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राज्यपाल शासन की तरफ बढ़ा जम्मू-कश्मीर,ये रहा है गवर्नर रूल का इतिहास

जम्मू-कश्मीर में अब एक बार फिर से राज्यपाल शासन लगने के आसार हैं। जानिए अब से पहले कब और क्यों लगा राज्यपाल शासन।

By Vikas JangraEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 05:44 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 06:32 PM (IST)
राज्यपाल शासन की तरफ बढ़ा जम्मू-कश्मीर,ये रहा है गवर्नर रूल का इतिहास

नई दिल्ली [जेएनएन]। जम्मू कश्मीर में पिछले 3 साल से ज्यादा वक्त से चली आ रही गठबंधन की सरकार अब नहीं रही। भारतीय जनता पार्टी ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से समर्थन वापस ले लिया है। भाजपा का कहना है कि अब सहयोगी पार्टी के साथ सरकार चलाना मुश्किल हो रहा था। कांग्रेस और अन्य के साथ मिलकर भी सरकार बनाने का फौरी दावा हवा हो गया है। कांग्रेस ने सरकार के लिए समर्थन देने से मना कर दिया है। उमर अब्दुल्ला ने भी सरकार बनाने में कोई खास रूचि नहीं दिखाई है। ऐसे में जम्मू एक बार फिर गवर्नर रूल यानि राज्यपाल शासन की ओर बढ़ रहा है। राज्य में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, इससे पहले भी जम्मू में राज्यपाल शासन लगता रहा है।

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एक नजर अब तक लगे राज्यपाल शासन पर

1. कश्मीर में पहली बार राज्यपाल शासन वर्ष 1977 में एलके झा के राज्यपाल रहते लगाया गया था। उस वक्त कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया था। जिसके बाद नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कांफ्रेंस अल्पमत में आ गई थी।

2. अब्दुल्ला को वर्ष 1975 में इंदिरा शेख समझौते के बाद जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया गया था। प्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले अब्दुल्ला की वर्ष 1977 के आम चुनाव फिर सत्ता में वापसी हुई। जिसके बाद वर्ष 1986 में दोबारा जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा दिया गया। उस वक्त भी कांग्रेस की ओर से समर्थन वापस ले लिया गया था और अब्दुल्ला के दामाद गुलाम मोहम्मद शाह की सरकार अल्पमत में आ गई थी।

3. शाह ने नेशनल कांफ्रेंस से अलग होकर वर्ष 1984 में कांग्रेस के सहयोग से खुद की सरकार बना ली। हालांकि कांग्रेस की ओर से कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाकर अपना समर्थन वापस लिए जाने के बाद शाह को पीछे हटना पड़ा। इस तरह राज्यपाल जगमोहन मल्होत्रा के नेतृत्व में राज्यपाल शासन लग गया, जो कि वर्ष 1986 के नवंबर माह में खत्म हुआ।

4. इसके बाद पीएम राजीव गांधी ने नेशनल कांफ्रेस के साथ एक समझौता किया और जम्मू कश्मीर में फारुख अब्दुल्ला सत्ता के साझीदार बन गए। जगमोहन की वर्ष 1990 की जनवरी माह में राजभवन में वापसी हुई और फिर फारुख अब्दुल्ला को पद से हटना पड़ा और एक बार फिर प्रदेश में राज्यपाल शासन लगा दिया गया। यह केंद्र की ओर से जम्मू कश्मीर में लगाया गया सबसे लंबा राज्यपाल शासन था, जो कि छह साल आठ महीने रहा। प्रदेश के कई हिस्सों में हिंसा के मद्देनजर आम चुनाव नहीं कराए जा सके। जम्मू कश्मीर में राज्यपाल का शासन वर्ष 1996 के अक्टूबर माह तक जारी रहा, जब तक प्रदेश में विधानसभा के चुनाव नहीं कराए गए।

5. इसके बाद सबसे कम 15 दिनों के लिए राज्यपाल शासन लगाया गया, जब पीडीएपी और कांग्रेस और 12 अन्य विधायकों के सहयोग से 2 अक्टूबर तक सरकार बना ली। इसके बाद 174 दिनों का राज्यपाल शासन लगा दिया गया, जब पीडीपी ने वर्ष 2008 के जुलाई माह में गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी से महबूबा मुफ्ती ने अपना समर्थन वापस ले लिया।

6. पीडीपी ने उस वक्त अपना समर्थन वापस लिया, जब 28 जून 2008 को अमरनाथ भूमि को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। आजाद ने सात जुलाई को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने का ऐलान किया। लेकिन इससे पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इस तरह वर्ष पांच जुलाई 2009 तक राज्यपाल शासन जारी रहा, जब तक उमर अब्दुल्ला ने प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ नहीं ले ली।

7. इसके बाद 2015 में उमर अब्दुल्ला का कार्यकाल पूरा हुआ और अगले चुनाव होने तक 52 दिन तक जम्मू में राज्यपाल शासन लगा। 8 जनवरी, 2015 से 1 मार्च 2015 तक जम्मू में राज्यपाल का शासन लागू रहा।

8. इसके बाद मार्च में भाजपा के सहयोग से मुफ्ती मोहम्मद सईद ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यहीं से भाजपा और पीडीपी के गठबंधन की शुरुआत हुई जो कि आज समाप्त हो गया। मुफ्ती मोहम्मद सईद ने 1 मार्च को सीएम की शपथ ली और 7 जनवरी 2016 तक सीएम रहे। इसके बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद की मृत्यु हो गई। अगली सरकार बनने तक 7 जनवरी 2016 से 4 अप्रैल 2016 तक (88 दिन) फिर से राज्यपाल का शासन लागू हुआ।

अब एक बार फिर जम्मू में राज्यपाल शासन के पूर्ण आसार हैं।


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