ट्रंप-पुतिन के रिश्तों में आई दरार खत्म होने से भारत चैन की नींद सोएगा
रूस और अमेरिका के बीच तनाव आगे और बढ़ता तो रूस से हथियार खरीदने की कोशिश में जुटे भारत के लिए मुश्किल होता।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रुस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच बहुप्रतीक्षित शीर्ष बैठक फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में देर शाम समाप्त हो गई। संकेत इस बात के हैं कि इस बैठक से दोनों देशों के बीच पिछले डेढ़ वर्षो से जो तल्खी आई थी वह अब खत्म हो सकती है। भारतीय विदेश मंत्रालय इस संकेत को बेहद महत्वपूर्ण मानता है क्योंकि अमेरिका-रूस के रिश्तों में आई दरार का असर भारतीय हितों पर भी पड़ने के कयास लगाये जा रहे थे। रूस और अमेरिका के बीच तनाव आगे और बढ़ता तो रूस से हथियार खरीदने की कोशिश में जुटे भारत के लिए मुश्किल होता, लेकिन अगर दोनो नेता रिश्तों की गांठ सुलझाने में सफल होते हैं तो भारत की यह दिक्कत खत्म हो सकती है।
भारत और रूस के बीच इस समय एस-400 मिसाइल सिस्टम की बिक्री को लेकर बात हो रही है। भारत पिछले पांच वर्षो से रूस से इस बारे में बात कर रहा है जिसके बारे में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि बातचीत अंतिम दौर में है और जल्द ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
अमेरिका ने जब से रूस के साथ हथियारों का कारोबार करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाया है तब से भारत-रूस के इस सौदे को लेकर कयास लगाये जा रहे थे। भारत लगातार यह कहता रहा है कि वह अपने हितों को देखते हुए यह फैसला करेगा। इसके बावजूद अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से भारत के लिए दो टूक फैसला करने में दिक्कत आती, लेकिन ट्रंप-पुतिन शिखर वार्ता के बाद भारत के लिए इस बारे में फैसला करना आसान होगा।
सूत्रों का कहना है कि सिर्फ एस-400 की बात नहीं है बल्कि भारत अभी भी 60-65 फीसद रक्षा उपकरणों व आयुधों के लिए रूस पर निर्भर है। इसलिए हमें आगे भी कई सैन्य सौदे करने की जरुरत होगी।