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कोर्ट में ईडी ने कहा- पी चिदंबरम को हिरासत मे लेकर पूछताछ करने की जरूरत

गुरुवार को असाधारण घटनाक्रम में चिदंबरम के वकील ने 2 सितंबर तक सीबीआइ हिरासत मे बने रहने की पेशकश की जबकि यह हिरासत शुक्रवार को खत्म हो रही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 11:43 PM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 11:43 PM (IST)
कोर्ट में ईडी ने कहा- पी चिदंबरम को हिरासत मे लेकर पूछताछ करने की जरूरत
कोर्ट में ईडी ने कहा- पी चिदंबरम को हिरासत मे लेकर पूछताछ करने की जरूरत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सीबीआइ और ईडी की गिरफ्त में उलझे कांग्रेस नेता पी चिदंबरम फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। गुरुवार को असाधारण घटनाक्रम में चिदंबरम के वकील ने अपनी ओर से ही 2 सितंबर तक सीबीआइ हिरासत मे बने रहने की पेशकश की जबकि यह हिरासत शुक्रवार को खत्म हो रही है। शायद वह भविष्य का दांव था ताकि फिर से निचली अदालत का चक्कर न लगाना पड़े।

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ईडी ने सीलबंद लिफाफे में सबूत पेश किया 
वहीं सरकार की ओर से इसका विरोध किया गया। वहीं प्रवर्तन ईडी ने मनी लांड्रिंग के मामले में पुख्ता सबूत होने का दावा ही नहीं किया बल्कि सीलबंद लिफाफे में सबूत पेश कर गिरफ्तारी को जरूरी बताया। सुनवाई पांच सितंबर को होगी। तब तक ईडी की गिरफ्तारी से चिदंबरम को राहत है।

हिरासत में भेजने की याचिका को चुनौती   
चिदंबरम की सीबीआई हिरासत की अवधि शुक्रवार को खत्म हो रही और उन्हें फिर से विशेष अदालत में पेश किया जाना है। लेकिन गुरुवार को जब कोर्ट ने उन्हें हिरासत में भेजने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर 2 सितंबर को सुनवाई करने की बात कही तभी कपिल सिब्बल ने कहा कि चिदंबरम 2 सितंबर तक सीबीआइ हिरासत में रहने को तैयार हैं। लेकिन सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पेशकश का विरोध करते कहा कि रिमांड का फैसला कोर्ट लेगा। अगर शुक्रवार को वह विशेष अदालत में ऐसी पेशकश करते हैं तो उन्हें आपत्ति नहीं होगी लेकिन आज उन्हें आपत्ति है।

दरअसल, यह कानूनी पेंच है। कानून की तय प्रक्रिया में अभियुक्त की हिरासत खत्म होने के बाद उसे संबंधित अदालत में पेश किया जाता है। और अदालत मामले पर विचार करने के बाद विचार करता है कि क्या फिर से हिरासत में भेजना है। ऐसे में अगर शुक्रवार को चिदंबरम को विशेष जज के समक्ष पेश किया जाता और उन्हें फिर से हिरासत में भेजने का आदेश हो जाता तो 2 तारीख को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई में राहत मांगने की गुंजाइश घट जाएगी।

कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा 
खैर, ईडी के मामले में कहा गया कि मनी लांड्रिंग की साजिश का पता लगाने के लिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करनी होगी। जबकि दूसरी ओर चिदंबरम की ओर से ईडी की दलीलों का विरोध करते हुए कोर्ट से अग्रिम जमानत मांगी गई। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनकर चिदंबरम की अग्रिम जमानत पर पांच सितंबर तक फैसला सुरक्षित रख लिया। साथ ही तबतक ईडी के चिदंबरम को गिरफ्तार करने पर रोक भी जारी रखी है।

कोर्ट ने ईडी को चिदंबरम के खिलाफ एकत्रित सामग्री सीलबंद कवर में देने का आदेश दिया और कहा कि वह इस सामग्री पर विचार करेगा कि नहीं, इसका फैसला भी पांच सितंबर के आदेश में होगा। यानि अगर कोर्ट उसे नहीं देखेगा तो वैसे ही सारे सीलबंद लिफाफे ईडी को वापस लौटा दिए जाएंगे।

अन्‍य मामलों में पड़ सकता है असर 
जब चिदंबरम की ओर से सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों पर कोर्ट के विचार करने का विरोध किया गया तो मेहता ने कहा कि अगर ये दलील स्वीकार की गई तो इसका असर अन्य मामलों जैसे विजय माल्या, मेहुल चौकसी, नीरव मोदी, जाकिर नाइक और आतंकी फंडिंग के मामले में भी पड़ सकता है।


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