एक तीर से कई निशाने: विदेश व्यापार में इजाफे का जरिया बनी भारत की बदली रणनीति
भारतीय दूतावासों को व्यापारिक नजरिया अपनाने पर जोर देने से जो सूचनाएं एकत्र हुई हैं उनका असर आने वाली समग्र विदेश व्यापार नीति पर अवश्य दिखेगा।
नई दिल्ली [विशेष संवाददाता]। कूटनीति के जरिए दुनिया भर में भारत की नई पहचान बनाने की रणनीति पर काम कर रही सरकार ने अपनी विदेश नीति को विदेश व्यापार में वृद्धि का जरिया भी प्रमुखता से बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में अपनी सरकार के गठन से पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि उनके लिए विदेश नीति न सिर्फ कूटनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने का मार्ग है बल्कि भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उसकी जगह दिलाना और भारत के विदेश व्यापार को बढ़ाना भी रणनीति का हिस्सा रहेगा। बीते चार साल में भले ही इसके परिणाम बहुत स्पष्ट दिखायी न दे रहे हों, लेकिन भारतीय दूतावासों को व्यापारिक नजरिया अपनाने पर जोर देने से जो सूचनाएं एकत्र हुई हैं उनका असर आने वाली समग्र विदेश व्यापार नीति पर अवश्य दिखेगा।
सरकार ने साल 2014 में सत्ता में आने के बाद ही भारत के सभी विदेशी दूतावासों और राजदूतों व उच्चायुक्तों को उन देशों में भारतीय वस्तुओं/उत्पादों की संभावनाएं तलाशने का निर्देश दिया था। यहां तक कि द्विपक्षीय संबंधों के लिए होने वाली बातचीत में भी आपसी कारोबार को बढ़ाने के उपायों को शामिल करने पर जोर दिया गया। पूर्वी यूरोप के एक देश में रह चुके एक राजदूत के मुताबिक सरकार का यह स्पष्ट संदेश था कि भारतीय निर्यात की संभावनाओं को सदैव ध्यान में रखा जाए।
बीते चार साल में सरकार को तमाम दूतावासों से विदेश व्यापार को लेकर तमाम सूचनाएं प्राप्त हुई हैं। सभी दूतावासों से यह जानकारी मांगी गई थी कि उन देशों में किन भारतीय उत्पादों की मांग की संभावना है। सरकार ने अपने दूतावासों की मदद से बीते चार साल में काफी जानकारी जुटाई है। कुछ उत्पादों के संबंध में मसलन इंजीनियरिंग व इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के मामले में तो वाणिज्य मंत्रालय ने तत्काल कदम उठाए हैं जिनका असर निर्यात पर दिखा भी है। बीते छह महीने में निर्यात में वृद्धि का जो सिलसिला शुरू हुआ है, इसमें दूतावासों की तरफ से प्राप्त सूचनाओं का भी योगदान है।
इस पूरी एक्सरसाइज का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि सरकार को भविष्य के लिए अपनी निर्यात रणनीति तैयार करने में काफी मदद मिल रही है। वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक इन सूचनाओं के आधार पर एक मैट्रिक्स तैयार किया जा रहा है। इसके तहत जिस देश में जिस वस्तु या उत्पादों की मांग सामने आई है वहां उसके निर्यात को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह मैट्रिक्स विभिन्न देशों के आधार के साथ साथ दुनिया के विभिन्न जोनों में उत्पादों की मांग के आधार पर तैयार किया जा रहा है।
दूतावासों की सूचना के आधार पर इस मैट्रिक्स में कई ऐसे देशों के नाम भी जोड़े जा रहे हैं जो अभी तक भारत की निर्यात सूची में प्राथमिकता पर नहीं थे। लेकिन वहां से भी भारतीय वस्तुओं की मांग की सूचना मिली है। इन सूचनाओं के आधार पर ही सरकार निर्यातकों और उनके संगठनों को जानकारी उपलब्ध करा रही है ताकि भारतीय निर्यात को तेज वृद्धि की राह पर लाया जा सके। वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु की निर्यात संगठनों के साथ हुई बातचीत में भी यह मुद्दा चर्चा में आया है।