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Indian Navy Ensign Update News: पहले भी कई बार बदला जा चुका है नौसेना का प्रतीक ध्वज

खबर समाचार एजेंसी ANI द्वारा जारी किए गए इनपुट पर आधारित थी जिसे फैक्टचेक के बाद सुधार दिया गया है। पाठकों को हुई असुविधा के लिए हम खेद जताते हैं और सही सूचना देने की प्रतिबद्धता के तहत इस गलती को सुधारते हुए पूरी खबर को अपडेट किया गया है।

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 02 Sep 2022 07:04 PM (IST)Updated: Sun, 18 Sep 2022 01:33 PM (IST)
Indian Navy Ensign Update News: पहले भी कई बार बदला जा चुका है नौसेना का प्रतीक ध्वज
Indian Navy New Ensign: अटल सरकार और मोदी सरकार में ऐसे बदला नौसेना का प्रतीक चिह्न।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को आइएनएस विक्रांत (INS Vikrant) भारतीय नौसेना को सौंप दिया। साथ ही उन्होंने नौसेना को गुलामी के प्रतीक चिह्न से भी आजाद कर दिया। पीएम ने इस मौके पर नौसेना के नए ध्वज का भी अनावरण किया है। मोदी सरकार में ही दूसरी बार नौसेना के ध्वज में बदलाव किया गया है।

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इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी नौसेना को गुलामी के प्रतीक चिह्न से मुक्त किया था। हालांकि 1879 से अब तक छह बार नौसेना का प्रतीक चिह्न बदला जा चुका है।

1947 में नौसेना का ध्वज

1947 जब भारत आजाद हुआ, भारतीय नौसेना के ध्वज पर सफेद बैकग्राउंड में लाल रंग का बड़ा सा जॉर्ज क्रॉस बना था। इसके बाईं तरफ ऊपर वाले हिस्से में नीले और लाल रंग का यूनियन जैक बना हुआ था। ब्रिटिश शासनकाल में वर्ष 1928 से भारतीय नौसेना अंग्रेजों के इस गुलामी के चिह्न का प्रयोग कर रही थी।

इससे पहले 1879 से 1928 तक भारतीय नौसेना ब्रिटिश कोलोनिअल ध्वज (Colonial-era flags) का ही इस्तेमाल करती थी, जिसमें नीले रंग के बैकग्राउंड पर बाएं हिस्से में ऊपर की तरफ यूनियन जैक और दाहिने हिस्से के बीचो-बीच नीले और पीले घेरे में भारतीय स्टार बना होता था। 1928 में पहली बार कोलोनिअल ध्वज को बदलकर अंग्रेजों ने नौसेना के लिए नया ध्वज चुना था, जो 1950 तक प्रयोग हुआ।

1950 में शामिल हुआ तिरंगा

आजादी के बाद 1950 में दूसरी बार भारतीय नौसेना का ध्वज बदला गया। इसमें सफेद बैकग्राउंड पर लाल रंग के बड़े जॉर्ज क्रॉस के साथ बाएं हिस्से में ऊपर की तरफ पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को शामिल किया गया। 

मतलब 1947 के नौसेना ध्वज और 1950 के नौसेना ध्वज में केवल इतना अंतर था कि यूनियन जैक की जगह तिरंगे ने ले ली थी, लेकिन गुलामी का प्रतीक जॉर्ज क्रॉस तब भी बरकरार था। वर्ष 2001 तक नौसेना ने अपने प्रतीक चिह्न के तौर पर इसी ध्वज का इस्तेमाल किया।

गुलामी का प्रतीक

1950 में कांग्रेस ने नौसेना का जो ध्वज बनाया था, इसमें इस बार जॉर्ज क्रॉस के बीचोबीच सुनहरे रंग का अशोक स्तंभ जोड़ दिया गया था। वर्ष 2014 तक नौसेना ने इसी ध्वज का इस्तेमाल किया था।

सत्ता संभालते ही मोदी सरकार ने किया था बदलाव

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारी बहुमत के साथ देश की सत्ता संभाली। केंद्र में मोदी सरकार बनने के कुछ समय बाद ही उस वक्त के नौसेना ध्वज में एक छोटा सा बदलाव किया गया। इसके तहत, जॉर्ज क्रॉस के बीचोबीच बने अशोक स्तंभ के नीचे 'सत्यमेव जयते' जोड़ दिया गया।

दूसरी बार निशान बदला

शनिवार (2 सितंबर 2022) को पीएम मोदी ने नौसेना के नए ध्वज का अनावरण किया। पीएम मोदी ने नौसेना के जिस नए प्रतीक चिह्न का अनावरण किया है, वो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा अपनाए गए नौसेना ध्वज से काफी मिलता जुलता है। अब शिवाजी महाराज के चिह्न, उसके अंदर बने लंगर और उस पर बने अशोक स्तंभ को नीले बैकग्राउंड पर सुनहरा रंग दिया गया है। अशोक स्तंभ के नीचे 'सत्यमेव जयते' लिखा है। लंगर के नीचे 'शं नो वरुणः' लिखा है। इस पूरे चिह्न को सुनहरे रंगे के दो बॉर्डर से घेरकर मुहर जैसा लुक दिया गया है।

Disclaimer: औपनिवेशिक विरासत को ढोने की मानसिकता का हवाला देते हुए वर्ष 2001 में नौसेना के ध्वज से सेंट जॉर्ज क्रॉस के चिह्न को हटा दिया गया था लेकिन तीन सालों के भीतर ही वर्ष 2004 में एक बार फिर से इस चिह्न (कुछ बदलावों के साथ) को वापस ध्वज में जोड़ दिया गया। 2001 में इस चिह्न को नौसेना के ध्वज से हटाए जाने और वापस 2004 में जब इसे फिर से नौसेना के ध्वज में जोड़े जाने के समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ही थे। तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने अप्रैल 2004 में कोच्चि में नए प्रतीक चिह्न का अनावरण किया था।

हमारी प्रकाशित खबर में कहा गया था कि कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने नौसेना के ध्वज में गुलामी के प्रतीक सेंट जॉर्ज क्रॉस को वापस जोड़ा था, जो तथ्यात्मक गलती थी। यह सूचना समाचार एजेंसी एएनआई (ANI) द्वारा जारी किए गए इनपुट पर आधारित थी, जिसे फैक्टचेक के बाद सुधार दिया गया है। पाठकों को हुई असुविधा के लिए हम खेद जताते हैं और सही सूचना देने की प्रतिबद्धता के तहत इस गलती को सुधारते हुए पूरी खबर को अपडेट कर दिया गया है।


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