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कमलनाथ बोले- RSS से वैचारिक मतभेद, लेकिन सुरक्षा हटाने के फैसले का समर्थन नहीं करता

मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के भोपाल मुख्यालय से सुरक्षा हटाए जाने के बाद कमलनाथ बोले कि आरएसएस के साथ हमारे वैचारिक मतभेद लेकिन कार्यालय में सुरक्षा जारी रहेगी।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 10:42 AM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 03:22 PM (IST)
कमलनाथ बोले- RSS से वैचारिक मतभेद, लेकिन सुरक्षा हटाने के फैसले का समर्थन नहीं करता
कमलनाथ बोले- RSS से वैचारिक मतभेद, लेकिन सुरक्षा हटाने के फैसले का समर्थन नहीं करता

मध्य प्रदेश, जेएनएन। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश की राजनीति में एक नया बवाल शुरू हो गया है। खबर थी की राज्य की कमलनाथ सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के भोपाल मुख्यालय से सुरक्षा हटाने का फैसला किया है, जिसपर आरएसएस ने कड़ी आपत्ति भी जताई थी। लेकिन अब कमलनाथ ने कहा है कि आरएसएस के साथ हमारे वैचारिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन मैं भोपाल में उनके कार्यालय के बाहर से सुरक्षा हटाने के फैसले का समर्थन नहीं करता।

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कमलनाथ बोले अधिकारियों को आरएसएस कार्यालय में सुरक्षा जारी रखने का निर्देश दिया है। बता दें कि हाल ही में आरएसएस कार्यालय से सुरक्षा हटाए जाने की खबरों पर भोपाल के एएसपी(जोन- I) ने बताया था कि विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) के गार्ड को हटा दिया गया है, लेकिन सुरक्षा को नहीं हटाया गया है। उन्होंने बताया कि चुनाव के लिए सुरक्षा की जरूरत है, इसलिए 6 स्थानों से गार्ड हटाए गए, जिनमें RSS कार्यालय भी था। हालांकि उन्होंने बताया कि यह किसी के आदेश पर नहीं किया गया है। यह एक नियमित बात थी।

कांग्रेस ने भी की आलोचना
चुनाव से पहले संघ के दफ्तर से सुरक्षा हटाए जाने को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपने ही लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता दिग्विजय सिंह ने इस फैसले की आलोचना करते सुरक्षा को बहाल करने की मांग की है।

बता दें कि दिग्विजय सिंह भोपल सीट से ही लोकसभा उम्मीदवार हैं। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'भोपाल राष्ट्रीय सवयं सेवक संघ कार्यालय से सुरक्षा हटाना बिल्कुल उचित नहीं है, मैं मुख्यमंत्री कमलनाथ जी से अनुरोध करता हूं कि तत्काल पुन: पर्याप्त सुरक्षा देने का आदेश दें।

दरअसल, देर रात आरएसएस के भोपाल दफ्तर में तैनात जवानों को हटा लिया गया। यहां पर 2009 से मध्यप्रदेश सशस्त्र बल के जवानों को सुरक्षा में तैनात किया गया था। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने भी कमलनाथ सरकार के इस फैसले की अलोचना की है। चुनाव से ठीक पहले कमलनाथ सरकार के फैसले के बाद राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। 


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