पाकिस्तान से भारत की और बढ़ी कूटनीतिक दूरी, नई दिल्ली उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या आधी करने का निर्देश
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि भारत सरकार ने नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या 50 फीसद तक कम करने का फैसला लिया है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान के रवैये में कोई सुधार होते ना देख भारत सरकार ने मंगलवार को एक अप्रत्याशित फैसला करते हुए उसके साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों की समीक्षा की है। इसके तहत पाकिस्तान को नई दिल्ली स्थित अपने उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या आधी करने का निर्देश दिया गया है। साथ भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग में भी कर्मचारियों की संख्या घटाने का फैसला किया है। भारत ने यह फैसला हाल ही में पाकिस्तानी उच्चायोग के दो कर्मचारियों के जासूसी में लिफ्त होने और आतंकी संगठनों के साथ इनके रिश्तों को देखते हुए किया है।
पाक उच्चायोग में जासूसी व आतंक समर्थित गतिविधियों को देख किया फैसला
इस बारे में भारत ने नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में अस्थाई तौर पर काम काज संभाल रहे उच्चायुक्त को सम्मन कर बुलाया और उसे अपने कर्मचारियों की संख्या अगले सात दिनों में आधी करने का निर्देश दिया। कहने की जरुरत नहीं कि दोनो देशों के रिश्तों में लगाता हो रही गिरावट एक नई तलहटी की तरफ बढ़ गई है। मंगलवार को विदेश मंत्रालय की तरफ से जानकारी दी गई है कि पाकिस्तानी उच्चायोग के चार्ज डि एफेयर्स को सम्मन कर बुलाया और उनके उच्चायोग के कर्मचारियों की गतिविधियों के बारे में सूचना दी। भारत लगातार इस बारे में अपनी चिंता जताता रहा है। उनके कर्मचारी जासूसी मामले में संलिप्त रहे हैं और आतंकी संगठनों के साथ भी उनकी डीलिंग रही है। 31 मई, 2020 को उनके दो कर्मचारियों को रंगे हाथ पकड़ा गया था।
इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग से भी घटेगी कर्मचारियों की संख्या
इसके साथ ही पाकिस्तान इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियों को धमकाने व डराने का काम भी लगातार जारी रखे हुए है। हाल ही में दो भारतीय कर्मचारियों को अगवा कर उन्हें जिस तरह से यातना दिया गया है, वह बताता है कि पाकिस्तान किस दिशा में बढ़ रहा है। 22 जून को स्वदेश लौटे इन कर्मचारियों ने बताया है कि किस तरह से पाकिस्तानी एजेंसियों ने उनके साथ वहशियाना हरकत की है। पाकिस्तान व उसके कर्मचारियों का व्यवहार विएना समझौते के मुताबिक नहीं है। असलियत में यह पाकिस्तान की दूसरे देशों में आतंकी गतिविधियों को मदद पहुंचाने की नीति का ही हिस्सा है।
2001 में संसद हमले के बाद भी पाक का घटाया था डिप्लोमेटिक दर्जा
ऐसे में भारत सरकार ने यह फैसला किया है कि नई दिल्ली स्थित पाक उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या आधी की जाए। साथ ही इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या आधी करेगा। यह फैसला सात दिनों के भीतर करना होगा। सनद रहे कि इसके पहले भारत ने इसके पहले वर्ष 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान का डिप्लोमेटिक दर्जा कम कर दिया था। अभी दोनो देश एक दूसरे के यहां उच्चायोगों में 110 कर्मचारी रख सकते हैं। हालांकि तैनात कर्मचारियों की संख्या इससे कम ही है। भारत ने अगस्त, 2019 में जब जम्मू व कश्मीर से धारा 370 समाप्त किया था, तभी पाकिस्तान ने अपने उच्चायोग को यहां से बुला लिया था।
पहले भी पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारियों को किया गया गिरफ्तार
यह भी उल्लेखनीय है कि पूर्व में कई बार पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारियों को आतंकी गतिविधियों व जासूसी कार्य में संलग्न होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी ने जब जम्मू व कश्मीर के आतंकियों को मिलने वाली फंडिंग की जांच की थी, तब पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारियों की भूमिका सामने आई थी। पाक उच्चायोग में कार्यरत इकबाल चीमा ने कश्मीरी आतंकी जहूर अहमद शाह वताली को दो बार 30 लाख रुपये व 40 लाख रुपये मुहैया कराये थे। चीमा 23 सितंबर, 2015 से 2 नवंबर, 2016 तक फर्स्ट सेक्रेटरी (प्रेस) के तौर पर यहां कार्यरत रहा था। इसके अलावा हाल ही में जे एंड के पुलिस में डीएसपी पद पर कार्यरत देवेंद्र सिंह को जब गिरफ्तार कर पूछताछ की गई तो पाक उच्चायोग में एसिसटेंट के तौर पर कार्यरत शफाकत का नाम सामने आया था।