नई व्यवस्था : एनजीओ के पदाधिकारियों को देना होगा अपना आधार कार्ड, FCRA में संशोधन का विधेयक लोकसभा में पेश
विदेशी सहायता का दुरुपयोग रोकने के लिए सरकार ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) में संशोधन का विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। विदेशी सहायता का दुरुपयोग रोकने के लिए सरकार ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) में संशोधन का विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है। इन संशोधनों में विदेशी सहायता पाने वाले गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के पदाधिकारियों के लिए आधार अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा इसमें सरकारी अधिकारियों के लिए विदेशी धन लेने पर पूरी तरह रोक लगाने का भी प्रावधान है। विधेयक पेश करते हुए गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि विदेशी सहायता और उसके उपयोग में पारदर्शिता लाने के लिए ये संशोधन जरूरी हैं।
80 फीसद रकम काम में खर्च करनी होगी
एफसीआरए में प्रस्तावित संशोधनों में एनजीओ के लिए विदेशी सहायता से मिली रकम से ऑफिस के खर्चे की सीमा घटाकर 20 फीसद कर दी गई है। यानी एनजीओ को विदेशी सहायता का 80 फीसद उस काम में खर्च करना होगा जिसके लिए विदेशी धन दिया गया था। इसके साथ ही सरकार किसी एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस को तीन साल के लिए निलंबित करने के अलावा उसे निरस्त भी कर सकती है।
केवल दिल्ली स्थित स्टेट बैंक की शाखा से ही ट्रांजेक्शन
इन संशोधनों के बाद देश में अब कोई भी एनजीओ केवल दिल्ली स्थित स्टेट बैंक की शाखा में ही विदेशी सहायता प्राप्त कर सकेगा। वैसे दूरदराज के इलाकों में काम करने वाले एनजीओ के लिए स्थानीय बैंक में खाता खोलने की अनुमति दी गई है। सरकार बैंक की ऐसी शाखाओं की सूची जारी करेगी।
विपक्षी दलों ने किया विरोध
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने एफसीआरए में संशोधनों का विरोध किया। कांग्रेस की ओर से मनीष तिवारी और तृणमूल कांग्रेस की ओर से सौगत राय का कहना था कि सरकार धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थानों को मिलने वाली विदेशी सहायता रोकने के लिए एफसीआरए के प्रावधानों को कड़ा कर रही है। सरकार का उद्देश्य विदेशी सहायता का नियमन करना नहीं, बल्कि उसे पूरी तरह रोकना है। विपक्षी सांसदों ने आधार अनिवार्य बनाने को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताया।
संशोधनों का धर्म से संबंध नहीं : सरकार
नित्यानंद राय ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इन संशोधनों का किसी धर्म विशेष से कोई मतलब नहीं है, बल्कि इसका मकसद विदेशी सहायता और उसके इस्तेमाल को पारदर्शी बनाना है। उन्होंने 2010 में एफसीआरए कानून में संशोधन के समय तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम के बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि विदेशी सहायता पाने वाले लगभग 40 हजार एनजीओ में से आधे ऐसे हैं जो इसकी कोई जानकारी नहीं देते और न ही वे अपनी ऑडिट रिपोर्ट जमा करते हैं।
विदेशी अंशदान की छूट बरकरार
नित्यानंद राय ने कहा कि इसमें कोई भेदभाव नहीं है। बिना भेदभाव सभी धर्मों के लिए समान प्रावधान किए गए हैं। 2010 में धार्मिक संगठनों को जो विदेशी अंशदान की छूट दी गई थी, वह बरकरार है। लेकिन यह धार्मिक संगठनों की जिम्मेदारी है कि वे अपने मूल उद्देश्य से न भटकें, जिस उद्देश्य के लिए धन आया है, उसी में उसका इस्तेमाल हो।