Rajya Sabha Election: सस्पेंस-रोमांच के दांव में हाथ आकर भी मीरा कुमार से दूर गई उम्मीदवारी
राज्यसभा चुनाव में कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जिनके हाथ सीट आते-आते दूर छिटक गई। इनमें प्रमुख चेहरा मीरा कुमार का है जिनके लिए ममता बनर्जी ने कांग्रेस को अंतिम क्षणों में प्रस्ताव दिया।
नई दिल्ली, संजय मिश्र। राज्यसभा चुनाव को लेकर चल रहे सियासी ड्रामे, सस्पेंस और रोमांच के दौर में कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जिनके हाथ सीट आते-आते भी दूर छिटक गई। इनमें सबसे प्रमुख चेहरा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार का है जिन्हें राज्यसभा में भेजने के लिए ममता बनर्जी ने कांग्रेस को अंतिम क्षणों में प्रस्ताव दिया। मगर कांग्रेस तब तक माकपा उम्मीदवार के समर्थन का वादा कर बैठी थी।
मीरा कुमार को समर्थन देने का दिया प्रस्ताव
कांग्रेस ऐसे में चाहते हुए भी मीरा कुमार को राज्यसभा का उम्मीदवार नहीं बना पायी। पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्रों ने ममता बनर्जी की ओर से दिए गए इस प्रस्ताव की पुष्टि की। गुरुवार की रात दीदी ने कांग्रेस के रणनीतिकार अहमद पटेल को फोन किया और कहा कि कांग्रेस मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाती है तो तृणमूल कांग्रेस पांचवी सीट के लिए उनका समर्थन करेगी। राज्यसभा की एक सीट अपने खाते में आने के इस आकर्षक प्रस्ताव ने कांग्रेस को लुभाया भी मगर माकपा उम्मीदवार के नामांकन के पक्ष में तब तक कांग्रेस के समर्थन का प्रस्ताव जारी हो चुका था।
दो-तीन दिन पहले आया होता तो...
सूत्र ने कहा कि यह प्रस्ताव दो-तीन दिन पहले आया होता तो मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाने में कोई दिक्कत नहीं होती। दरअसल, दीदी ने माकपा उम्मीदवार बिकास रंजन भट्टाचार्य के राज्यसभा का रास्ता रोकने के लिए मीरा के समर्थन का दांव चला। कोलकाता के पूर्व मेयर बिकास ममता के मुखर विरोधियों में गिने जाते हैं। फिर भी प्रस्ताव पहले आता तो मीरा के नाम पर माकपा को दावेदारी छोड़ने के लिए प्रयास का कांग्रेस को मौका मिल जाता। मीरा को उम्मीदवार बनवा दीदी जहां एक ओर उनकी राह रोकना चाहतीं थी तो दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और माकपा के गठबंधन में दरार बढ़ाने में भी इसकी भूमिका बन जाती।
ममता ने दूसरी बार दिया मीरा कुमार को राज्यसभा उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव
वैसे दिलचस्प बात यह है कि ममता ने मीरा कुमार को राज्यसभा उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव कांग्रेस को दूसरी बार दिया। इससे पूर्व जुलाई 2017 में राज्यसभा के हुए चुनाव के दौरान भी दीदी ने कांग्रेस को मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन तब कांग्रेस ने पेशकश इसलिए स्वीकार नहीं की थी कि उसके स्थानीय नेता की उम्मीदवारी का माकपा समर्थन कर रही थी।
कुमारी सैलजा को मिली सियासी क्लाइमेक्स में निराशा
राज्यसभा चुनाव के सस्पेंस-रोमांच में कांग्रेस की एक अन्य प्रमुख महिला नेता कुमारी सैलजा के लिए भी सियासी क्लाइमेक्स निराशाजनक रहा। हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष सैलजा दस जनपथ की पहली पसंद थीं और उनका नाम लगभग तय था। मगर सूबे की सियासत में मजबूत गिरफ्त रखने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बाजी पलटते हुए अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को उम्मीदवार बनवा लिया।
दीपेंद्र हुड्डा को बनाया उम्मीदवार
कांग्रेस नेतृत्व को हुड्डा और उनके समर्थक नेता यह समझाने में कामयाब रहे कि भाजपा दूसरा उम्मीदवार देगी तो हरियाणा में भी मध्यप्रदेश की तरह विधायक टूट सकते हैं। खतरे की आशंका के चलते हाईकमान ने अंतत: टिकट की जगह सैलजा से सहानुभूति जताई और दीपेंद्र को उम्मीदवार बना दिया। दिलचस्प यह भी रहा कि हरियाणा में भाजपा ने दूसरा उम्मीदवार नहीं उतारा है और दीपेंद्र की जीत तय है।
वहीं मध्यप्रदेश की तरह गुजरात में कांग्रेस से दूसरी सीट छीनने के लिए भाजपा ने नरहरि अमीन को उम्मीदवार बना पार्टी की चुनौती बढ़ा दी है, जबकि झारखंड की दूसरी सीट के लिए कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों में चुनावी घमासान तय हो गया है।