Move to Jagran APP

जिलानी ने कहा- पुनर्विचार याचिका पर विचार करेगा मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड

पुनर्विचार याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जो नियम है उसके तहत फैसले के तीस दिन के भीतर याचिका दाखिल होनी चाहिए।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 09:43 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 09:43 PM (IST)
जिलानी ने कहा- पुनर्विचार याचिका पर विचार करेगा मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड
जिलानी ने कहा- पुनर्विचार याचिका पर विचार करेगा मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सबसे पहले सामने आया और फैसले को लेकर नाखुशी जताई। बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि फैसला उनकी उम्मीदों के अनुरुप नहीं है। वह फैसले का अध्ययन कर और अपने पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन से बात करके पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर विचार करेंगे। खासबात यह है कि सुप्रीम कोर्ट में इस पूरे मामले की सुनवाई के दौरान जिलानी ने खुद भी वरिष्ठ अधिवक्ता के रुप में हिस्सा लिया था।

loksabha election banner

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाए कई सवाल

जिलानी ने फैसले पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि कोर्ट के कई आंकलन पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जब कोर्ट ने यह माना, कि विवादास्पद भवन का इस्तेमाल वर्ष 1856 से 1949 तक मस्जिद के रुप में हुआ है, तो ऐसे में उसके अधिकार को खारिज करना समझ से परे है। उन्होंने ऐसे ही फैसले से जुड़े और भी कई सवाल उठाए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरा सम्मान, लेकिन कोर्ट के रूख से सहमत नहीं

एक सवाल के जवाब में हालांकि उन्होंने साफ किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरा सम्मान है, लेकिन कोर्ट के रूख से वह सहमत नहीं है। जल्द ही वह इस फैसले को लेकर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक बुलाएंगे, जिसमें आगे की रणनीति को लेकर फैसला करेंगे।

पुनर्विचार याचिका दायर करना इतना आसान नहीं

गौरतलब है कि जिलानी ने भले ही पुनर्विचार याचिका पर विचार करने की बात कही है, लेकिन यह उतना आसान नहीं है। पुनर्विचार याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जो नियम है, उसके तहत फैसले के तीस दिन के भीतर याचिका दाखिल होनी चाहिए। इसकी सुनवाई भी फैसला करने वाली पीठ ही करती है। पर इसकी सुनवाई खुली अदालत में नहीं होती है। साथ ही यह साबित करना होगा, कि फैसले में साफ तौर पर त्रुटि है।

सुनवाई के समय वकीलों की दलीलें नहीं, सिर्फ फाइलें और रिकॉर्ड होता है

इस दौरान पीठ के न्यायाधीश चेंबर में सर्कुलेशन के जरिए सुनवाई करते है। वहां वकीलों की दलीलें नहीं होती है, सिर्फ मुकदमें की फाइलें और रिकॉर्ड होता है, जिस पर विचार किया जाता है।

पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद क्यूरेटिव याचिका का भी विकल्प है

हालांकि इसके बाद क्यूरेटिव याचिका का भी विकल्प है। जो पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद तीस दिन के भीतर दाखिल करना होता है। साथ ही इसके लिए अधिवक्ता को मामले की गंभीरता को भी कोर्ट के सामने रखना होता है। इसकी सुनवाई करने वाली पीठ में फैसला लेने वाले जजों के अतिरिक्त और भी तीन वरिष्ठ जज शामिल होते है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.