अफगानिस्तान में हुए हमलों में पाकिस्तान का हाथ, आतंकियों के पास मिले नाइट विजन चश्मे
काबुल में हाल ही में हुए आतंकी हमलों ने अमेरिका और कहीं न कहीं भारत की भी तकलीफें बढ़ा दी हैं।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुए एक आतंकी हमले में करीब 11 जवानों की मौत हो गई है जबकि 16 जवान घायल हो गए हैं। आतंकियों ने ये हमला काबुल स्थिति आर्मी अकादमी में किया था। इस हमले में शामिल पांच में चार आतंकी मारे गए जबकि एक को सुरक्षाबलों ने गिरफ्तार कर लिया है। अफगानिस्तान पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि दो आत्मघाती हमलावरों ने खुद को अकादमी के गेट पर उड़ा लिया था, जबकि दो आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया और एक आतंकी को गिरफ्तार कर लिया गया है। अमेरिका में मौजूद अफगानिस्तान के राजदूत माजिद करार ने सीधेतौर पर अफगानिस्तान में हुए हमलों में पाकिस्तान का हाथ बताया है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान लश्कर ए तयैबा और तालीबान को हथियारों की सप्लाई करता है। उनका यह भी कहना है कि आतंकियों के पास मिले नाइट विजन गोगल्स इस बात का सीधा प्रमाण हैं। इन्हें ब्रिटेन की कंपनी ने पाकिस्तान की सेना को बेचा था। इनको सेना ने आतंकियों को दे दिया है।
चौथा बड़ा हमला
आतंकियों का काबुल में पिछले सात दिनों में यह चौथा बड़ा हमला है। आतंकियों ने पिछले दिनों जिन तीन हमलों को विभिन्न जगहों पर अंजाम दिया उसमें सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई और करीब 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। हाल ही में हुए इन आतंकी हमलों ने अमेरिका और कहीं न कहीं भारत की भी तकलीफें बढ़ा दी हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि पिछले दिनों जो आतंकी हमले हुए उनमें से एक का निशाना भारतीय दूतावास भी था। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि आतंकियों द्वारा छोड़ा गया रॉकेट लॉन्चर दूतावास से कुछ ही मीटर आगे गिरा था। बहरहाल इन हमलों को लेकर दोनों देशों की चिंता काफी वाजिब है।
पाक की बौखलाहट
भारत जहां अफगानिस्तान के साथ सहयोग को बढ़ा रहा है वहीं अमेरिका की बदली नीति में वह यहां पर पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत को ज्यादा तरजीह दे रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि ये हमले कहीं पाकिस्तान की बौखलाहट का ही तो नतीजा नहीं हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि भारत, अफगानिस्तान और अमेरिका के बीच जल्द ही वहां की रणनीति को लेकर खास चर्चा होने वाली है। इस बैठक की रजामंदी अक्टूबर, 2017 में अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन और सुषमा स्वराज के बीच हुई बातचीत में बनी थी। इस त्रिपक्षीय बैठक के बाद अफगानिस्तान मामले में पाकिस्तान के और ज्यादा हाशिये पर जाने के आसार है, लिहाजा पाकिस्तान की बेचैनी भी बढ़नी स्वाभाविक है।
आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना पाक
अमेरिका के पूर्व जनरल और सीआईए के प्रमुख रह चुके डेविड पेटरस भी मानते हैं कि बीते कुछ समय में पाकिस्तान से अमेरिका के संबंधों में तल्खी आई है। एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने माना है कि अफगानिस्तान में आतंकियों के लिए पाकिस्तान सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है जो चिंता का विषय है। उनका यह भी कहना है कि मौजूदा समय में आतंकियों पर काबू पाने में अफगानी सेना नाकाम साबित हो रही है। वहीं दूसरी तरह पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। इस दौरान डेविड ने यह भी कहा कि पाकिस्तान में आतंकियों का समर्थन करना एक फैशन बना हुआ है। भारत से रिश्तों के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में उनका कहना था कि दोनों देश आपसी हितों को देखते हुए क्या कर सकते हैं इसको लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है और आगे भी जारी है। अमेरिका की नई रक्षा नीति में भारत काफी अहम भूमिका रखता है।
अमेरिकी की बदली नीति से पाक की बढ़ी बेचैनी
आपको बता दें कि अक्टूबर, 2017 में जब से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की नई अफगान नीति की घोषणा की है, तभी से पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ी हुई है। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि उन्होंने अफगानिस्तान में भारत को तरजीह दिए जाने की बात कही थी। वहीं हाल ही में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बिगड़े संबंध को भी कहीं न कहीं इसी कड़ी का एक हिस्सा माना जा सकता है। यहां पर यह भी किसी से छिपा नहीं है कि द्विपक्षीय स्तर पर भी भारत व अफगानिस्तान के बीच रिश्ते लगातार मजबूत होते जा रहे हैं। वहीं होने वाली त्रिपक्षीय बैठक के बाद अफगानिस्तान मामले में पाकिस्तान के और ज्यादा हाशिये पर जाने के आसार है।
हमलों के बाद अफगान राष्ट्रपति के संपर्क में भारत
अफगानिस्तान के ताजे हालात पर भारत लगातार अशरफ गनी प्रशासन के साथ ही अमेरिका के संपर्क में भी है। हाल के दोनों हमलों में पाकिस्तान समर्थित हक्कानी नेटवर्क के तालिबान समूह पर शक है। हमले की गंभीरता को देखते हुए भारत और अमेरिका, दोनों ने भी बेहद सख्त प्रतिक्रिया जताई है। भारत ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए अफगानिस्तान को हर तरह की मदद और घायलों को भी चिकित्सा सहायता देने की बात कही है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारत को इस बात का शक है कि अफगानिस्तान समस्या के समाधान के लिए जिस तरह से भारत की भूमिका बढ़ गई है और अमेरिका भी भारत को और सहयोग के लिए आमंत्रित कर रहा है, उसे इस्लामाबाद पचा नहीं पा रहा है। पाकिस्तान के हुक्मरान जानते हैं कि अफगानिस्तान की समस्या को लेकर अशरफ गनी सरकार, भारत और अमेरिका के बीच होने वाली प्रस्तावित त्रिपक्षीय बातचीत के बाद वे और हाशिये पर चले जाएंगे। ऐसे में उन्होंने अपने पाले हुए आतंकी संगठनों को हमला करने की खुली छूट दे दी है।
पाक मीडिया की निगाह में हमले के पीछे दो वजह
हालांकि पाकिस्तान मीडिया इन सबसे अलग इसकी कुछ और ही वजह बता रहा है। पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि अफगानिस्तान की फौज आतंकियों का मुकाबला करने में सक्षम नहीं है। उन्हें न तो उस हिसाब से ट्रेनिंग दी गई है और न ही हथियार दिए गए हैं। इसके अलावा एक बहुत बड़े इलाके की सुरक्षा के लिए बेहद कम जवान हैं। मीडिया का कहना है कि फौज में कुछ गिने-चुने लोगों को ही पूरी ट्रेनिंग दी गई है। हमले की दूसरी बड़ी वजह पाक मीडिया देश में फैली अस्थिरता को मानती है। उनका कहना है कि देश में राजनीतिक हालात बेहद खराब है। यदि अमेरिका साथ न दे तो रातों रात यहां की राजनीतिक स्थिति चरमरा जाएगी। वहीं इस वर्ष देश में संसदीय और अगले वर्ष राष्ट्रपति चुनाव होने हैं, लेकिन लगता नहीं है कि इनमें अफगानिस्तान कामयाब हो पाएगा।