धारमैया ने इन विधायकों को मनाने के गंभीर प्रयास नहीं किए।

सिद्धारमैया की देवेगौड़ा परिवार से प्रतिद्वंदिता 

कभी जदएस में रहे सिद्धारमैया की देवेगौड़ा परिवार खासकर कुमारस्वामी से प्रतिद्वंदिता किसी से छिपी नहीं है। इसी तरह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुंडूराव की भूमिका से भी केंद्रीय नेतृत्व असंतुष्ट है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि कांग्रेस के सबसे गहरे राजनीतिक संकट के इस दौर में भी वरिष्ठ नेता संगठन के हित को नुकसान पहुंचाकर अपने निजी सियासी अहं को तरजीह दे रहे हैं।


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