पीएम मोदी- स्कॉट मारीसन शिखर सम्मलेन में हिंद प्रशांत क्षेत्र होगा अहम मुद्दा
भारत में ऑस्ट्रलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फैरल ने कहा है कि समिट के जैसी बैठक के बाद भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत और आस्ट्रेलिया के बीच होने वाला पहला वर्चुअल शिखर सम्मेलन काफी गहमा-गहमी वाला होग। 4 जून यानी इस गुरुवार को होने वाली इस बैठक में नई दिल्ली से पीएम नरेंद्र मोदी अपने वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगियों के साथ शामिल होंगे जबकि कैनबरा से पीएम स्कॉट मारीसन व उनके दूसरे सहयोगी रहेंगे। बैठक में द्विपक्षीय सहयोग से जुड़े मुद्दों के अलावा कोविड-19 के बाद जिस तरह से वैश्विक माहौल में बदलाव हो रहा है उस पर काफी गहन विमर्श होने की संभावना है।
भारत व चीन सीमा विवाद को आपसी वार्ता से सुलझाएं: आस्ट्रेलिया
चीन के प्रति लगातार कड़े तेवर अख्तियार करने की नीति अपना चुके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस तरह से भारत व आस्ट्रेलिया को मिला कर एक नया वैश्विक मंच बनाने की कोशिश में है, वह भी इस बैठक में अहम हिस्सा होगा। एशिया प्रशांत क्षेत्र में सहयोग पर भी दोनो प्रधानमंत्रियों के बीच चर्चा होगी। भारत व आस्ट्रेलिया के बीच यह शिखर बैठक तब हो रही है जब इन दोनों देशों का चीन के साथ काफी तनाव चल रहा है।
आस्ट्रेलिया चीन के खिलाफ राष्ट्रपति ट्रंप के सुर में सुर मिला रहा है। चीन ने आस्ट्रेलिया से आयात पर पाबंदी लगाने की बात तक कह दी है। दूसरी तरफ भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। वैसे आस्ट्रेलिया अभी तक भारत व चीन के बीच इस विवाद में पड़ने से बच रहा है।
रक्षा क्षेत्र से जुड़े कुछ अहम सहयोग समझौतों को अंतिम रूप देना प्राथमिकता
नई दिल्ली में आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओफारेल के मुताबिक भारत व चीन के बीच जो भी सीमा विवाद है, वह इन दोनो देशों को आपसी विमर्श से ही सुलझाना चाहिए। किसी भी तीसरे पक्ष को इसमें पड़ने की जरुरत नहीं है। वह यहां भारतीय पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। हालांकि साउथ चाईना सी में चीन की बढ़ती गतिविधियों को लेकर आस्ट्रेलिया का स्वर बेहद चिंताजनक व चौंकन्ना है।
ओफारेल के मुताबिक, इस समुद्री क्षेत्र में चीन की गतिविधियां काफी चिंताजनक है। यही नहीं, हांगकांग में नया सिक्यूरिटी कानून को लागू करने को लेकर हम अलग विचार रखते हैं। जहां तक द्विपक्षीय मुद्दों का सवाल है तो उन्होंने बताया कि रक्षा क्षेत्र से जुड़े कुछ अहम सहयोग समझौतों को अंतिम रूप देना मोदी और मॉरीसन की अहम प्राथमिकता होगी। यह समझौता एक दूसरे को डिफेंस सेक्टर में लॉजिस्टिक्स में मदद करने को लेकर होगा।
दोनो नेता इस रिश्ते को नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वर्चुअल शिखर बैठक में इसकी बानगी देखने को मिलेगी। समूचे हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर भारत व आस्ट्रेलिया के विचार एक समान हैं और दोनो चाहते हैं कि हर देश के लिए यह क्षेत्र खुला हो। इस उद्देश्य से किस तरह से सामुद्रिक रिश्ते को प्रगाढ़ किया जाए, इस पर भी दोनो नेताओं के बीच अहम बातचीत होगी।