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निगम कर्मचारियों के हाथ पर बंधेगी 'जादुई घड़ी', देगी सफाई की पल-पल की जानकारी

किसी अधिकारी ने कार्य समय के दौरान यह घड़ी उतारी या किसी और व्यक्ति ने इसे पहना तो यह जानकारी भी घड़ी कंट्रोल सेंटर को दे देगी।

By Digpal SinghEdited By: Published: Fri, 03 Aug 2018 01:37 PM (IST)Updated: Fri, 03 Aug 2018 04:53 PM (IST)
निगम कर्मचारियों के हाथ पर बंधेगी 'जादुई घड़ी', देगी सफाई की पल-पल की जानकारी
निगम कर्मचारियों के हाथ पर बंधेगी 'जादुई घड़ी', देगी सफाई की पल-पल की जानकारी

इंदौर, जेएनएन। मध्यप्रदेश के इंदौर में नगर निगम कमिश्नर से लेकर निचले स्तर के कर्मचारियों की कलाई में जल्द ही एक 'जादुई घड़ी' नजर आएगी, जो उनकी नब्ज पकड़कर काम कराएगी।

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छोटी-बड़ी कई खूबियों वाली यह घड़ी बांधने से अफसरों और कर्मियों की लोकेशन पता चलेगी। जैसे ही वे अपने तय कार्यक्षेत्र में दाखिल होंगे, घड़ी एक्टिवेट हो जाएगी। इसमें लगा ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) उनकी लोकेशन बता देगा। यह संदेश आते ही उनकी उपस्थिति दर्ज हो जाएगी। यदि किसी अधिकारी ने कार्य समय के दौरान यह घड़ी उतारी या किसी और व्यक्ति ने इसे पहना तो यह जानकारी भी घड़ी कंट्रोल सेंटर को दे देगी।

इंदौर नगर निगम ने अपने कर्मचारियों को यह घड़ी बंधवाने की तैयारी कर ली है। इस महीने इसका इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। इससे पहले नागपुर में ट्रायल हो चुका है। इस बहुपयोगी 'इमट्रैक' नाम की घड़ी बेंगलुरु स्थित भारत सरकार के पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग इंडियन टेलीफोनिक इंस्टिट्यूट (आईटीआई) ने विकसित की है। इसमें कैमरा, सिम और जीपीएस लोकेटर से लेकर आवंटित व्यक्ति को पहचानने के लिए पल्स डिटेक्टर तक दिया गया है। पल्स डिटेक्टर नब्ज गिनकर सुनिश्चित करेगा कि जिस व्यक्ति को घड़ी दी गई है, उसे उसी ने पहना है या नहीं।

हर महीने 250 रुपये प्रति घड़ी खर्च
निगम में लगभग 14 हजार अधिकारी और कर्मचारी हैं। पहले चरण में निगम ने आठ हजार घड़ियों का ऑर्डर दिया है। प्रयोग सफल रहा तो इसे सभी को पहनाया जाएगा। अगस्त से घड़ियां आना शुरू हो जाएंगी और ट्रायल शुरू हो जाएगा। तीन महीने में सभी आठ हजार घड़ियों की आपूर्ति की उम्मीद है।

निगम को हर घड़ी के लिए हर महीने 250 रुपये का भुगतान करना होगा। घड़ी बनाने वाली आईटीआई कंपनी इंदौर में कंट्रोल एंड कमांड सेंटर स्थापित करेगी और घड़ियों के मेंटेनेंस के साथ दूसरी व्यवस्था संभालेगी। निगमायुक्त आशीष सिंह की विशेष रुचि के कारण नया सिस्टम लागू किया जा रहा है।

'घड़ी-घड़ी' की परेशानी होगी खत्म
- कार्यस्थल पर नहीं जाने वाले, समय पर नहीं आने वाले, जल्दी चले जाने वाले और बीच में कार्यस्थल से गायब होकर दोबारा कार्यस्थल पर आने वाले अफसरों और कर्मचारियों पर यह घड़ी नकेल का काम करेगी।
- घड़ी में कई सुविधाएं भी रहेंगी। मसलन, किसी दुर्घटना, विवाद या अन्य तरह की आपातकालीन स्थिति में इसमें लगा बटन दबाने से कंट्रोल सेंटर फोन लग जाएगा और वहां तैनात कर्मचारी उक्त अफसर या कर्मचारी से बात कर सकेगा।
- अधिकारी-कर्मचारी को उपस्थिति दर्ज कराने और कार्य समय पूरा होने के बाद घर लौटते समय पंचिंग या रजिस्टर पर साइन करके उपस्थिति दर्ज कराने का झंझट नहीं होगा। इससे करीब घंटेभर का समय बचेगा। जब कर्मचारी कार्यस्थल पर पहुंचेंगे तो घड़ी एक्टिवेट होकर फोटो और लोकेशन देकर उपस्थिति दर्ज करेगी। जब कार्यस्थल से लौटेंगे तो डिएक्टिवेट होकर उसके जाने का समय और लोकेशन बता देगी। इसके लिए हर अफसर और कर्मचारी का कार्यक्षेत्र सर्वर में फीड किया जाएगा।
- घड़ी में लगी सिम को बटन से जोड़ा जाएगा, जिसमें अधिकतम दो नंबर सेव हो सकेंगे। इन नंबरों पर इनकमिंग और आउटगोइंग कॉल की सुविधा रहेगी। आपातकालीन स्थिति में इन्हीं दो नंबर पर फोन जाएगा और दूसरी तरफ से फोन आ सकेगा। इससे कंट्रोल रूम में बैठा व्यक्ति स्पीकर पर संबंधित से बात कर सकेगा। 

सबसे पहले कमिश्नर-एडिशनल कमिश्नर पहनेंगे
निगम आयुक्त आशीश सिंह का कहना है कि निगम को अगस्त से 'स्मार्ट वॉच' मिलना शुरू हो जाएगी। उम्मीद है 10-15 दिन में घड़ियां आने लगेंगी। सबसे पहले यह घड़ी कमिश्नर, एडिशनल कमिश्नर और इंजीनियर बांधेंगे। यह सिस्टम मॉनिटरिंग के लिए लाया जा रहा है। यदि किसी अधिकारी की ड्यूटी वार्ड में है तो वह जैसे ही वार्ड में पहुंचेगा, उसकी अटेंडेंस लग जाएगी। जैसे ही तय क्षेत्र से बाहर होगा, पता चल जाएगा। नए सिस्टम से अफसरों और कर्मचारियों में अनुशासन बढ़ेगा।


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