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विवाद से बचने के लिए कमलनाथ सरकार ने दी सूर्य नमस्कार की अनुमति

वंदे मातरम गायन पर घिरी मध्य प्रदेश सरकार ने सामूहिक सूर्य नमस्कार पर रोक लगाकर नए विवाद को जन्म देने से किनारा कर लिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 05 Jan 2019 08:21 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 08:52 AM (IST)
विवाद से बचने के लिए कमलनाथ सरकार ने दी सूर्य नमस्कार की अनुमति
विवाद से बचने के लिए कमलनाथ सरकार ने दी सूर्य नमस्कार की अनुमति

मनोज तिवारी, भोपाल। वंदे मातरम गायन पर घिरी मध्य प्रदेश सरकार ने सामूहिक सूर्य नमस्कार पर रोक लगाकर नए विवाद को जन्म देने से किनारा कर लिया है। यह आयोजन पिछले सालों की तरह ही 12 जनवरी को समूचे प्रदेश में होगा। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे हरी-झंडी दे दी है।

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भाजपा का आयोजन मानते हुए राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने सूर्य नमस्कार पर रोक लगा दी है, लेकिन मप्र में यह कार्यक्रम होगा। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि, पिछले सालों की तरह आयोजन करने को लेकर एक बड़ी अड़चन मुख्यमंत्री का भाषण है। गौरतलब है कि भाजपा ने स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में इस आयोजन को वर्ष 2009 में शुरू किया था।

चंद घंटों में मिली स्वीकृति
राजस्थान के बाद मप्र में भी सामूहिक सूर्य नमस्कार के आयोजन पर रोक लगने की आशंका थी, लेकिन सीएम सचिवालय से फाइल स्वीकृति के साथ लौटी। सूत्र बताते हैं कि सामूहिक सूर्य नमस्कार आयोजन की फाइल एक हफ्ते पहले सीएम सचिवालय को भेजी गई थी। यह फाइल गुरुवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने पहुंची और उन्होंने चंद घंटों में पहले की तरह ही आयोजन करने की स्वीकृति दे दी।

सीएम का भाषण करना होगा रिकॉर्ड
अफसरों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री इस मामले में निर्णय लेने से पहले उनसे बात करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अफसर अब मुख्यमंत्री के भाषण, मंत्रियों की जिलों में आयोजित कार्यक्रमों में उपस्थिति सहित अन्य तैयारियों को लेकर परेशान हैं। अब तक मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान का रिकॉर्डेड भाषण सुनाया जाता रहा है। आयोजन की स्वीकृति के बाद इस बार भी मुख्यमंत्री का भाषण सुनाया जाना है। इसके लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ का भाषण रिकॉर्ड करना पड़ेगा।

सूर्य नमस्कार आयोजन एक नजर में
सामूहिक सूर्य नमस्कार के दौरान प्रदेश के सभी सरकारी और निजी स्कूल-कॉलेजों में विद्यार्थियों को योग कराया जाता है। इस दौरान 12 आसन कराए जाते हैं। प्रदेशस्तरीय आयोजन भोपाल में होता था, जिसमें मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शामिल होते रहे हैं। जिला स्तरीय कार्यक्रमों में मंत्रियों सहित जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति अनिवार्य की जाती थी।


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