शरिया अदालत के समर्थन में हामिद अंसारी, कहा- हर समुदाय का हो सकता है अपना नियम
शरिया अदालत गठित करने के समर्थन में बोले हामिद अंसारी, कानून मानता है कि हर समुदाय के पास अपना नियम हो सकता है।
नई दिल्ली (प्रेट्र/आइएएनएस)। शरिया अदालत गठित करने के सुझाव पर हो रहे विरोध के बीच पूर्व उपराष्ट्रपति एम. हामिद अंसारी के बयान ने एक और नई बहस शुरू कर दी है। इस मसले पर अंसारी ने कहा है कि कानून मानता है कि हर समुदाय के पास अपना नियम हो सकता है। उन्होंने कहा कि लोग सामाजिक प्रथा के साथ कानूनी प्रणाली का घालमेल कर रहे हैं।
एक निजी टेलीविजन चैनल को गुरुवार को दिए गए साक्षात्कार में पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, 'लोग सामाजिक प्रथा के साथ कानूनी प्रणाली का घालमेल कर रहे हैं। कानूनी प्रणाली है, लेकिन हमारा कानून यह भी मानता है कि हर समुदाय के पास उसके अपने नियम हो सकते हैं। भारत में पर्सनल लॉ चार विषयों शादी, तलाक, विरासत और गोद लेना को अपने दायरे में रखता है। भारत में हर समुदाय को हमारे कानून के अनुसार चलने का अधिकार है।'
पिछले सप्ताह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा था कि उसने दारुल-कजा (शरिया अदालतें) खोलने की योजना बनाई है। यह इस्लामिक कानून के अनुसार मुद्दों का समाधान करने के लिए किया जाएगा। हालांकि सरकार ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है।
भारत के अनुदार लोकतंत्र में बदलने का खतरा
पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के एक अनुदार, बहुसंख्यक लोकतंत्र में बदल जाने का खतरा पैदा हो गया है। ऐसी स्थिति में धार्मिक अल्पसंख्यक बराबरी के नागरिक नहीं रहेंगे। अपनी किताब डेयर आइ आस्क के रिलीज होने से पहले उन्होंने निजी टीवी को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि अब संपूर्ण नागरिक निकाय की घेराबंदी करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रवाद को भी भारतीय संविधान के परिप्रेक्ष्य में परिभाषित किया।