Move to Jagran APP

संवेदनशील डेयरी क्षेत्र में अमेरिकी घुसपैठ पर संशय में सरकार

घरेलू दुग्ध उत्पाद और पोल्ट्री बाजार में अपनी पैठ बनाने के लिए भारत पर अमेरिका दबाव बना रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 10:46 PM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 10:46 PM (IST)
संवेदनशील डेयरी क्षेत्र में अमेरिकी घुसपैठ पर संशय में सरकार

नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। घरेलू दुग्ध उत्पाद और पोल्ट्री बाजार में अपनी पैठ बनाने के लिए भारत पर अमेरिका दबाव बना रहा है। लेकिन घरेलू राजनीति में डेयरी क्षेत्र बेहद संवेदनशील होने की वजह से सरकार संशय में है। इसे लेकर उसके हाथ बंधे हुए हैं। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे पर आ रहे हैं। उनके दबाव में सरकार पोल्ट्री उत्पादों का सीमित बाजार खोल सकती है।

loksabha election banner

दबाव में खुल सकता है पोल्ट्री के लिए सीमित बाजार

अमेरिकी डेयरी व पोल्ट्री उद्योग क्षेत्र लंबे समय से गंभीर संकट के दौर में है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर इन क्षेत्रों का जबर्दस्त दबाव है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी डेयरी व पोल्ट्री उत्पादों के लिए भारत एक बड़ा बाजार बन सकता है। अगले सप्ताह डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर हैं, जिनके साथ इन दोनों सेक्टरों के निवेशक व उद्योगपति भी भारत पहुंच रहे हैं। अमेरिकी डेयरी क्षेत्र में भारी मंदी छायी हुई है।

दुग्‍ध उत्‍पादन में आर्इ तेजी

अमेरिकी कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 1975 में जहां प्रति व्यक्ति दूध की खपत 247 पाउंड्स (112 किलो) थी, वह वर्ष 2018 में घटकर 146 पाउंड्स (66 किलो) रह गई है। जबकि उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है। वहां के लोगों में डेयरी वाले दूध की बजाय सोया, बादाम, नारियल और काजू वाले दूध की मांग बहुत बढ़ गई है। इससे डेयरी वाले ताजा दूध का उत्पादन फाजिल हो गया है, जो उनकी मुश्किलों का सबब बनने लगा है।

पोल्‍ट्री उद्योग की गुणवत्ता को लेकर घरेलू स्तर पर उठ रहे सवाल

अमेरिका की ओर से पोल्ट्री (मुर्गे की टंगड़ी) भी निर्यात करने का दबाव होगा। भारत में पोल्ट्री उद्योग भी आमतौर पर लघु उद्यमी अथवा छोटे किसानों के हाथ में है। पोल्ट्री उद्योग संगठित नहीं है। इसकी गुणवत्ता को लेकर घरेलू स्तर पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। अमेरिका कई मर्तबा पोल्ट्री बाजार को खोलने की मांग कर चुका है। लेकिन भारत के लिए डेयरी उत्पाद के साथ पोल्ट्री उत्पादों का आयात का सरल बनाना आसान नहीं होगा। घरेलू कृषि क्षेत्र पहले से ही घाटे के दबाव में है, जिसे उबारने के लिए सरकार की ओर लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। भारत पशुपालन और डेयरी कारोबार में छोटे व मझोले किसानों के साथ भूमिहीन पशुपालक लगे हुए हैं। उनके हितों को संरक्षित करना सरकार की प्राथमिकता रही है। ऐसे में अमेरिकी दबाव के आगे झुकना आसान नहीं होगा।

अमेरिकी डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता की चुनौती 

सरकार की दूसरी बड़ी चुनौती अमेरिकी डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर होगी। दरअसल, अमेरिकी गायों को दिया जाने वाला चारा और उनके दुग्ध उत्पादों के भारतीय खाद्य सुरक्षा मानकों पर खरा उतरने में संदेह व्यक्त किया जा रहा है। राजनीतिक रूप से यह विषय राजनीतिक रुप से बेहद संवेदनशील है जो सरकार को परेशान कर सकता है।

डेयरी क्षेत्र के लिए सरकार ने उठाए कई कदम

भारत दुनिया का सबसे अधिक दुग्ध उत्पादक देश हो गया है, जहां 18.8 करोड़ टन दूध पैदा हो रहा है। डेयरी क्षेत्र को और समृद्ध व संगठित बनाने के लिए सरकार ने अलग मंत्रालय का गठन किया है, जिससे दूध की उचित प्रोसेसिंग हो सके। देश में अभी भी दूध का बड़ा हिस्सा स्थानीय स्तर पर खप जाता है। तीन सालों की मंदी के बाद चालू साल में डेयरी क्षेत्र में थोड़ी तेजी का रुख बना है। डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट फंड का गठन किया है। देश के सभी पिछड़े राज्यों में डेयरी विकास के लिए प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किये जा रहे हैं। इसमें सार्वजनिक निवेश के साथ सरकारी और निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.