Move to Jagran APP

Goa Election 2022: सबसे छोटे राज्य में है बड़ा सियासी घमासान, पाला बदल और उछल-कूद में रिकार्ड बना रहा गोवा

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में देश की निगाहें सबसे बड़े राज्य यूपी की गरमागरमी पर लगी हैं मगर सबसे छोटे राज्य गोवा का चुनावी घमासान भी कम दिलचस्प नहीं है। भाजपा से लेकर कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस और आप तक कोई भी दल इस घमासान से अछूता नहीं है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 08:27 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 08:46 PM (IST)
सबसे छोटे राज्य में है बड़ा सियासी घमासान, पाला बदल और उछल-कूद में रिकार्ड बना रहा गोवा। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, संजय मिश्र। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में देश की निगाहें सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की गरमागरमी पर लगी हैं, मगर सबसे छोटे राज्य गोवा का चुनावी घमासान भी कम दिलचस्प नहीं है। भाजपा से लेकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) तक कोई भी दल इस घमासान से अछूता नहीं है। वैसे गोवा में पाला बदलने से लेकर विद्रोही तेवरों का रंग सबसे अधिक सत्ताधारी भाजपा को परेशान कर रहा है। चुनाव से पहले मेंढकों की तरह चल रही उछल-कूद इतनी तेज है कि नामांकन की तारीख बीत जाने के बाद भी उम्मीदवारों से झटके की आशंका पार्टियों की चिंता का सबब बनी हुई है।

loksabha election banner

गोवा के चुनाव में सियासी पाला बदलने की शुरुआत चार महीने पहले राज्य में तृणमूल कांग्रेस की राजनीतिक एंट्री से हुई थी जब उसने कांग्रेस के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिनो फेलेरियो को तोड़ लिया था। तृणमूल कांग्रेस ने इस सिलसिले को जारी रखते हुए कांग्रेस ही नहीं, भाजपा और राज्य की कुछ स्थानीय पार्टियों के नेताओं को भी तोड़ा। मगर राज्य में चुनाव के एलान के बाद बढ़े घमासान का सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को हुआ है। सरकार के कद्दावर मंत्री माइकल लोबो भाजपा से खटपट के बाद कांग्रेस में जाकर अपनी पत्नी दिलाइल लोबो को टिकट दिलाने में भी कामयाब रहे हैं।

लोबो के पाला बदलने की वजह से उनके प्रभाव वाली राज्य की आधा दर्जन सीटों पर भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गोवा में भाजपा के सबसे बड़े दिग्गज रहे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर के बेटे उत्पल पर्रीकर का बगावत कर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरना भी पार्टी के चुनावी नेरेटिव को झटका दे रहा है। केंद्रीय राज्यमंत्री श्रीपद नाइक के बेटे सिद्धेश नाइक ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन तो नहीं किया, मगर पार्टी से खुली नाराजगी जाहिर कर ही दी।गोवा के चुनावी दंगल में हाई प्रोफाइल नेताओं के स्तर पर भाजपा की अंदरूनी उठापटक का आलम यह है कि राज्य के एक उप-मुख्यमंत्री बाबू कवडेकर की पत्नी सावित्री कवडेकर टिकट नहीं मिलने के बाद भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।

भाजपा के एक अन्य प्रभावशाली विधायक कार्लोस अल्मेडा ने अब कांग्रेस का दामन थाम लिया है।गोवा में पाला बदल की सियासत ने राजनीतिक नैतिकता को कितना छिछला कर दिया है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विधानसभा के मौजूदा 40 विधायकों में से 21 विधायकों ने पांच साल के दौरान अपनी पार्टी बदल ली है। दल बदल की सियासत के लिए चर्चित गोवा के मानक के हिसाब से भी यह रिकार्ड है। ऐसे में नामांकन की आखिरी तारीख के बाद भी पार्टियों के आशंकित होने की वजह निराधार नहीं है। कांग्रेस के वयोवृद्ध दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह राणे का अंतिम दिन चुनाव मैदान से हटने का एलान इसका सुबूत है। राणे को कांग्रेस ने सबसे पहले उम्मीदवार घोषित किया था, मगर इस सीट पर भाजपा ने उनकी बहू को टिकट दे दिया।

पिछले चुनाव के बाद कांग्रेस से पाला बदलकर गए उनके बेटे विश्वजीत राणे का पिता पर दबाव काम आया। भले ही उन्होंने पार्टी अभी नहीं छोड़ी है, मगर चुनाव मैदान छोड़ दिया। आनन-फानन में कांग्रेस ने अपेक्षाकृत नए चेहरे रंजीत राणे को अंतिम दिन उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस के ही एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री रवि नायक ने भी पार्टी को अलविदा कहकर भाजपा का दामन थाम लिया है। राज्य में नई खिलाड़ी तृणमूल और आप भी ऐसे प्रकरण से अछूते नहीं हैं। कांग्रेस छोड़कर तृणमूल में गए पूर्व विधायक रेजनल लारेंस लौटे जरूर मगर कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया। अब वह न घर के रहे और न घाट के।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.