राज्यसभा में तीन तलाक बिल की राह मुश्किल, विपक्ष हुआ एकजुट
तीन तलाक संबंधी बिल को लोकसभा ने भले ही फिर पारित कर दिया है मगर राज्यसभा में इसके पारित होने की गुंजाइश नहीं दिख रही है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मुस्लिम महिलाओं को एक साथ तीन तलाक बोल छोड़ने की कुप्रथा पर रोक लगाने संबंधी बिल को लोकसभा ने भले ही फिर पारित कर दिया है मगर विपक्षी दलों के तेवरों को देखते हुए राज्यसभा में इसके पारित होने की गुंजाइश नहीं दिख रही। विपक्षी दल इस बिल को राज्यसभा की प्रवर समिति को भेजने की रणनीति तैयार कर रहे हैं।
विपक्षी दल ही नहीं नाजुक मौकों पर एनडीए सरकार की मदद करने वाले उसके कई समर्थक दल भी बिल की राह में मुश्किल खड़ी करेंगे। संकेतों के एक प्रस्ताव सभापति को भेजा जाएगा जिसमें राज्यसभा के नियम 125 का हवाला देते हुए कहा जाएगा कि उक्त विधेयक पर चर्चा से पहले इस पर फैसला होना चाहिए। जाहिर है कि जब सरकार अल्पमत में होगी तो यह प्रस्ताव भी भारी पड़ेगा।
विपक्षी दलों के नेताओं के बीच शुक्रवार को तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में संयुक्त रणनीति को लेकरचर्चाओं के दौर चले। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने यूपीए के सहयोगी दलों के रणनीतिकारों और तृणमूल कांग्रेस व वामदलों के नेताओं से मशविरा किया।
टीएमसी ने तीन तलाक पर सरकार की राह मुश्किल करने के लिए बीजद, अन्नाद्रमुक और टीआरएस से संपर्क कर बिल को सिलेक्ट कमिटी में भेजने की विपक्षी योजना का खाका बनाया। सूत्रों के अनुसार एनडीए के मददगार तीनों दलों ने विपक्षी खेमे को साफ संकेत दे दिए हैं कि बिल में तीन साल की सजा के प्रावधान से वे सहमत नहीं है।
सरकार तीन तलाक बिल सोमवार को राज्यसभा में लाने की तैयारी में है और इसके मद्देनजर ही विपक्षी दल सिलेक्ट कमिटी में भेजने के प्रस्ताव का मजमून बना रहे हैं।
विपक्षी दलों की रणनीति से साफ है कि वे राज्यसभा में चर्चा के बाद बिल पर मतदान की नौबत ही नहीं आने देना चाहते। एनडीए सरकार के पास राज्यसभा में बिल पारित करने के लिए जरूरी 123 संख्या बल नहीं है। मगर विपक्ष सदन में सरकार पर भारी होने के बावजूद बिल को गिराने का सियासी जोखिम नहीं उठाना चाहता ताकि भाजपा को चुनाव से पहले बड़ा मुद्दा मिल जाए।
बिल को सिलेक्ट कमिटी में भेजने का विकल्प ही विपक्ष के लिए सबसे बेहतर है। ऐसी स्थिति में बिल नई लोकसभा के गठन तक टल जाएगा और विपक्ष बिल को खारिज करने की तोहमत से भी बच जाएगा।
राज्यसभा में आंकड़ों के हिसाब से इस समय एनडीए के पास 93 सांसद हैं। कांग्रेस की अगुआई वाले विपक्षी खेमे के पास 112 सांसद हैं। इस समीकरण से साफ है कि अन्नाद्रमुक के 13, बीजद के 9्र टीआरएस के 6 और वाइएसआर कांग्रेस के 2 सदस्यों के समर्थन के बिना एनडीए सरकार राज्यसभा में तीन तलाक बिल पारित नहीं करा सकती। लोकसभा में अन्नाद्रमुक और बीजद ने इस बिल का विरोध करते हुए विपक्षी दलों के साथ वाकआउट किया था। इस सियासी हकीकत को देखते हुए राज्यसभा में तीन तलाक बिल पारित होने की गुंजाइश नहीं दिख रही।