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वंदे मातरम पर बढ़ा विवाद तो कमलनाथ ने लिया यू-टर्न, लेकिन अब इस नए तरीके से होगा गान

राष्ट्रगीत वंदे मातरम पर बढ़े विवाद के बाद कमलनाथ सरकार ने यू टर्न ले लिया है। हालांकि, इस बार नए तरीके से गायन होगा।

By Vikas JangraEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 01:50 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 02:30 PM (IST)
वंदे मातरम पर बढ़ा विवाद तो कमलनाथ ने लिया यू-टर्न, लेकिन अब इस नए तरीके से होगा गान

भोपाल, नई दुनिया। पिछले दो दिनों से प्रदेश में राष्ट्रगीत वंदे मातरम (Vande Matram Debate) को लेकर चल रहा सियासी संग्राम अब थमता दिख रहा है। प्रदेश की कमलनाथ सरकार (CM Kamalnath) ने अपना फैसला वापस लेते हुए (U Turn) इसे नए स्वरुप में गाने की तैयारी कर ली है। अब हर महीने के पहले दिन सुबह 10.45 बजे पुलिस बैंड की धुन पर इसे गाया जाएगा। इतना ही नहीं इस दिन सभी सरकारी कर्मचारी शौर्य स्मारक से वल्लभ भवन तक मार्च करेंगे। इसमें आम लोगों को भी जोड़ा जाएगा। इस संबंध में सरकार ने आदेश जारी कर दिया है।

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अपने ब्लॉग में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 'वंदे मातरम' गीत का आजादी की लड़ाई के दौरान और आजादी के बाद के अर्थ को विस्तार से बताया। उन्होंने लिखा कि, वंदेमातरम का अर्थ आजादी की लड़ाई के दौरान भारत मां को ब्रिटिश हुकुमत से मुक्त कराना था, जिसका अर्थ आजादी के बाद भारत मां की वंदना करना है।

वहीं मुख्यमंत्री ने ब्लॉग में ये भी लिखा कि भारत मां की वंदना के लिए वो किसानों के हरे-भरे खेतों की खुशियों के लिए उनकी कर्जमाफी और फसलों के सही दाम सुनिश्चित कर रहे हैं। वे सुख देने वाला सुशासन लाने लिए निरंतर कोशिश कर रहे हैं। बेटियों के जीवन में खुशियों के लिए सशक्तिकरण का काम कर रहे हैं। युवाओं के उज्ज्वल भविष्य और गरीबों की जीत के लिए 20 दिन से सरकार काम कर रही है।

इसके अलावा अपने ब्लॉग में सीएम कमलनाथ ने विपक्ष को नसीहत देते हुए लिखा था कि, प्रदेश की जनता ने उन्हें जो जिम्मेदारी दी है, उसे समालोचना से निभाएं। इस तरह वंदेमातरम् को सही अर्थों में चरित्रार्थ करें और बेवजह विवाद की स्थिति बनाने के बजाय मध्य प्रदेश की वंदना में लग जाएं।

इससे पहले वंदे मातरम गाने पर रोक लगाने के कांग्रेस सरकार के फैसले के बाद भाजपा हरकत में आ गई थी। भाजपा ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया था। खुद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा था कि, वो सात जनवरी को प्रदेश के सभी 109 भाजपा विधायकों के साथ मध्य प्रदेश सचिवालय के बाहर वंदे मातरम गाएंगे।

इतना ही नहीं उन्होंने ट्वीट कर कांग्रेस सरकार को कोसते हुए लिखा था कि, अगर कांग्रेस को राष्ट्र गीत के शब्द नहीं आते हैं या फिर वंदे मातरम गाने में शर्म आती है तो मुझे बता दें! मैं हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में जनता के साथ वंदे मातरम गाऊंगा। वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी इस फैसले के खिलाफ वल्लभ भवन के बाहर प्रदर्शन किया था। 

बाबूलाल गौर ने शुरू किया था
वंदे मातरम का गायन हर महीने की पहली तारीख पर होता था। ये परंपरा पिछले 13-14 सालों से निभाई जा रही थी। हर महीने की पहली तारीख को मंत्रालय के सामने स्थित पार्क में अधिकारी-कर्मचारी वंदे मातरम गायन में शामिल होते थे और उसके बाद काम शुरू होता था। लेकिन नए साल की पहली तारीख को ये आयोजन नहीं हुआ। तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने इस परंपरा को शुरू किया था। तब से हर महीने की पहली तारीख को मंत्रालय के पार्क में सभी अधिकारी-कर्मचारी वंदे मातरम का गायन कर काम शुरू करते थे।


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