मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से हाई कोर्ट ने किया इन्कार, जानिए क्या है कारण
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य में जातिगत आरक्षण 50 फीसद से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट ने मराठा आरक्षण के नये कानून पर अंतरिम रोक लगाने से बुधवार को इन्कार कर दिया। एक जनहित याचिका पर विचार करते हुए चीफ जस्टिस नरेश पाटिल की पीठ ने हालांकि मामले से संबंधित अन्य याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई के लिए 10 दिसंबर की तारीख तय की है।
अधिवक्ता गुणरत्न सदावर्ते ने कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका के जरिये मराठा समुदाय को नौकरी और शिक्षण संस्थानों में 16 प्रतिशत आरक्षण देने के सरकार के निर्णय को चुनौती दी थी। इसमें कहा गया था कि मराठा आरक्षण का नया कानून सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में दिए गए निर्णय के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य में जातिगत आरक्षण 50 फीसद से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
सरकारी वकील ने इसका विरोध करते हुए पीठ से कहा कि याचिकाकर्ता जनहित याचिका के जरिये कानून पर रोक लगाने की मांग नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में लंबित ज्यादातर याचिकाओं में 2014 के कानून का हवाला दिया गया है, जिसमें सामाजिक आधार पर आरक्षण की बात कही गई है। राज्य सरकार वर्ष 2014 के कानून की जगह नया मराठा कानून ला चुकी है। इसमें 2014 के कानून के सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया है। कोर्ट ने मराठा आरक्षण से संबंधित सभी लंबित याचिकताओं पर अगली तिथि में एक साथ सुनवाई का आदेश सुनाया।