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आम आदमी के अनुरूप कानून बनाने के लिए गृहमंत्रालय ने राज्यों के मांगे सुझाव

गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसी क्रम में सभी राज्य सरकारों को सुधारों के लिए अपने-अपने विचार भेजने को कहा गया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 09:12 PM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 09:21 PM (IST)
आम आदमी के अनुरूप कानून बनाने के लिए गृहमंत्रालय ने राज्यों के मांगे सुझाव
आम आदमी के अनुरूप कानून बनाने के लिए गृहमंत्रालय ने राज्यों के मांगे सुझाव

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मौजूदा वक्त की जरूरतों के मुताबिक देश के भारतीय दंड संहिता (IPC) और अपराध प्रक्रिया संहिता (CRPC) में संशोधन के लिए गृहमंत्रालय ने राज्यों से सुझाव मांगा है। गृहमंत्रालय के अनुसार उनकी कोशिश इन कानूनों को आम आदमी की लोकतांत्रिक अपेक्षाओं के अनुरूप बनाने और महिलाओं, बच्चों व समाज के कमजोर तबकों को त्वरित न्याय मुहैया कराने के योग्य बनाया जाएगा। इसके साथ ही जटिल कानूनी प्रावधानों को सरल बनाया जाएगा, ताकि आम आदमी को मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े।

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मौजूदा जरूरतों के अनुरूप बनाने की मांग

गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र के दौरान सत्ता और विपक्ष दोनों ओर से सांसदों से ब्रिटिश काल के दौरान बने कानून को बदलने और उन्हें देश की मौजूदा जरूरतों के अनुरूप बनाने की मांग की थी। इसके बाद गृहमंत्रालय ने पुलिस अनुसंधान व विकास ब्यूरो को सीआरपीसी, आइपीसी, भारतीय साक्ष्य कानून, मादक पदार्थो से जुड़े कानून में संशोधन का प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसी क्रम में सभी राज्य सरकारों को सुधारों के लिए अपने-अपने विचार भेजने को कहा गया है।

न्याय प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत

ब्रिटिश काल में तैयार सीआरपीसी और आइपीसी के प्रावधानों को इस तरह जटिल बनाया गया था कि ब्रिटिश अधिकारियों व बड़े लोगों को सजा से बचाया जा सके। जबकि आम आदमी कानून की जटिलताओं में उलझ कर न्याय की उम्मीद छोड़ देता था। यही नहीं, जटिलताओं के कारण न्याय पाने की पूरी प्रक्रिया अत्यंत लंबी, जटिल और खर्चीली भी हो गई। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूरी न्याय प्रक्रिया को सरल और आम आदमी की अपेक्षाओं के अनुरूप बनाने की जरूरत है और इसके लिए मौजूदा कानून को बदलना जरूरी है।

राज्यों की ओर से मिले सुझावों पर विचार और विस्तृत विचार-विमर्श के बाद पुलिस अनुसंधान व विकास ब्यूरो कानून में संशोधनों का प्रारूप तैयार करेगी। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी इन कानूनों में संशोधन की समय-सीमा तय करना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि यह राज्यों के सहयोग पर निर्भर करेगा और पूरी प्रक्रिया में लंबा वक्त भी लग सकता है।


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