मोदी सरकार के आलोचकों पर बरसे जेटली- कहा, बात-बात पर विरोध करने वाले झूठ बोलते हैं
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राष्ट्रीय बल और सकारात्मक सोच रखने वाले राष्ट्र निर्माण करते हैं न कि बात-बात पर विरोध करने वाले।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मोदी सरकार के आलोचकों को 'कंपलसिव कंट्रैरियंस' (बात-बात पर विरोध करने वाले) करार देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उन पर झूठ गढ़ने और एक निर्वाचित संप्रभु सरकार को कमजोर बनाकर लोकतंत्र को उलटने का आरोप लगाया है। जेटली ने कहा कि बोलने की आजादी और मतभेद का अधिकार लोकतंत्र के अहम अंग हैं, लेकिन झूठ और संस्थाओं को तबाह करने का अधिकार इसमें नहीं है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बल और सकारात्मक सोच रखने वाले राष्ट्र निर्माण करते हैं न कि बात-बात पर विरोध करने वाले।
जेटली स्वास्थ्य जांच के लिए इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। उन्होंने वहीं से फेसबुक पर पोस्ट लिखकर मोदी सरकार के विरोधियों पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने ब्लॉग में ऐसे लोगों को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि बात-बात पर विरोध करने वालों को झूठ गढ़ने में कोई पछतावा नहीं होता। वे ऐसी दलीलें भी गढ़ सकते हैं जो भले ही देश के आम हितों के विरुद्ध हो। वे धर्मयुद्ध का वेश बनाकर भ्रष्टाचार को अंजाम दे सकते हैं। जब उनको उपयुक्त लगे तभी वे दोहरे मानदंड अपना सकते हैं।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए दस फीसदी आरक्षण सहित कई अन्य मुद्दों पर राजनीतिक दलों के विरोध का हवाला देते हुए जेटली ने कहा कि बात-बात पर विरोध करने वालों को लगता है कि नरेंद्र मोदी सरकार के प्रत्येक कदम का विरोध करना चाहिए। उन्होंने इस संबंध में राफेल मुद्दा, सीबीआइ मुद्दा, आरबीआइ की स्वायत्ता पर बहस और न्यायिक सक्रियता का हवाला देते हुए कहा कि आलोचकों ने सरकार के खिलाफ धर्मयुद्ध छेड़ दिया है।
कांग्रेस पार्टी या विपक्षी दलों का नाम लिये बगैर जेटली ने कहा कि राजनीतिक प्रणाली में कुछ लोग ऐसे हैं जो सोचते हैं कि वे शासन करने के लिए ही पैदा हुए हैं। जो लोग वामपंथी और चरम-वामपंथी विचारधारा में शामिल थे उन्हें स्वाभाविक रूप से ही एनडीए सरकार अस्वीकार्य थी। इस तरह बात-बात पर विरोध करने वालों का एक ऐसा नया वर्ग पैदा हुआ जो लगातार दुष्प्रचार का अभियान चला रहा है। जेटली ने कहा कि ऐसे लोगों ने उस प्रत्येक प्रस्ताव का विरोध किया जिसने लोगों को ताकतवर बनाया और देश को सशक्त बनाया। भले ही यह गरीबों को दस प्रतिशत आरक्षण हो, आधार, नोटबंदी, जीएसटी, सीबीआइ मुद्दा, आरबीआइ और सरकार के संबंध, राफेल सौदा या लोया जज मामला हो। ये कदम बात बात पर विरोध करने वालों की मानसिकता को दर्शाते हैं जो कि एक निर्वाचित संप्रभु सरकार को कमजोर करके गैर चुने हुए लोगों को मजबूत बनाकर लोकतंत्र को उलटना चाहते हैं।
जेटली ने सवाल किया कि क्या वामपंथी और उदारवादियों ने स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान गांधीजी के विभिन्न कदमों में कमी निकालने की कोशिश नहीं की। न्यायमूर्ति लोया की असमय मृत्यु की ओर इशारा करते हुए जेटली ने कहा कि बात-बात पर विरोध करने वालों ने इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जो भी बयान दिया वह झूठ था। जज की मृत्यु हृदयाघात के कारण हुई थी। इसी तरह जेटली ने राफेल मुद्दे पर मोदी सरकार के आलोचकों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि इस सौदे के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय देना चाहिए कि उन्होंने देश के हजारों करोड़ रुपये बचाने का काम किया।