पाक किसी भी बिल में जैश सरगना मौलाना मसूद को छिपा कर रखे भारत उसे खोज निकालेगा
पुलवामा हमले के बाद जैश या अन्य आतंकी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान सरकार की तरफ से कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पुलवामा में CRPF के दल पर आत्मघाती हमले करवाने वाले संगठन जैश ए मोहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अजहर कहां है? यह सवाल भारतीय खुफिया एजेंसियों के लिए भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। अजहर के बारे में एजेंसियों के पास जो अंतिम ठोस जानकारी है वह दिसंबर, 2017 के करीब की है जब उसने मुल्तान में एक रैली को संबोधित किया था और भारत के खिलाफ खूब आग उगला था। उसके बाद भी उसने कई रैलियों को संबोधित करता रहा है लेकिन एजेंसियों को इस बात की पक्की जानकारी नहीं है कि वह वहां पर उपस्थित था। पिछले कुछ महीनों से रैलियों में मौलाना अजहर के रिकार्डेड भाषण ही सुनाये जाते हैं।
पाक सेना के रिटायर जनरलों के हवाले है मसूद की सुरक्षा
खुफिया एजेंसियों को शक है कि मसूद अजहर को पाकिस्तान सेना के सेवानिवृत अफसरों की तरफ से सुरक्षा प्रदान की गई है। अजहर के लिए यह विशेष सुरक्षा घेरा आज से नहीं बल्कि तीन वर्ष पहले बनाई गई थी। जब पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान की नवाज शरीफ सरकार ने मसूद अजहर व इसके कुछ संबंधियों को नजरबंद किया था। जनवरी, 2016 में इसे नजरबंद किया गया और तकरीबन पांच महीने बाद इसे विशेष सुरक्षा में कहीं और स्थानांतरित किया गया।
बहावलपुर स्थित हेडक्वार्टर में बहुत दिनों से नहीं देखा गया मसूद
एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक पठानकोट हमले के पहले भी अजहर के लिए सुरक्षा इंतजामात थे लेकिन वह खुलेआम मजलिसों और धार्मिक जुलूसों में हिस्सा लेता था। यही नहीं बहावलपुर मस्जिद स्थित अपने हेडक्वार्टर में भी वह कई बार दिखाई देता था। लेकिन पठानकोट हमले के बाद उसे वहां नहीं देखा गया है।
जैश सरगना के जिन दो करीबी रिश्तेदारों को नजरबंद किया गया था उनकी भी कोई सूचना नहीं है। खुफिया एजेंसियों की मानें तो बहावलपुर स्थित जिस मस्जिद की बात की जा रही है संभवत: अब जैश उसका पहले की तरफ इस्तेमाल नहीं करता। जैश किसी और जगह से संचालित हो रहा है।
पठानकोट हमले के बाद बहावलपुर में जैश की गतिविधियां हुई है कम
यही वजह है कि पुलवामा हमले के बाद जब पाकिस्तान सरकार की तरफ से यह सूचना दी गई कि बहावलपुर स्थिति मस्जिद को सुरक्षा घेरे में ले लिया गया है तो भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने उसे नौटंकी करार दिया। सूत्रों का कहना है कि पुलवामा हमले के बाद जैश या अन्य आतंकी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान सरकार की तरफ से कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
एफएटीएफ की डर से हाफिज सईद के संगठन जमात उल दावा और इसके एक सहयोगी संगठन के खिलाफ कार्रवाई जरुर की गई है, लेकिन वह भी आंख में धूल झोंकने की तरह है। पिछली दफे भी एफएटीएफ की बैठक से पहले पाकिस्तान ने कुछ आतंकी संगठनों के बैंक खाते को जब्त करने का दावा किया था।
जब भी भारत में कोई बड़ी आतंकी कार्रवाई होती है तो वह इस तरह के कदम उठाने की घोषणा करता है, लेकिन कुछ महीने बीत जाने के बाद फिर सारे कदम वापस ले लिये जाते हैं। मुंबई हमले और पठानकोट हमले के बाद ऐसा देखा जा चुका है।