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जानें आखिर क्‍यों और कैसे कूटनीति के लिए अचानक खास बन गया छोटा सा देश रवांडा

मध्य अफ्रीका के देश रवांडा में कुछ ही घंटों के भीतर चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री मोदी की यात्राएं यह बताती हैं कि दोनों देश अफ्रीका के इस प्रवेश द्वार को कितना महत्वपूर्ण मान रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 24 Jul 2018 10:43 AM (IST)Updated: Tue, 24 Jul 2018 12:48 PM (IST)
जानें आखिर क्‍यों और कैसे कूटनीति के लिए अचानक खास बन गया छोटा सा देश रवांडा

नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। मध्य अफ्रीका का एक बेहद छोटा देश रवांडा अचानक इतना खास कैसे हो गया कि कुछ ही घंटों के भीतर चीन के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री राजकीय यात्रा पर वहां पहुंच गए? सिर्फ 1.2 करोड़ की आबादी वाले इस देश ने पिछले एक दशक के दौरान लैंगिक भेदभाव समाप्त करने से लेकर आर्थिक विकास दर को तेज करने में जो प्रगति की है उसे देख कर एशिया के दोनों सुपरपावर उसके जरिये पूरे अफ्रीकी महादेश में पैर पसारने की संभावना देख रहे हैं। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने रवांडा में भारी-भरकम निवेश का वादा किया है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रवांडा को अपना रणनीतिक साझेदार बना कर यह जता दिया कि वह उसे अफ्रीका के प्रवेश द्वार के तौर पर देख रहे हैं।

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शी और मोदी की पहली यात्रा 

चीन या भारत के शीर्ष नेतृत्व की यह पहली रवांडा यात्रा है। रवांडा को मिल रही इस अहमियत के पीछे एक बड़ी वजह यह है कि भारत और चीन अफ्रीका में अपनी कनेक्टिविटी परियोजनाओं को परवान चढ़ाना चाहते हैं। इस काम में रवांडा, सेनेगल और युगांडा जैसे देशों की मदद सबसे अहम होगी। वैसे चीन इस मामले में भारत से काफी आगे है। चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत अफ्रीका को जोड़ने का रोडमैप भी बनाया है, जिसमें रवांडा एक अहम भागीदार है, जबकि भारत अफ्रीका में कनेक्टिविटी परियोजनाओं को जापान की मदद से लागू करने की इच्छा रखता है। इस बारे में भारत व जापान के बीच समझौता भी हुआ है, लेकिन अभी तक आगे का रोडमैप नहीं बना है।

चीन की कनेक्टिविटी परियोजना

रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कगामे ने चीन की कनेक्टिविटी परियोजना से जुड़ने की सहमति दे दी है। वैसे रवांडा की अहमियत पहचानने में भारत भी बहुत पीछे नहीं है। रवांडा के साथ जनवरी, 2017 में भारत ने रणनीतिक साझीदारी का समझौता भी किया था। दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग स्थापित करने के लिए भी एक समझौता होने जा रहा है।

दो सौ गायों का तोहफा देंगे प्रधानमंत्री 

प्रधानमंत्री मोदी वहां राष्ट्रपति कगामे से मिलेंगे और उन्हें भारत की तरफ से 200 गायों का तोहफा भी देंगे। सनद रहे कि कगामे की राजनीति में गाय की बेहद अहमियत है। कगामे ने अपने पहले चुनाव में हर परिवार को एक गाय देने की घोषणा की थी। विदेश मंत्रालय के सचिव (आर्थिक संबंध) टीएस त्रिमूर्ति के मुताबिक, भारत की कोशिश हमेशा से यह है कि रवांडा को उसके विकास में हरसंभव मदद दी जाए। प्रधानमंत्री मोदी द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाने के लिए रवांडा के उद्यमियों को और ज्यादा कर्ज भी उपलब्ध कराने की घोषणा करेंगे।

लगातार सात फीसद पर है विकास दर 

अफ्रीका मामलों को देखने वाले विदेश मंत्रलय के एक अन्य अधिकारी ने रवांडा को मिल रही अहमियत के बारे में बताया कि इस देश ने पिछले डेढ़ दशक में जितनी प्रगति की है वैसा उदाहरण अफ्रीका में मिलना काफी मुश्किल है। इसकी आर्थिक विकास दर लगातार सात फीसद से ज्यादा रही है। समाज में अपराध और भ्रष्टाचार को कम करने में इसकी सफलता को अब दूसरे देश अपनाने लगे हैं।

संसद में 61 फीसद महिलाएं

समाजिक जन-जीवन में महिलाओं को सम्मानजक स्थान दिलाने में रवांडा की कोशिशों का साफ तौर पर असर दिख रहा है। अभी यहां की संसद में 61 फीसद महिलाएं हैं जो पूरी दुनिया में संसदीय व्यवस्था में महिलाओं की सबसे ज्यादा भागीदारी है।


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