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Opposition Politcs: विपक्षी एकता को जमीन पर उतारने के लिए बनेगी संयुक्त समन्वय समिति

भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों के राजनीतिक अभियान से लेकर आंदोलनों को संगठित और प्रभावी बनाने के मकसद से संयुक्त समन्वय समिति के गठन की तैयारी की जा रही है। बैठक में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने समन्वय समिति के गठन का सुझाव देते हुए इसकी जरूरत बताई।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 22 Aug 2021 08:05 PM (IST)Updated: Sun, 22 Aug 2021 08:05 PM (IST)
Opposition Politcs: विपक्षी एकता को जमीन पर उतारने के लिए बनेगी संयुक्त समन्वय समिति
विपक्षी एकजुटता की सियासी पहल को जमीन पर उतारकर उसे कार्यान्वित करने की जरूरत

 नई दिल्ली, संजय मिश्र। विपक्षी एकजुटता की सियासी पहल को जमीन पर उतारकर उसे कार्यान्वित करने की जरूरत को देखते हुए प्रमुख विपक्षी दलों की एक संयुक्त समन्वय समिति जल्द बनाए जाने के संकेत हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुआई में शुक्रवार को हुई 19 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में समन्वय समिति के गठन पर सैद्धांतिक सहमति बनी।

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को 19 पार्टियों की बुलाई थी बैठक

भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों के राजनीतिक अभियान से लेकर आंदोलनों को संगठित और प्रभावी बनाने के मकसद से इस संयुक्त समन्वय समिति के गठन की तैयारी की जा रही है। सूत्रों के अनुसार विपक्षी नेताओं की शुक्रवार को हुई बैठक में बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने समन्वय समिति के गठन का सुझाव देते हुए इसकी जरूरत बताई और कहा कि भाजपा व मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ विपक्ष की पार्टियों का एक साथ आना जरूरी है। इसमें यह भी अहम होगा कि प्रमुख राष्ट्रीय और राजनीतिक मुद्दों पर विपक्षी दलों के बीच निरंतर आपसी संवाद व समन्वय का सिलसिला बना रहे।

ममता बनर्जी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे के सुझाव पर बनी थी सैद्धांतिक सहमति

बताया जाता है कि सोनिया गांधी और शरद पवार के साथ शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी इससे सहमति जताई। विपक्षी दलों की संयुक्त समन्वय समिति के गठन को लेकर कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इसमें विपक्ष के आठ-दस प्रमुख दलों के नेताओं के शामिल होने की संभावना है। यह समन्वय समिति संसद में विपक्षी दलों के बीच मानसून सत्र में साझा रणनीति तय करने के लिए बनी नेताओं की टीम की तरह होगी। गौरतलब है कि मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों के प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की रोजाना सदन शुरू होने से पहले बैठकें होती थीं और संसद में उठाए जाने वाले मुद्दों की साझा रणनीति तय होती थी।

20 से 30 सितंबर तक संयुक्त विरोध प्रदर्शन का एलान

विपक्षी दलों ने 20 अगस्त की बैठक के बाद पेगासस जासूसी कांड, कृषि कानूनों को रद करने, महंगाई से लेकर बेरोजगारी और कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोगों के जान गंवाने के खिलाफ 20 से 30 सितंबर तक संयुक्त विरोध प्रदर्शन करने का एलान किया है। 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर विपक्षी एकजुटता की शुरू हुई इस पहल के क्रम में यह पहला मौका है, जब विपक्ष की 19 पार्टियों ने एकजुट होकर इन मुद्दों पर सरकार को संसद के बाद सड़क पर घेरने का फैसला किया है।

विपक्ष के नेताओं का कहना है कि एकजुट विपक्षी पार्टियां देश की 60 फीसद से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं। जाहिर तौर पर इस लिहाज से मोदी सरकार के खिलाफ अपने पहले बड़े सियासी अभियान को जमीन पर सफल बनाना विपक्षी दलों के लिए बड़ी चुनौती है और इसीलिए संभावना जताई जा रही है कि संयुक्त समन्वय समिति का गठन इसके पहले कर दिया जाएगा।


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