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..जब 'गूंगी गु‍ड़‍िया' से इंदिरा बन गई 'दुर्गा', उनके किस स्‍वभाव से चिंतित थे नेहरू

संसद में इंदिरा को किसने कहा गूंगी गु‍‍ड़‍िया या दुर्गा। आइए हम आपको बताते हैं इंदिरा गांधी के उन अनछुए पहलू को, जिसके कायल विरोधी भी रहते थे।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 12:35 PM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 12:35 PM (IST)
..जब 'गूंगी गु‍ड़‍िया' से इंदिरा बन गई 'दुर्गा', उनके किस स्‍वभाव से चिंतित थे नेहरू

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गूंगी गु‍ड़‍िया से दुर्गा और आयरन लेडी तक की यात्रा बेहद दिलचस्‍प है। उम्र के विभिन्‍न पड़ाव में उन्‍होंने अपने व्‍यक्तित्‍व, नेतृत्‍व व क्षमता में जिस तरह का बदलाव किया, उससे विरोधी खेमा भी उनका लोहा मानता था। विपक्ष ने अगर उन्‍हें गूंगी गुड़‍िया की उपाधि दी तो विपक्ष ने दुर्गा भी कहा। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि संसद में किसने उन्‍हें गूंगी गु‍‍ड़‍िया या दुर्गा कहा। आइए हम आपको बताते हैं इंदिरा गांधी के उन अनछुए पहलू को, जिसके कायल विरोधी भी रहते थे।

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1- राम मनोहर लोहिया ने कहा था इंदिरा को गूंगी गु‍‍‍ड़‍िया

दरअसल, बाल्‍यावस्‍था से ही इंदिरा गांधी काफी कम बोलती थी, उनकी इस आदत से उनके पिता और देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवहार लाल नेहरू भी काफी चिंतित रहते थे। राजनीति में प्रवेश के बाद भी इंदिरा जी का कम बोलने का स्‍वभाव कायम रहा। कांग्रेस अधिवेशन में भी वह शांत रहती थीं। बाद में जब वह सत्‍ता में आईं तो विपक्ष ने उन्‍हें गूंगी गुड़‍िया कहना शुरू कर दिया। पहली बार समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने इंदिरा को गूंगी गु‍ड़‍िया ने नाम से संबोधित किया था।

1966 में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के ताशकंद में आकस्मिक निधन के बाद, पार्टी के रूढ़िवादी धड़े के उम्मीदवार मोरारजी देसाई को हराकर इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं। पार्टी और सत्‍ता की बागडोर इंदिरा जी के हाथ में थी। इसके बाद देश में हुए पहले आम चुनाव में कांग्रेस आठ राज्यों में चुनाव हार गईं। संसद में भी संख्या बल घट गया, जिससे डॉक्टर राम मनोहर लोहिया को उन पर कटाक्ष करने का मौका मिला था और उन्‍होंने उसी दौरान इंदिरा को गूंगी गु‍ड़‍िया कहा था।

2- जब अटल ने भरे सदन में कहा दुर्गा का अवतार

1970 के दशक में देश की राजनीति काफी उथल-पथल के दौर से गुजर रही थी। केंद्र में इंदिरा की सरकार थी। जनता पार्टी मुख्‍य विपक्षी दल था। अटल बिहारी वाजपेयी सदन में विपक्ष के नेता था। 1971 में पाकिस्‍तान ने  देश पर आक्रमण किया और भारत को अनायास एक युद्ध को झेलना पड़ा। दरअसल, यह वो दौर था, जब पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तान सेना यहां के लोगों का दमन कर रही थी। पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह याहया खान ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की जनभावनाओं को सैनिक ताकत से कुचलने का आदेश दिया था। इस दमन से बचने के लिए पूर्वी पाकिस्तान से शरणार्थी भारत आने लगे।

पाकिस्तान की नापाक हरकतें बढ़ती जा रही थीं। 3 दिसंबर 1971 को इंदिरा कोलकाता में एक जनसभा कर रहीं थी। उसी दिन शाम को पाकिस्तानी वायु सेना ने भारत पर बमबारी शुरू कर दी। देश के पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर और आगरा के सैनिक हवाई अड्डों को निशाना बनाया गया। उसी वक्‍त इंदिरा ने ठान लिया कि पाकिस्तान को सबक सिखाना है।

युद्ध में पाकिस्‍तान पराजित ही नहीं हुआ वरन उसके दो हिस्‍से हो गए। बांग्‍लादेश अस्तित्‍व में आया। पाकिस्‍तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्‍मसमर्पण किया। युद्ध के परिणामों ने इंदिरा गांधी की ख्‍याति अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर फैल गई। उनका एक नया चेहरा सामने आया। देश ने उनके नेतृत्‍व का लोहा माना। इंदिरा गांधी अपनी गूंगी गु‍ड़‍िया की छवि से मुक्‍त हुईं। गूंगी गुड़‍िया कहने वाला विपक्ष अब उनको आयरन लेडी और दुर्गा के नाम से संबोधित किया। इसी दौरान अटल जी ने एक बहस के दौरान इंदिरा जी को दुर्गा का अवतार कहा था।

3- जब पूरी दुनिया को दिखाई भारत की ताकत

शीत युद्ध के दौरान अमेरिका का रूख भारत के खिलाफ था। अमेरिका का पूरा झुकाव पाक की ओर था। भारत की गुटनिरपेक्ष नीति पर सवाल खड़े हो रहे थे। देश की सुरक्षा को लेकर विपक्ष ने अपने सुर तेज कर दिए थे। ऐसे में शक्ति संतुलन के लिए भारत को परमाणु क्षमता हासिल करना बेहद जरूरी हो गया था।  तमाम अवरोधों को पार 18 मई 1974 को इंदिरा ने पोखरण में परमाणु परीक्षण करवाकर पूरी दुनिया को अपनी ताकत की धमक दिखाई। अब ये 'गूंगी गुड़िया' आयरन लेड़ी बन चुकी थी।

दरसअल, 18 मई 1974 को भारत ने अपना पहला पोखरण परीक्षण किया था। उस दिन बुद्ध जयंती थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पास एक वैज्ञानिक का फोन आया और उन्‍होंने संकेत में कहा कि "बुद्ध मुस्कराए"। इस संदेश का मतलब था कि भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण कर दिया है जो सफल रहा। परमाणु बम का व्यास 1.25 मीटर और वजन 1400 किलो था। सेना इसको बालू में छिपाकर लाई थी। सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर यह राजस्थान के पोखरण में विस्फोट किया था। बताया जाता है कि 8 से 10 किमी इलाके में धरती हिल गई थी। इसके बाद दुनिया में भारत पहला ऐसा देश बन गया था जिसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य न होते हुए भी परमाणु परीक्षण करने का साहस किया।


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