MP : निर्दलीय विधायकों को साधने की कोशिश, जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद निर्दलीय विधायकों को साधने की कोशिश में मंत्रिमंडल विस्तार कर सकती है।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद निर्दलीय विधायकों को साधने की कोशिश में मंत्रिमंडल विस्तार कर सकती है। कांग्रेस पदाधिकारी बताते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार संभवत: विधानसभा के बजट सत्र के पहले जून में होने की संभावना है।
वहीं, पार्टी के कुछ असंतुष्ट विधायकों को हाईकमान ने लोकसभा चुनाव में संतुष्ट भी किया है, लेकिन अभी भी कुछ ऐसे विधायक मंत्री पद की बाट जोह रहे हैं। चर्चा यह भी है कि कमलनाथ अपने मंत्रिमंडल का नए सिरे से गठन कर सकते हैं। इसके लिए लोकसभा चुनाव परिणामों में मंत्रियों के क्षेत्र में पार्टी के प्रदर्शन को मापदंड बनाए जाने पर भी विचार किया जा रहा है।
कमलनाथ सरकार को बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के तीन विधायकों ने समर्थन दिया है। चार निर्दलीय विधायकों में से प्रदीप जायसवाल को मंत्री बनाने से सरकार 118 विधायकों के साथ बहुमत में है। सूत्र बताते हैं कि लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद कमलनाथ दो और निर्दलीयों को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकते हंै। इनमें बुरहानपुर के ठाकुर सुरेंद्र सिंह शेरा भैया और सुसनेर के विक्रम सिंह राणा के नाम हैं।
मालूम हो, सुरेंद्र सिंह को लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी अरुण यादव के खिलाफ पत्नी को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़ा करने पर मनाया गया था। नाम वापसी के दिन सुरेंद्र सिंह की पत्नी ने नामांकन पर्चा वापस लिया था।
सूत्रों का कहना है कि तब सुरेंद्र सिंह को मंत्री बनाने का ऑफर दिया गया था। दूसरी तरफ सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विक्रम सिंह राणा मंत्री नहीं बनाए जाने से मंत्रिमंडल के गठन के पहले दिन से ही नाराज हैं। उन्हें भी कमलनाथ मंत्रिमंडल में शामिल कर सकते हैं। तीसरे निर्दलीय केदार डाबर बचेंगे।
कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों में राजनगर विधायक विक्रम सिंह नातीराजा और बदनावर विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को पार्टी ने लोकसभा चुनाव में उनके मुताबिक टिकट देकर संतुष्ट किया है। नातीराजा की पत्नी कविता सिंह को खजुराहो से तो राजवर्धन सिंह समर्थक दिनेश गिरवाल को धार से टिकट दिया गया है। अब असंतुष्ट विधायकों में अनुपपुर के बिसाहूलाल सिंह और पिछोर के केपी सिंह ही बचे हैं।
बसपा-सपा विधायकों पर असमंजस
वहीं, कमलनाथ सरकार को बनाने में विस परिणामों की घोषणा के बाद सबसे पहले लिखित में समर्थन देने वाली बसपा और सपा को लेकर फिलहाल असमंजस की स्थिति है। लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद इस बारे में तस्वीर साफ होगी। उत्तर प्रदेश में महागठबंधन के दौरान कांग्रेस से बसपा-सपा ने जो दूरी बनाई थी, उससे अभी रिश्ते सामान्य नजर नहीं आ रहे हैं।
हालांकि प्रदेश में सपा विधायक राजेश शुक्ला कांग्रेस पृष्ठभूमि से हैं तो सपा से कांग्रेस को विशेष परेशानी नहीं आएगी। बसपा की विधायक रामबाई की पहले दिन से ही कमलनाथ सरकार से अनबन चलती रही है। मंत्री बनाए जाने के लिए वे लगातार अड़ी हुई हैं, लेकिन कुछ महीने से उनकी आवाज दब गई है। उनके पति एक आपराधिक मामले में फंस गए हैं, जिससे रामबाई शांत बैठ गई हैं। बसपा के दूसरे विधायक संजीव कुशवाह मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी बताए जाते हैं और कुछ एक मर्तबा रामबाई को उन्होंने मध्यस्थता कर शांत किया था।
अभी छह मंत्री पद रिक्त
प्रदेश मंत्रिमंडल में अभी मुख्यमंत्री सहित 29 सदस्य हैं। छह मंत्री पद रिक्त हैं। कमलनाथ सरकार का पहला मंत्रिमंडल विस्तार 28 कैबिनेट मंत्रियों को शामिल किए जाने के साथ हुआ था। अगर दो निर्दलीय और बसपा-सपा के तीनों विधायकों को मंत्री बना भी दिया जाता है, तब भी मंत्रिमंडल में एक पद रिक्त रहेगा।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप