जहरीली हवाओं से निपटने के लिए सरकार कराएगी कृत्रिम बारिश
जहरीली हवाओं से लोगों को बचाने के लिए सरकार अब कृत्रिम बारिश कराएगी। इसकी शुरुआत दिल्ली से होगी।
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। आखिरकार इंतजार खत्म हुआ। जहरीली हवाओं से लोगों को बचाने के लिए सरकार अब कृत्रिम बारिश कराएगी। इसकी शुरुआत दिल्ली से होगी और सबकुछ ठीक रहा तो इसे लखनऊ जैसे शहरों में भी आजमाया जा सकता है।
मौसम विभाग का अनुमान ठीक रहा, तो 21 नवम्बर को यह बारिश होगी। फिलहाल इसे लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सारी सुरक्षा मंजूरी (क्लीयरेंस) हासिल कर ली है। सिर्फ डीजीसीए (डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन) की मंजूरी मिलना बाकी है, हालांकि सैद्धांतिक रूप से उसने भी अपनी सहमति दे दी है। पर्यावरण मंत्रालय का मानना है कि यह मंजूरी भी सोमवार को उसे मिल जाएगी।
कृत्रिम बारिश हालांकि कोई नई विधा नहीं है। भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में इसे समय-समय पर अजमाया जाता रहता है, लेकिन प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश कराने के उदाहरण कम है। चीन में प्रदूषण को कम करने में इसका इस्तेमाल काफी होता है। अब भारत भी इनमें शुमार हो जाएगा।
फिलहाल केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से बनाई गई इस योजना में सरकारी एजेंसियों को ही शामिल किया गया है, इनमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और वायु सेना शामिल है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश कराने की योजना पर कई सालों से काम चल रहा था, लेकिन पहली बार इसका इस्तेमाल होने जा रहा है। फिलहाल इस अहम प्रयोग को 21 नवम्बर को आजमाया जा सकता है, क्योंकि मौसम विभाग ने इसी दिन दिल्ली के ऊपर बादलों के भारी भरकम जमघट का अनुमान जताया है। यह इसलिए भी अहम है, क्योंकि कृत्रिम बारिश की प्रक्रिया बादलों के जमघट होने पर अंजाम दी जाती है। वैसे भी 20-21 नवम्बर के आसपास प्रदूषण के स्तर के एक बार फिर बढ़ने का अनुमान है।
20 लाख में होगी बारिश
वैसे तो यह काफी महंगी प्रक्रिया है। जिसके लिए विशेष विमान से लेकर मशीनरी और बादलों के बीच रिएक्शन कराने के लिए केमिकल इस्तेमाल का किया जाता है। लेकिन पर्यावरण मंत्रालय ने इसके लिए एयर फोर्स की मदद ली है, जो नि:शुल्क अपने विमान उपलब्ध कराएगा। इसी तरह उपकरण आईआईटी कानपुर देगा। पर्यावरण मंत्रालय को सिर्फ केमिकल उपलब्ध कराना होगा, बादलों के बीच रासायनिक क्रिया कर उन्हें बारिश के बूंदों में बदल देता है। जिसकी कीमत करीब 20 लाख के आसपास होगी।
कैसे होती है कृत्रिम बारिश
आमतौर पर कृत्रिम बारिश प्रक्रिया में सिल्वर आयोडाइड और सूखी बर्फ (ड्राई आइस) जैसे तत्व इस्तेमाल किए जाते थे। इसके पूरी प्रक्रिया में बादलों की मौजूदगी सबसे जरूरी है।