जावडेकर ने 170 देशों से कहा- बंजर भूमि सुधारने के अपने वादे पर भारत उतरेगा खरा
ग्रेटर नोयडा के एक्सपो सेंटर में 2 से 13 सिंतबर तक चले सीओपी-14 में अमेरिका फ्रांस ब्रिटेन चीन समेत दुनिया के 170 देशों ने हिस्सा लिया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत ने पर्यावरण संरक्षण और बंजर भूमि को सुधारने के अपने प्रयासों से दुनिया को न सिर्फ लुभाया है, बल्कि वह उनका भरोसा भी जीतने में कामयाब रहा है। इसका अंदाजा यूएनसीसीडी( यूनाइटेड नेशन्स कंवेंशन टू कॉम्बेट डिजर्टीफिकेशन) की सीओपी (कांफ्रेस आफ पार्टीज)-14 के अंतिम दिन जारी हुए दिल्ली घोषणापत्र से लगाया जा सकता है, जिसमें सभी देशों ने बंजर भूमि को सुधारने और पर्यावरण संरक्षण के भारत के प्रयासों का खुले दिल से स्वागत किया गया है। इसके साथ ही भारत ने जिस तरीके से आगे बढ़कर बंजर भूमि के सुधारने के 2030 के अपने लक्ष्य में वृद्धि की है, उसे भी बड़ा कदम बताया है।
बंजर भूमि को उपजाऊ बनाना
पेरिस समझौते के तहत भारत को 2030 तक 210 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि को उपजाऊ बनाना था, जिसमें भारत में बढ़ोत्तरी करते हुए अब 260 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया है। पीएम मोदी ने सीओपी-14 में इसका ऐलान किया था।
तय समय पर पूरें होंगे लक्ष्य
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने इस वैश्विक सम्मेलन के अंतिम दिन शुक्रवार को बतौर सीओपी-14 अध्यक्ष पत्रकारों से चर्चा के दौरान दुनिया को फिर से यह विश्वास दिया कि भारत ने जो लक्ष्य तय किया है, वह तय समय से पूरा करेगा। उन्होंने दुनिया के दूसरे देशों से भी अपने लक्ष्यों को हासिल करने का अपील की।
सभी देश एक अंतरराष्ट्रीय समझौते से बंधे हुए हैं
हालांकि उन्होंने पेरिस समझौते से दुनिया के कुछ बड़े देशों के मुकरने के सवाल पर कहा कि सभी देश एक अंतरराष्ट्रीय समझौते से बंधे हुए हैं, ऐसे में किसी भी देश के लिए दुनिया के सामने दिए गए वचन से पीछे लौटना आसान नहीं होगा।
सीओपी-14 का सफल आयोजन
यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियाव ने भी इस दौरान पत्रकारों से चर्चा में सीओपी-14 के आयोजन तारीफ की और कहा कि दुनिया को सूखे और पलायन से बचाने की दिशा में यह काफी उपयोगी सम्मेलन रहा है।
दिल्ली घोषणा पत्र, मानवीय सहभागिता बढ़ाने पर जोर
साथ ही दिल्ली घोषणा पत्र के जरिए आने वाले दिनों में जो कदम उठाए जाने है, वह भी काफी सशक्त होंगे। दुनिया में इससे बदलाव देखने को मिलेगा। एक सवाल के जबाव में थियाव ने कहा कि इस मुहिम में हमने मानवीय भागीदारी खासकर महिलाओं को जोड़ने की बड़ी पहल की है। उन्होंने कहा कि सीओपी-14 में ज्यादातर देशों का साफ मानना है कि जब तक इनमें मानवीय सहभागिता नहीं बढ़ेगी, तब तक इस समस्या से निजात पाना संभव नहीं होगा।
सीओपी-14 में 170 देशों ने की शिरकत
ग्रेटर नोयडा के एक्सपो सेंटर में 2 से 13 सिंतबर तक चले सीओपी-14 में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन समेत दुनिया के 170 देशों ने हिस्सा लिया। जावडेकर ने बताया कि इनमें करीब 60 देशों के मंत्री ने भी शिरकत की। इसके साथ दुनिया भर के पांच हजार से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भी इसमें हिस्सा लिया।