झारखंड स्पीकर को जल्द लेना होगा मरांडी पर फैसला, चुनाव आयोग ने विलय को दी अनुमति
झाविमो को लेकर किसी तरह का असमंजस नहीं है। फिर भी मरांडी को विधानसभा में मान्यता देने में देरी हुई तो भाजपा इसे मुद्दा बनाएगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भाजपा की ओर से झारखंड में विधायक दल के नेता के रूप में चुने गए बाबूलाल मरांडी को सदन में नेता विपक्ष की मान्यता देने में अब देरी मुश्किल है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक तरफ जहां मरांडी की पूर्व पार्टी झारखंड विकास मोर्चा(प्रजातांत्रिक) के भाजपा में विलय को मान्यता दे दी है। वहीं झाविमो के दो अन्य विधायकों की ओर से पार्टी के कांग्रेस में विलय को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि झाविमो का अब अस्तित्व नहीं है। न तो पार्टी है और न ही चुनाव चिह्न। ऐसे में माना जा रहा है कि झारखंड विधानसभा अध्यक्ष को जल्द ही मरांडी को मान्यता देनी होगी।
स्पीकर को बता दिया गया था कि मरांडी भाजपा विधायक दल के नेता चुने गए
गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा की ओर से लगभग ढ़ाई महीने पहले 24 फरवरी को झारखंड स्पीकर को आवेदन देकर बताया गया था कि मरांडी भाजपा विधायक दल के नेता चुने गए हैं, लेकिन सदन में उन्हें औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी गई। यही कारण था कि कई दिनों तक सत्र बाधित भी रहा था।
सदन में मरांडी झाविमो के ही सदस्य हैं: स्पीकर कार्यालय
बताया जाता है कि स्पीकर कार्यालय का यह मानना था कि सदन में मरांडी झाविमो के ही सदस्य के रूप में हैं और इसलिए भाजपा के नेता के रूप में नहीं स्वीकारा जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि स्पीकर कानूनी राय ले रहे हैं।
चुनाव आयोग ने दिया झाविमो का भाजपा में विलय का आदेश
बहरहाल, भाजपा सूत्रों का कहना है कि कोरोना लॉकडाउन से बाहर आने के बाद अब सवाल पूछा जाएगा। दरअसल चुनाव आयोग की ओर से 6 मार्च को स्पष्ट आदेश दिया गया कि मरांडी की पार्टी झाविमो का भाजपा में विलय स्वीकार कर लिया गया है। तत्काल प्रभाव से झाविमो का चुनाव चिह्न फ्रीज कर दिया गया। राजनीतिक दल के रूप में अब कोई अस्तित्व नहीं है। उसके दूसरे दिन झाविमो में मरांडी के पूर्व सहयोगी राम दिवस जायसवाल ने विधायक प्रदीप यादव और बंधु टिर्की की ओर से चुनाव आयोग को याचिका दी कि झाविमो का कांग्रेस में विलय करने की अनुमति दी जाए। आयोग ने उन्हें भी सूचित कर दिया कि झाविमो के बारे मे फैसला पहले ही हो चुका है।
मरांडी को लेकर भाजपा मुद्दा बनाएगी
जाहिर है कि झाविमो को लेकर किसी तरह का असमंजस नहीं है। फिर भी मरांडी को विधानसभा में मान्यता देने में देरी हुई तो भाजपा इसे मुद्दा बनाएगी। खुद मरांडी ने इस विषय पर पूछे जाने पर कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से कोई कानूनी दबाव नहीं बनाएंगे, लेकिन बताया जाता है कि भाजपा जरूर कानूनी राह तलाश कर स्पीकर पर दबाव बना सकती है।