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काबुल में विस्फोट की निंदा कर भारत ने कहा- आतंक के खिलाफ अफगानिस्तान के साथ

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल (Kabul) में उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के काफिले पर आतंकी हमला हुआ जिसकी भारतीय विदेश मंत्रालय ने निंदा की है

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 01:40 PM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 01:40 PM (IST)
काबुल में विस्फोट की निंदा कर भारत ने कहा- आतंक के खिलाफ अफगानिस्तान के साथ
काबुल में विस्फोट की निंदा कर भारत ने कहा- आतंक के खिलाफ अफगानिस्तान के साथ

नई दिल्ली, एएनआइ। भारत ने अफगानिस्तानी उपराष्ट्रपति पर आतंकी हमले की निंदा की है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ' भारत इस हमले की कड़ी आलोचना करता है। शहीदों और घायलों के प्रति हमारी संवेदना है। आतंक के खात्मे को लेकर जंग में भारत हमेशा अफगानिस्तान के साथ है।'  अफगानिस्तान की राजधानी काबुल (Kabul) में बुधवार को भीषण विस्फोट हुआ जिसमें उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के काफिले को निशाना बनाया गया। रॉयटर्स के अनुसार, काबुल में सड़क किनारे हुए विस्फोट में अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) को निशाना बनाया गया था। हालांकि उन्हें किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा और वे सुरक्षित हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने ट्वीट कर ये जानकारी दी 

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बाल-बाल बचे उपराष्ट्रपत 

उपराष्ट्रपति के प्रवक्ता रजवान मुराद (Razwan Murad) ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखकर जानकारी दी, 'आज अफगानिस्तान के दुश्मनों ने एक बार फिर सालेह की जान लेने की कोशिश की लेकिन अपने मकसद में कामयाब नहीं हुए और सालेह को कोई चोट नहीं पहुंची।' प्रवक्ता ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि सालेह के काफिले को निशाना बनाकर किए गए विस्फोट में उनके कुछ बॉडीगार्ड को नुकसान पहुंचा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अब तक दो शवों को दो शवों और सात घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया है।

हिंसक घटनाओं से शांति वार्ता हो सकती है प्रभावित: संयुक्त राष्ट्र

हाल में ही अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि देबोरा लियोंस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा, 'अफगान सरकार और आतंकी संगठन तालिबान आपस में बातचीत की तैयारी कर रहे हैं और यह एक ऐतिहासिक क्षण है। हालांकि उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यह वार्ता लंबी और चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि आतंकी संगठन ने बातचीत शुरू होने से पहले ही कैदियों की रिहाई जैसे मुद्दे उठाकर इसे उलझाने की कोशिश की थी। इस मुद्दे को सुलझाने में पांच महीने का वक्त लग गया।'


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