भारत व ईरान ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाक पर लगाया निशाना, पटरी पर लौटने लगी दोनों देशों के रिश्तों की गाड़ी
भारत और ईरान के बीच इस बात की भी सहमति बनी है कि जो भी देश आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता हो या उसका इस्तेमाल करता हो उसकी निंदा करनी चाहिए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिकी प्रतिबंध से भारत और ईरान के रिश्तों में जो सुस्ती छाई थी वह अब दूर होती दिख रही है। वैसे फिलहाल इस बात की संभावना कम ही है कि भारत ईरान से कच्चे तेल की खरीद शुरु कर देगा लेकिन द्विपक्षीय रिश्तों के दूसरे आयामों को लेकर हालात तेजी से सामान्य हो सकते हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर की अगुवाई में रविवार को तेहरान में भारत-ईरान संयुक्त आयोग की बैठक हुई जिससे इस बात के संकेत मिले हैं। दोनो देशों ने जिस तरह से आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को निशाने पर लिया है वह रिश्तों के सामान्य होने की तरफ इशारा करते हैं।
संयुक्त आयोग की बैठक के बाद जारी बयान में आतंकवाद की वजह से बढ़ती वैश्विक चुनौतियों का जिक्र करते हुए दोनो देशों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी संगठनों के पनाह स्थलों को नष्ट करने का आह्वान किया है। इनके बीच इस बात की भी सहमति बनी है कि जो भी देश आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता हो या उसका इस्तेमाल करता हो उसकी निंदा करनी चाहिए।
पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से पीड़ित है पाकिस्तान
इस बयान में किसी का नाम तो नहीं लिया गया है लेकिन साफ है कि यह पड़ोसी देश पाकिस्तान की तरफ इशारा किया गया है। भारत की तरह ही ईरान भी पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का पीड़ित है। कई बार इस वजह से दोनो देशों की सीमा पर सैनिकों के बीच झड़पें भी हुई हैं। ईरान आरोप लगाता है कि ब्लूचिस्तान के इलाके में पाकिस्तान के समर्थन वाले कुछ आतंकी संगठन उसके इलाके में भी दहशतगर्दी फैलाते हैं।
भारत व ईरान के बीच यह बैठक भारत व अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता के ठीक बाद हुई है। पिछले हफ्ते हुई टू प्लस टू वार्ता में अमेरिका ने भारत को ईरान में चाबहार पोर्ट के काम काज के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध से छूट देने की बात मान ली थी।
ट्रेड एग्रीमेंट के लिए जल्द बुलाई जाएगी बैठक
उसके बाद भारत, ईरान व अफगानिस्तान के बीच ढांचागत क्षेत्र में सहयोग को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक भी हो चुकी है। इसमें चाबहार समेत ईरान से अफगानिस्तान तक बिछाये जाने वाले रेल परियोजना को लेकर भी बात हुई है। इस परियोजना को भारत लगा रहा है। रविवार को हुई संयुक्त आयोग की बैठक में यह सहमति बनी है कि दोनो देशों के बीच होने वाले ट्रेड एग्रीमेंट के लिए गठित संयुक्त कार्य दल की जल्द ही बैठक बुलाई जाएगी। यह कार्य दल सीमा शुल्क संबंधी मसलों और निवेश समझौते को अंतिम रूप देने का भी काम करेगा।
ओआइसी का महत्वपूर्ण देश है ईरान
आज की बैठक में इस बात को लेकर भी चर्चा हुई कि अगले वर्ष द्विपक्षीय रिश्ते की 70वीं वर्षगांठ पर किस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए। दोनो देशों की जनता के बीच संवाद बढाने के तमाम उपायों पर भी चर्चा हुई है। बताते चलें कि भारत व ईरान के बीच हुई इस बैठक का इसलिए भी महत्व है कि एक दिन पहले ही इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) ने सीएए को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। ईरान ओआइसी का एक महत्वपूर्ण देश है। साफ है कि ईरान ओआइसी में भले ही दूसरा रुख रखता हो लेकिन भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर वह दूसरा रुख अपना रहा है।