नेपाल के लिए और खुलेंगे भारतीय बाजार, पीएम मोदी ने ओली को दिया प्रस्ताव
पड़ोसी देश नेपाल के साथ रिश्तों को लेकर भारत अब कोई भी ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पड़ोसी देश नेपाल के साथ रिश्तों को लेकर भारत अब कोई भी ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है। एक महीने के भीतर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच द्विपक्षीय बैठक, मदद की घोषणा के कुछ ही हफ्तों के भीतर उस पर अमल की प्रक्रिया को शुरु कर भारत पहले ही यह साफ कर दिया है कि वह नेपाल के साथ अपने रिश्तों को बेहद गंभीरता से ले रहा है। शुक्रवार को काठमांडू में पीएम के पी ओली के साथ द्विपक्षीय वार्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय बाजार में नेपाल की कंपनियों को पैर पसारने का प्रस्ताव दिया है। इसके लिए भारत मौजूदा द्विपक्षीय व्यापार संधि में आवश्यक संशोधन करने और नेपाल में बने उत्पादों को भारतीय बाजार में आसानी से पहुंचाने में भी मदद देने को तैयार है।
-द्विपक्षीय कारोबारी समझौते में जल्द किया जाएगा संशोधन
-गैर-कानूनी कारोबार को आधिकारिक बनाने पर होगा जोर
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच वार्ता में कारोबार बेहद अहम मुद्दा रहा है। अप्रैल, 2018 के शुरुआत में जो दोनो देशों के प्रधानमंत्रियों की नई दिल्ली में मुलाकात हुई थी तब भी नेपाल की तरफ से द्विपक्षीय कारोबार को अपने पक्ष में करने को लेकर मदद मांगी गई थी। तब मोदी ने कहा था कि इस बारे में जो भी संभव होगा किया जाएगा। इस आश्वासन के बाद हाल ही में भारत व नेपाल के बीच व्यापारिक मुद्दों पर गठित समिति की भी बैठक हुई थी। इसमें यह सहमति बनी कि मौजूदा द्विपक्षीय कारोबारी समझौते में संशोधन किया जाए ताकि भारतीय बाजार का फायदा नेपाल की कंपनियों को मिले।
सूत्रों का कहना है कि संशोधन का प्रारुप अगले तीन महीनों के भीतर तैयार हो जाएगा। यह संसोशन भारत से नेपाल कच्चे माल को ले जाने और वहां से तैयार माल को भारत लाने को आसान करेगा।
दोनो प्रधानमंत्रियों के बीच यह भी बात हुई है कि किस तरह से गैर आधिकारिक तौर पर होने वाले कारोबार को आधिकारिक तौर पर किया जाए। भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2016-17 में नेपाल के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी 64 फीसद और कुल निर्यात में हिस्सेदारी 57 के करीब थी। यही नहीं भारत नेपाल में सबसे बड़ा निवेशक भी है। दोनो देशों के बीच आधिकारिक तौर पर होने वाले कारोबार का आकार बेहद कम है लेकिन माना जाता है कि गैर आधिकारिक तौर पर होने वाला कारोबार इससे कई गुणा ज्यादा है। जिसे अब दोनों देश आधिकारिक तौर पर बदलना चाहते हैं।
नेपाल को अपने बाजार में ज्यादा प्रवेश करने की अनुमति देने के भारत के प्रस्ताव के पीछे एक वजह चीन भी है जो नेपाल को आर्थिक तौर पर लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। चीन की तरफ से नेपाल को रेल व सड़क मार्ग से जोड़ने का काम चल रहा है। अगर यह हो गया तो नेपाल में चीन की कंपनियों को भारी बढ़त मिल सकती है। चीन की इस तेजी को देखते हुए ही भारत नेपाल के साथ अपने रिश्तों को लेकर बिल्कुल सुस्ती नहीं दिखाना चाहता।