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Presidential Election 2022 से अलग रहेगी आइएसएफ, पार्टी ने कहा- राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन संभव नहीं

Presidential Election 2022 आइएसएफ पार्टी विधायक नौशाद सिद्दीकी ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना उनकी पार्टी के लिए संभव नहीं। इसलिए राष्ट्रपति चुनाव से अलग रहने का फैसला लिया गया है।

By Ashisha RajputEdited By: Published: Mon, 04 Jul 2022 09:59 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jul 2022 09:59 PM (IST)
Presidential Election 2022 से अलग रहेगी आइएसएफ, पार्टी ने कहा- राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन संभव नहीं
राष्ट्रपति चुनाव से आइएसएफ ने खुद को अलग रखने का किया फैसला

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी द्वारा गठित पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) ने राष्ट्रपति चुनाव से अलग रहने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि बंगाल विधानसभा में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और मुख्य विरोधी दल भाजपा के अलावा आइएसएफ का सिर्फ ही एक विधायक है। आइएसएफ के चेयरमैन व पार्टी विधायक नौशाद सिद्दीकी ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना उनकी पार्टी के लिए संभव नहीं है इसलिए राष्ट्रपति चुनाव से अलग रहने का फैसला लिया गया है।

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सियासी विश्लेषकों ने कहा कि आइएसएफ ने वाममोर्चा के साथ मिलकर तृणमूल व भाजपा के खिलाफ पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था। इसलिए वह तृणमूल समर्थित विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के साथ भी नहीं जा सकता। गौरतलब है कि नौशाद सिद्दीकी ने कुछ दिन पहले तृणमूल विधायक निर्मल माजी पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तुलना अल्लाह से करने का आरोप लगाया था। सिद्दीकी ने वीडियो संदेश जारी कर कहा था कि निर्मल माजी ने हाल में मुख्यमंत्री की तुलना मां शारदा से की। स्वाभाविक रूप से इस तरह की तुलना ने हिंदुओं के मन में शिकायतें पैदा की हैं। बेलूर मठ प्रबंधन और रामकृष्ण मिशन ने भी बयान जारी कर ऐसी टिप्पणी पर आपत्ति जताई है। अब पता चला है कि उन्होंने कई जगहों पर मुख्यमंत्री की तुलना अल्लाह से की है। यह इस्लाम धर्म का पालन करने वाले लोगों की आस्था के खिलाफ है। इस तरह की तुलना ने मुसलमानों के मन में शिकायतें पैदा की हैं।

सिद्दीकी ने हालांकि यह साफ नहीं किया है कि निर्मल माजी ने कहां इस तरह का बयान दिया था। उन्होंने इस तरह के बयान को चापलूसी का सबसे खराब उदाहरण बताया और इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आधिकारिक बयान मांगा था। उन्होंने इस तरह के बयानों के लिए निर्मल माजी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि इस तरह की टिप्पणियां समाज में तनाव पैदा कर सकती हैं और सांप्रदायिक सद्भाव की भावना को बाधित कर सकती हैं।


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