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लुटियन जोन में नेताओं को अपने लिए चाहिए अलग लेन, संसदीय समिति ने रखी ये विशेष मांग

समिति की चिंता इस बात पर है कि वीआइपी के लिए लुटियन जोन तो बना दिया गया है परंतु उनके सुरक्षित आवागमन के लिए अलग लेन का प्रावधान नहीं किया गया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 06:47 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 07:00 PM (IST)
लुटियन जोन में नेताओं को अपने लिए चाहिए अलग लेन, संसदीय समिति ने रखी ये विशेष मांग

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भले ही राजधानी में अभी तक लेन ड्राइविंग सुनिश्चित न हो पाई हो, लेकिन माननीय लुटियन जोन में भी अपने लिए अलग लेन चाहते हैं। समिति का मानना है कि दिल्ली को जाम से निजात दिलाने के लिए वीआइपी के लिए अलग लेन होना चाहिए। संसदीय समिति के मार्फत ये सुझाव दिया गया है। यही नहीं, उन्होंने दुपहिया वाहन चालकों के लिए भी अलग लेन की सिफारिश की है।

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उन्होंने ये सोचने की जहमत नहीं उठाई कि दो या तीन लेन की सड़कों पर दो लेन आरक्षित होने पर बाकी चालकों के लिए कितनी जगह बचेगी। समिति की चिंता इस बात पर है कि वीआइपी के लिए लुटियन जोन तो बना दिया गया है, परंतु उनके सुरक्षित आवागमन के लिए अलग लेन का प्रावधान नहीं किया गया है। इसलिए गृह मंत्रालय को इमरजेंसी वाहनों की तरह वीआइपी वाहनों के लिए अलग लेन पर विचार करना चाहिए।

कांग्रेस के आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मंत्रालय की इस समिति में 31 सांसद सदस्य हैं। समिति ने बुधवार को संसद के दोनो सदनों में अपनी रिपोर्ट पेश की है।

वाहनों की बढ़ती संख्या पर चिंता 

समिति ने दिल्ली में वाहनों की बढ़ती संख्या पर चिंता प्रकट करते हुए इस पर अंकुश लगाने के लिए क्रांतिकारी कदमों का सुझाव दिया है। इनमें वीआइपी और दुपहिया वाहनों के लिए अलग लेन के अलावा बिना पार्किंग स्पेस वाले घरों के लोगों, बिना पुराने वाहन को डिस्पोज किए बगैर नया वाहन खरीदने वालों के वाहनों का पंजीकरण न करने तथा यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों से अधिक इंश्युरेंस प्रीमियम वसूलने जैसे सुझाव शामिल हैं।

पुराने और अनफिट वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए समिति ने 10 वर्ष पुराने डीजल और 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों को एनसीआर से बाहर करने के एनजीटी के निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन कराए जाने की सिफारिश की है।

वाहनों को बाहरी सड़कों से गुजरने की मांगी अनुमति

समिति ने दिल्ली में रोजाना तकरीबन 12 नए माल वाहनों के प्रवेश पर चिंता जताते हुए पड़ोसी राज्यों से आने वाले वाहनों पर अंकुश के लिए एक सुव्यवस्थित फ्रेट ट्रैफिक रेग्युलेशन पॉलिसी की आवश्यकता निरूपित की है। ऐसे वाहनों को केवल बाहरी सड़कों से गुजरने की अनुमति होनी चाहिए। दिल्ली में 18 फीसद माल वाहन चलते हैं।

समिति ने दिल्ली के यातायात में दिल्ली सरकार और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों की भूमिका का भी विश्लेषण करते हुए विशिष्ट सिफारिशें की हैं। समिति ने गृह मंत्रालय द्वारा 2020 तक प्रस्तावित अल्पकालिक तथा 2025 तक प्रस्तावित दीर्घकालिक कदमों को समय पर लागू करने को कहा है। जबकि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से इलेक्टि्रक वाहनों पर अधिक जोर देने के बजाय स्वच्छ डीजल पर ध्यान देने को कहा है। अन्यथा ऑटोमोबाइल कंपनियों की हालत और खराब होगी। समिति ने शहरी आवासन मंत्रालय से साइकिल जैसे गैर-मोटर वाहनों के यातायात के लिए डेडीकेटेड ट्रैक के लिए विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल स्थापित करने को कहा है।

बसों की संख्या न बढ़ाए जाने पर अफसोस

समिति ने दिल्ली में पिछले दस वर्षो के दौरान बसों की संख्या न बढ़ाए जाने पर अफसोस जताया है और दिल्ली सरकार से 6000 बसें तुरंत खरीदने तथा 1000 बसों की पार्किंग के लिए जमीन उपलब्ध कराने को कहा है। समित के अनुसार यदि दिल्ली पीडब्लूडी चौराहों और सड़कों के डिजाइन में साधारण परिवर्तन करे और बेकार पड़ी सर्विस लेनो को सड़क में मिला दे तो भी यातायात की स्थिति में काफी सुधार हो सकता है। समिति ने दिल्ली पुलिस से महज ट्रैफिक लाइट के उल्लंघनों पर ध्यान देने के बजाय लेन ड्राइविंग सुनिश्चित कराने, जबकि दिल्ली मेट्रो से यातायात के विभिन्न साधनों के बीच संतुलन स्थापित करने और फीडर बसों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया है। डीएमआरसी से किरायों को युक्तिसंगत बनाने की अपेक्षा भी की गई है।

समिति ने अतिक्रमण हटाने में विफलता के लिए डीडीए तथा कंप्यूटर आधारित ट्रैफिक मैनेजमेंट तथा एरिया ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम न लागू कर पाने के लिए दिल्ली पुलिस की आलोचना की है। जबकि दक्षिण एशियाई देशों में ये प्रणालियां 30 वर्ष पहले लागू हो चुकी हैं।


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