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अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार देगी कड़वी डोज, सब्सिडी खर्च घटाने पर होगा जोर

चालू वित्त वर्ष में सब्सिडी खर्च तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक रहने का अनुमान।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 09:50 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 09:50 PM (IST)
अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार देगी कड़वी डोज, सब्सिडी खर्च घटाने पर होगा जोर
अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार देगी कड़वी डोज, सब्सिडी खर्च घटाने पर होगा जोर

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आम चुनाव से ठीक पहले 'पीएम किसान' योजना जैसी लोक-लुभावन घोषणाएं करने के बाद सरकार अब अर्थव्यवस्था को सुधारों की कड़वी डोज दे सकती है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए सरकार सब्सिडी का बोझ हल्का करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत केंद्र ने अपना सब्सिडी खर्च घटाकर वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.3 फीसद पर लाने का लक्ष्य रखा है।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच जुलाई को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश किया था। इसी बजट में सरकार ने मध्यावधि राजकोषीय नीति और राजकोषीय रणनीति के वक्तव्य में सब्सिडी घटाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

सरकार के राजस्व व्यय में एक बड़ा हिस्सा खाद्य सब्सिडी, उर्वरक सब्सिडी और पेट्रोलियम सब्सिडी के रूप में खर्च होता है। चालू वित्त वर्ष में सरकार का सब्सिडी पर खर्च तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक रहने का अनुमान है। यही वजह है कि सरकार ने आम बजट 2019-20 में सब्सिडी व्यय के लिए 3,01,694 करोड रुपये का आवंटन किया है। इसके तहत 1,84,220 लाख करोड़ रुपए खाद्य सब्सिडी, 79,996 लाख करोड़ रुपए खाद सब्सिडी और 37,478 लाख करोड़ रुपए पेट्रोलियम सब्सिडी के लिए आवंटित किए गए हैं। यह राशि वित्त वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमानों के मुकाबले 13.3 फीसद अधिक है।

बजट दस्तावेजों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में सब्सिडी खर्च जीडीपी के अनुपात में 1.4 फीसद रहने का अनुमान है। सरकार का मानना है कि आने वाले वर्षो में सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के प्रयास फलदायी होंगे, जिससे सब्सिडी का बोझ कम होगा। ऐसा होने पर वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 में जीडीपी के अनुपात में सब्सिडी व्यय कम होकर 1.3 फीसद के स्तर पर आ जाएगा।


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